NewDelhi : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सर्वदलीय बैठक के दौरान विभिन्न दलों द्वारा उठाये गये कुछ मुद्दों को उसी वक्त सोशल मीडिया मंच पर साझा करने के लिए रविवार को कांग्रेस नेता जयराम रमेश की आलोचना की. कहा कि विपक्षी पार्टी को अगली बार ऐसी बैठक में किसी अधिक अनुभवी नेता को भेजने पर विचार करना चाहिए. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
There is a certain propriety and protocol one associates with these all party meetings. There is free and frank exchange of ideas followed by media briefing. But a look at Jairam Ramesh’s timeline and it appears he was live tweeting the proceedings.
Next time, the Congress should… https://t.co/hkFZEObxJ3— Amit Malviya (@amitmalviya) July 21, 2024
वाईएसआर कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा मांगा, तेदेपा चुप रही
बैठक में शामिल रमेश ने दावा किया था कि संसद सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में जनता दल (यूनाइटेड) और वाईएसआर कांग्रेस ने क्रमश: बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की लेकिन अजीब बात यह रही कि तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) इस मामले पर चुप रही. रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज सदन के नेताओं की सर्वदलीय बैठक में जद (यू) नेता ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. वाईएसआर कांग्रेस नेता ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. अजीब बात रही कि तेदेपा नेता इस मामले पर चुप रहे.
रमेश की सोशल मीडिया पर यह पोस्ट तब आयी, जब बैठक चल ही रही थी
रमेश की सोशल मीडिया पर यह पोस्ट तब आयी, जब बैठक चल ही रही थी. भाजपा के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि इन सर्वदलीय बैठकों से जुड़े लोगों का एक खास औचित्य और प्रोटोकॉल होता है. उन्होंने कहा, मीडिया ब्रीफिंग के बाद विचारों का स्वतंत्र और स्पष्ट आदान-प्रदान होता है. लेकिन जयराम रमेश की टाइमलाइन पर एक नज़र डालें तो ऐसा लगता है कि वह कार्यवाही को लाइव पोस्ट कर रहे थे. मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा,अगली बार, कांग्रेस को इन बैठकों के लिए किसी अधिक अनुभवी नेता को भेजने पर विचार करना चाहिए.
सरकार द्वारा वित्त आयोग की स्वीकार की गयी सिफारिश विशेष दर्जे की संभावना को खारिज करती है.
रमेश के पोस्ट का एक राजनीतिक मकसद यह था कि बैठक में शामिल सरकार के दो सहयोगी दलों की मांगों को सामने लाया जाये और सरकार को घेरा जाये. जद (यू) और तेदेपा भाजपा की सहयोगी हैं और दोनों अपने राज्यों के लिए विशेष दर्जे की मांग लंबे समय से करती रही हैं।. यह ऐसा मुद्दा है जो केंद्र सरकार के लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है. अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा वित्त आयोग की स्वीकार की गयी सिफारिश विशेष दर्जे की संभावना को खारिज करती है. कांग्रेस नेता ने भाजपा की एक अन्य सहयोगी पार्टी तेदेपा पर भी निशाना साधा और कहा कि एक तरफ बैठक में जहां वाईएसआर कांग्रेस ने विशेष दर्जे की मांग उठाई वहीं आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ तेदेपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली.
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