कमल में छितराए, तोअब चल आए पंजा लड़ावे, इहां सूरज लाले लाल दिख रहा है
Sanjay Singh
Ranchi : एगो लाल बाबू हैं. इनके बाबूजी राज्य बना तो पहले मंत्री थे. अब इस दुनिया में नहीं रहे. बाबूजी न रहे, तो उनके लाल राजनीति में हाथ-पैर मारे लगे. लाल बाबू को राजनीति ओतना बुझा नहीं रहा है. जेने-तेने लंघी फंसावे के चक्कर में रहे. कमल खिलावे लगी चल गए. सकबे नहीं किए. हबकुनिए फेंकाए, तो उठे ही नहीं सके. गेटिंग-सेटिंग में बाद में पिछुवा गए. मालो डाउन करे में फिसड्डी हो गए. कमल तो थामले रहे, लेकिन हाशिए पर रहे. कोई पूछवइया ही नहीं था. बेचारे छटपटाइल थे. जो थोड़ा मोड़ा चांस था, उहो हाथ से निकलता दिखाई देवे लगा.
कमलवाली पार्टी में धनकुबेर साहिब की इंट्री हो गई. फिर होवे लगा दे धना धन का खेला. धन कुबेर साहिब शिक्षा का अलख जगाते-जगाते राजनीति चमकावे लगे. कभी निर्दल तो कभी तीर-धनुष थामले रहे, लेकिन सफल हुए भगवाधारी होकर ही. अब चूंकि लाल साहेब को लगा कि उनको पांकी में कमल खिलावे का मौका जब नहींए मिलेगा, तो साहेब अकबकाए लगे. लेकिन कुछ बुझाइए ना रहा था. आखिर साहेब को पंजा में लाले लाल सूरज दिखे लगा. लेकिन इहां उनके बाबूजी के समय के प्रतिद्वंद्वी के लाडले ही उनके भी प्रतिद्वंद्वी हो गए. चूंकि बिट्टू बाबू दो-दो बेरा फेंका गए, तो लाल बाबू को पंजवा में तनिका दम दिखे लगा.
लाल साहेब ने पंजा तो लड़ा लिया, लेकिन इहां तो पहिले से एक से बढ़ कर एक घाघ लोग बइठल है. लाल साहेब को इहां सूरज लाले लाल नजर आवे लगा है, लेकिन खाली लाले लाल दिखे से कुछ होवेवाला न है. साहेब को बता दिया गया है, राजनीति में पइसा फेंको, तमाशा देखो. पंजा लड़ाना भी कम रिस्की न है. पंजवा मरोड़ाए का भी खतरा बनल रहेगा. लेकिन चलिए लाल साहेब आइए गेल हैं, तो देखा जाए, आगैे-आगे होता है क्या. वैसे भी लाल साहेब को सूरज लाले लाल लउक रहा है. लेकनि बेचारे को न मालूम है कि पांकी में खिलल कमल को मरोड़े में उनका पंजा लहुलुहान हो सकता है. काहें कि पांकी में कमल का जड़ ढेरे नीचे तक धंसल है. उपर से एगो और भइया जी कोल्हान से इहां पहुंच कर ताबड़तोड़ बैटिंग करे लगे हैं. रात-राते भर पइसा फेंकों तमाशा देखो शो चल रहा है.
उधर एगो कमलफूल वाले नेताजी भी हांफे लगे हैं. उ नेताजी जनता को अगरबत्ती न ढिबरी देखा रहे हैं. अब तो यहां दे धना धन हो रहा है, तो लाल साहेब भी पंजा लड़ा के बउरा लगे हैं. फरि से कंफ्यूज्ड हैं. लेकिन लग्गू-भग्गू लोग चढ़ाइले हैं. कह रहे हैं, हे लाल साहेब पंजा लड़ाइए लिए हैं, तो पंजा पार्टी के भइया को धरले रहिए, हो सकता है बेड़ा पार लग जाए.हालांकि लाल साहेब को लाले लाल सूरज देखावेवाले नेताजी लोग भी उनको बताइले है, लाल तुम घबराना नहीं, हम तुम्हारे साथ हैं. लेकिन सच पूछिए तो लाल साहेब नर्वस हैं.
उनको अभिए से लगने लगा है कि कहीं पंजा लड़ावे के चक्कर में झोलटंगा न बनल रह जाएं. लेकिन इहां सपना देखावेवाला लोग की कमी थोड़े न है. इहां सबलोग मिल कर लाल साहेब को लाले लाल सूरज देखावे में मस्त है. लेकिन लाल बाबू सकपकाइल हैं. पंजा केकरा- केकरा से लड़ावे पड़ेगा, इ तनिका बुझाइए न रहा है. तो का कयया जाए.. चलिए देका जाए, लाल साहेब लाले लाल सूरजा देखते रहेंगे कि झोलटंगा ही बनल रहेंगे. जय हो…जय-जय हो झोलटंगा लाल की.
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