Sanjay Singh
अपने राज्य में कोयला नगरी की कथा-कहानी ही निराली है.यहां कोयले से खूब कमाई करते हैं धन व बाहुबल से मजबूत दंबग लोग. जब ढेरे कमाई कर लेते हैं, तो माफिया, डॉन भी कहाए लगते हैं. खूबे गौरवान्वित भी महसूस करते हैं. कमाई के लिए नेताजी लोग के भी सेट कईले रहते हैं. पहिले दबंग भाई लोग नेताजी लोगन के सेट करते थे, लेकिन फिर धीरे-धीरे खुदे नेतई करे लगते हैं. इहे कोयला नगरी में एगो हॉट सीट है. ई सीटवा को लेकर एके परिवार के लोग बंटत-बंटत दो देने हो गए. अब एगो शेर मेंशन हो गया, तो दूसरका कहे लगा असली रघु के कुल ऊहे लोग है. अब ईहे दुगो परिवार ई झारिया सीटवा पर ताकत देखाइले रहता है. ई सीटवा पर कब्जा जमाए लगी परिवारे के लोग एक-दूसरा पर भिड़ल रहते हैं. मारा-मारी करे में भी नहीं पिछुवाते हैं. पहिले ई सीटवा पर सासु मां का कब्जा हुआ. ऊ बेचारी के उम्र भईल, थाके लगली, तो पुतहू राजपाट संभाले ला अगुवाईली.लेकिन राग अलापेवाली पुतहू बेचैन बाड़ी कमल खिलावे ला. उनकर गोतनी पहिले ही ईहां से पंजा लड़ा देले बाड़ी. अब सीटवा ढेरे हॉट हो गईल बा… इहां के लोग गीत गइले हैं, गोतनिया रे गोतनिया. लोगों को खूब मजा भी आ रहिस है. कहे लगे हैं, इहीं सिंहाईन बनाम सिंहाईन का दंगल दिलचस्प होगा.
अब देखिए न राजनीति अईसन लाइइलाज बेमारी है कि का कहा जाए. झरिया में जेने जाइए, लोग गोतनिया रे गोतनिया गाईले हैं. लोगों को खूबे मजा है. लोग कहे लगे हैं- लड्डु लड़े तो झिल्ली झडे़.., हमलोगन को तो लड्डुए से मतलब है. इलाके में इन दिनों काफी दिलचस्प नजारा है. सिंहाईइन वर्सेज सिंहाईन की टक्कर में लोगों की चांदी है. कहीं कोई कार्यक्रम हो रहा है, एक गोतनी पहुंची, तो दूसरकी भी वहां पहुंच जा रही है. लोग गईले हैं, गोतनिया रे गोतनिया… सिंहाईन हो सिंहाईन. अब ई दुनु गोतनी के टक्कर होईए रहा है, तबले एगो लाल बाबू भी इहे सीटवा पर लार टपकाइले हैं. ई बाबू कोल के दुनों तरह के कारोबार करके लाले लाल हो गईल हैं. कई गो आउटसोर्सिंग कंपनियों चलाइले हैं.
पहिले कंपनी के मजदूर लोगन को कीड़ां मकड़ो समझले रहते थे, अब ओकनियो के गोरपरिया कइले फिर रह रहे हैं. लाल बाबू जी भी गीत गईले पिर रहे हैं, माल है तो चाल है, वर्ना सब कंगाल है. ई लाल बाबू के किस्सा-कहाने ढेरे है. फिर लाल बाबू को कोइयो पार्टी भेंटा नहीं रहा है, तो थैली लेले घूम रहे हैं. जेने-तेने मुंह मारले हैं कि कहीं कोई पार्टिया में दाल गल जाए. इ लाल बाबू दुनु गोतनिया की लड़ाई के बीचे से निकले के फिराक में लगत हैं. जब झरिया में झार के न चल पाएंगे, तो धनबादे में जोर लगाएंगे. वइसे लालू बाबू भी ये घरी लोग बाग के लगे खूब जा रहल बाड़ें. इ साहिब चांस में लागल बाड़ें कि जहें दाल गल जाए, ओहिजे चांस ले लिहल जाए. फिलहाल कोयलांटल में गोतनिया रे गोतनिया के साथे-साथे लालबबुआ जी सुर्खियों में हैं. उनके लोग कते हैं कि दो सिंहाईन की टक्कर में सियारवनो के चांस लग जाए, तो फिर क्या कहना.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.
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