Ranchi: बैंकों से एक हजार करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले रांची एक्सप्रेसवे और मधुकॉन प्रोजेक्ट्स के खिलाफ ईडी ने (अभियोजन शिकायत) पीसी दायर किया है. ईडी ने हैदराबाद में ईडी की विशेष अदालत में पीसी दायर किया है. जिसपर अदालत ने संज्ञान लिया है. ईडी ने जानकारी देते हुए बताया कि ईडी ने सीबीआई एसीबी रांची द्वारा मेसर्स रांची एक्सप्रेसवेज लिमिटेड (आरईएल) और उसके निदेशकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की. इसके बाद सीबीआई ने मेसर्स रांची एक्सप्रेसवेज लिमिटेड और अन्य के खिलाफ सीबीआई मामलों के विशेष अदालत रांची के समक्ष आरोप पत्र दायर किया. इस परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए मधुकॉन समूह ने एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) मेसर्स रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड का गठन किया था. मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड इस परियोजना का इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) ठेकेदार था.
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लोन लेने के बाद भी परियोजना को पूरा नहीं कर सका
ईडी ने बताया कि मधुकॉन समूह पूरी लोन राशि प्राप्त करने के बावजूद परियोजना को पूरा नहीं कर सका और बाद में उनका अनुबंध समाप्त कर दिया गया. झारखंड हाईकोर्ट के निर्देशों के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई. ईडी की जांच से पता चला है कि मेसर्स आरईएल ने केनरा बैंक के नेतृत्व में बैंकों के एक संघ से 1030 करोड़ रुपये का लोन प्राप्त किया था. हालांकि मधुकॉन समूह ने पूरे लोन राशि का उपयोग बताए गए उद्देश्य के लिए नहीं किया और इसे अन्य कार्यों में उपयोग के लिए अपनी संबद्ध संस्थाओं को दे दिया, और अपने संबंधित शेल संस्थाओं को फर्जी काम देकर लोन की हेराफेरी भी की. कई वर्षों से समूह की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं थी और रांची-जमशेदपुर परियोजना के लिए टेंडर लेने के बाद, मधुकॉन समूह ने मेसर्स आरईएल नाम का एक एसपीवी बनाया और प्रमोटरों द्वारा फर्जी निवेश दिखाने के लिए लोन निधियों की राउंड ट्रिपिंग की. आखिरकार मधुकॉन समूह लोन नहीं चुका सका और लोन खाता एनपीए में बदल गया.
365.78 करोड़ रुपये के लोन कोष के डायवर्जन की पहचान की गई है
ईडी की जांच में यह भी पता चला है कि मधुकॉन समूह के प्रमोटरों ने अपने एसपीवी से पूरा ईपीसी अनुबंध लेकर लोन को निकाल लिया और फिर अपनी अन्य परियोजनाओं के लिए भारी मात्रा में मोबिलाइजेशन और सामग्री अग्रिमों को डायवर्ट कर दिया. लोन को उनके द्वारा नियंत्रित उप-ठेकेदारों ,फर्जी संस्थाओं को भी डायवर्ट किया गया और उनसे 75.50 करोड़ रुपये की नकदी वापस प्राप्त की गई. इन उप-ठेकेदारों ने कोई काम नहीं किया, पीएमएलए जांच के दौरान अब तक 365.78 करोड़ रुपये के लोन कोष के डायवर्जन की पहचान की गई है. ईडी ने पहले मामले में तलाशी ली थी और आपत्तिजनक सबूत और 34 लाख रुपये की बेहिसाबी नकदी जब्त की थी. ईडी ने मधुकॉन ग्रुप ऑफ कंपनीज और उनके निदेशकों से संबंधित 96.21 करोड़ रुपये की 105 अचल संपत्तियों और अन्य परिसंपत्तियों को भी कुर्क किया था.
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