Dumka : दुमका जिले के रानेश्वर प्रखंड में 22 दिसंबर को संथाल परगना का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया जाएगा. यह निर्णय रानेश्वर प्रखंड के लकडबिंधा गांव में रविवार को संथाल हुल अखड़ा के बैनर तले हुई ग्रामीणों की बैठक में लिया गया. तामड़ बास्की की अध्यक्षता में हुई बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि संथाल हुल के ऐतिहासिक स्थल संथाल काटा पोखर, दिगुली में स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जायेगा. अखड़ा व ग्रामीणों ने सरकार से संथाल परगना स्थापना दिवस पर 22 दिसंबर को राजकीय अवकाश घोषित करने व संथाल काटा पोखर के सौंदर्यीकरण की मांग की. अखड़ा के सचिव सिमल हांसदा ने कहा कि समारोह में रानेश्वर प्रखंड के अलावा दुमका जिला के अन्य प्रखंडों से भी लोगों के आने की संभवना है. बैठक में सोकोल मरांडी, राजा किस्कू, राजकिशोर मरांडी, साजिद मुर्मू, सुशील मरांडी, अनूप हेम्ब्रम, बबलू हांसदा, मीरू हांसदा, मिता सोरेन, चुड़की सोरेन, सुमी सोरेन, मेरी हेम्ब्रम, बिलु गुडू, होपनी हांसदा आदि उपस्थित थे.
22 दिसंबर 1855 को हुआ था संथाल परगना का गठन
ऐतिहासिक संथाल हुल (क्रांति) के फलस्वरूप बिटिश हुकूमत के दौरान 22 दिसम्बर 1855 को संथाल परगना का गठन हुआ था. उस समय पूरा संताल परगना एक जिला था, जिसमें बिहार (झारखंड) व बंगाल के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया था. इसी उपलक्ष्य में हर साल 22 दिसंबर को संथाल परगना स्थापना दिवस मनाया जाता है. संथाल परगना को अब प्रमंडल बना दिया गया है. इस प्रमंडल में छह जिले गोड्डा, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज, पाकुड़ व देवघर शामिल हैं. इस क्षेत्र की पहचान शहीदों की विरासत के रूप में है. संथाल हुल के फलस्वरूप गरीबों के भूमि अधिकारों की रक्षा के लिए संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम लागू किया गया, जिसमें यहां के समुदाय को विशेष संरक्षण प्राप्त है. अखड़ा के सचिव सिमल हांसदा ने कहा कि संथाल परगना दिवस शहीदों की विरासत को संजोये रखने व उनके अतुलनीय बलिदानों को सम्मानित करने का अवसर है. यह न्याय, स्वतंत्रता व सम्मान के लिए किए गए उनके संघर्ष का उत्सव है, जिसका नेतृत्व महान स्वतंत्रता सेनानी सिदो मुर्मू, कान्हू मुर्मू, चांद मुर्मू, भैरो मुर्मू, फूलो मुर्मू व झानो मुर्मू ने किया था.
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