Sanjay Singh
अपने अनोखे राज्य में दलबदलुओं को बहार है. कुछ नेताजी लोग तो दल बदले के चक्कर में हेरा-भुला गए. ऊ लोग के गुमशुदगी की सूचना सगरो दे दी गई हैं. लेकिन एगो संथाल इलाके के पुरनका तीर- धनुषधारी रहे हैं, बेचारे तीर-धनुष फेंक के कमल खिलावे के चक्कर में घुसियाए थे, लेकिन ऊ पार्टिया में कोइयो पूछबे न किया, तो खुद के जिंदा र्खे लगी कभी-कभार बलि से बाहर कर मीडिया में अंडबंड बोल निकल लेते हैं. लेकिन ई साहिब के बारे में बाद में कभी चर्चा होगी या नहींयो होगी, काहें कि ई नेताजी ऊ लायक हईए न हैं. अभी तो कमल वाला नेताजी लोगन कमल राज्य में कमल खिलावे ला बेचैन है. दुगो आयातित नेताजी लोग
दु-चार दिन में टपक जाते हैं, सरकार के अंडबंड बोल कर नकिल लेते हैं, लेकिन ईहां उहे फूल ब्रांड में दुगो दलबदलु महोदय भी हैं, जो एक-दूसर के टंगरी खींचे में जुटल रह रहे हैं. एगो नेताजी के तो ढेरे बउरईनी ढुकल है, तो दूसरवाले बाबू उनके चाल-चलन से लाल भइल हैं. अभी दुनो नेताजी में तू डाल-डाल तो हम पात-पात वाला खेला चल रहल है. पहिले दुनो नेताजी लेग के खेला की चर्चा पार्टिए में होती थी, लेकिन अब तक सभी लोग ई दुनों के खेल से वाकफि हो गए हैं. दुनों नेताजी के बुझाए लगल है कि अबकी कमलवा खिलाइए लेंगे, तो काहें न अभिए से बड़की कुरसी ल भी तिकड़म बइठाइल जाए. दुनो नेताजी में ओकरे लगी कंपीटशिन हो रहल हैं.राज्य में एगो गोल-मटोल गुलथुल बउरइनी धईले नेताजी तनिका ज्यादा ही फुदक रहे हैं. पिछिला के पिछिलका चुनाव में ईनको फूल ब्रांड बड़का नेताजी लोग साईड धरा दीहिस था, मुंह लटकाईले घूमले थे. चुनाव लड़े लगी तड़पड़ाईल थे. जब कोनो उपाय न सूझ रहिस था, तो दूसराका बड़क कहावेवाला दलबदलू नेताजी इनको सहारा दीहिन थे.
बउरइनी जी ठीके चुनाव के वक्त कंघी करे लगे. चूल सजा के फेंटा कसे, मैदान में कूदे तो फतह करके ही निकले. लेकिन बउरईनी जी के मन न लग रहिस था. किसी तरह कंघी कईले घूम रहे थे. मौका की तलाश में लगले थे, रघुपति राघव राम के जाप करे लगे. जाप के फल भी मिला और लेले-देले छक्का मार दीहिन. द से दलबदलु हुए, तो पुरस्कारो मिला. मंत्री बन गिए, तो पैरवा धरतिया पर पड़ ही न न रहा था. बेचारे बाबू जी लाल पीयर होते रह गए. खिसियाए, तो अंडबंड बके लगे. फूल पार्टिया के बड़का-बड़का नेतवन के लगे कोसे. बाबू जी संगे दु लोग ताली बजावे ला रह गयया था. लेकिन ई का, कुछे दिन बाद लाले लाल हो रहे बाबू को समझ में आ गिया कि लाल होवे से कुछ न होगा, तो पूरा पार्टिया के लेले-देले कमल खिलावेला चल दिए, लेकिन इनके पुराने साथी दु गो साइडे रहे. अब कमल खिलावे ला गए, तो पुरस्करो मिला. लेकिन इहां बेचारे अभियो बेचारू ही बनल हैं. पहिले जईसन तो पूछ नहींए है, लेकिन जेकरा ऊंगरी धर के आगे बढ़ाए, ऊहे आज उनको ऊंगरी कईले है. दुनो में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रहल है.
जेकरा लाल बाबू जी सहारा दीहिन थे, ऊ उनका पैरलल खड़ा हो गया है, तो लाल बाबू जी हांफे लगल हैं. ई दुनो नेताजी जे र रहे हैं, ओकर पार्टिया में तो चर्चा होइए रहिस है, अब तो बाहरे भी लोग जान लगे हैं. दुनो लोग मीडिया में छाये वास्ते बायनवीर बनल हैं. एगो लाल बाबू जब कोइयो मुद्दा पर सरकार पर निशाना साधे का प्लाने करते हैं तो ऊ कियारीधारी नेताजी बउराए लगते हैं. लाल बाबू से पहिले ही ऊ मुद्दा पर एक्स पर निशाना साध देते हैं. बेचारे लाल बाबू तकइत रह जाते हैं. लेकिन करें तो करें का. इ लाल बाबू भी कम न हैं. ईहो ताक में लगल रहते हैं बउरईनी ब्रांड के नशा उतारे में.
बउरईनी महोदय अभी आयातित असम ब्रांड चाय के आगे-पीछे पैडल मारले हैं. पटावे में लगल हैं. दरअसल दुनो नेताजी के लगे लगा है कि आयातित ब्रांड के सहारे तीर-धनुष के निशाना फेल करा देंगे. दुनो के नजर बड़की कुरसिया पर लगल है, सो दुनो लोग तेजी से पैडल मारले हैं, तू डाल-डाल, तो मैं पात-पाता वाला खेल खेल रहिन हैं. तुम बड़का कि हम बड़का. दुनो लोग एक मंच पर दिखाई तो देते हैं, लेकिन दुआ सलाम तक ही दोस्ताना रह गईल है. पार्टियो में एकर चर्चा हो रहल है. बाकी मीडिया और एक्स पर दुनो बयानवीर बनल हैं. एक-दूसरे के नीचा देकावे में जुटल हैं. इहे हाल रहा, तो ई लोग तो पार्टिया के नाशे न करेगा.