Sanjay Singh
बड़की पार्टिया में हाल में एगो नेताजी घुसियाए हैं. कहाए के तो टाईगर कहलाते हैं, राजदुलारा बेटवा के राजनीतिक विरासत सौंपे लगी अकबकाइल हैं. कइसे बेटा जी के राजनीति करावल जाए, एकरे में अझुराइल हैं. बड़की पार्टिया ऊ टाईगर कहावे वाला नेताजी के पहिले से ही होमटास्क देले हैं. पुरनका होमवा में से दु-चार गो संहतिया के फरियावे के जिम्मेवारी भी नेताजी जी पर. बड़की पार्टिया वाला लोग कोल्हान में तीर-धनुषवा के धार कुंद करेला बेचैन है. ऊ लोग चाहते हैं कि चाहे जईसे भी तीर धनुषवा के तोड़-फोड़ कर दीहल जाए. लेकिन नेताजी तो पहिले अपना राजदुलरवा के सेट करे लगी नजर गड़ीईले हैं. राजदुलरवा के लिए कौन सीटवा फिट बईठेगा, ओकरे में दिमाग लगाईले हैं. कभी-कभी ई सोंच के भी अकबका जा रहे हैं कि कहीं बड़की पार्टियावाला लोग बेटाजी के दगा तो न दे देगा. वईसे उनकी पार्टिया में ई गीत जरूर गुनगुनाईल जा रहिस है- सुन चंपा, सुन तारा… कोई जीता- कोई हारा…ई बबुआ तो है तेरा राजदुलारा. वईसे भी बड़की पार्टिया के बड़का-बड़का नेताजी लोगन ई चंपा जी का उपयोग पुरनकी पार्टिया के पोस्टमार्टम करावे ला कर रहे हैं. चंपा जी भी आजकल खुल कर खेल रहिन है. पुरनकी पार्टिया पर निशाना साधे से तनिको न चूक रहे हैं. बड़की पार्टियावाला लोग ई चंपा जी से चाहते हैं कि ऊ ज्यादा से ज्यादा पुरनकी पार्टिया के छीछालेदर कईले रहें. आदिवासी समाज में तीर-धनुष के आउट करावे ला चंपा जी के भरपूर उपयोग कईले हैं. लेकिन चंपा जी का तो पूछिए मत, उ तो आजकल बेटाजी-बेटाजी कईले हैं. गीत गईले हैं, चंदा है तू, सूरज है तू, तू मेरी आंखों का तारा है तू.
अब चंपा जी जबसे अपन कोल्हान और संथाल इलाका में कमल खिलावे के ठेके लेले हैं, तब से तनिका ज्यादा एक्टिव हैं. पुरनकी पार्टियावाला लोग के भी कमल खिलावे ला बुलाइले हैं. लेकिन पेंच पंस रहीस है बेटा जी को लेकर. पुरनकी तीर-धनष पार्टिया में जो लोग उनके चेहेते हुआ करते थे, ऊ लोग कमल खिलावे लगी चंपा जी चक्कर में फंसेंगे कि नहीं, ये तो वक्त बताएगा, लेकिन पुरनका साथी लोग इन्हें चक्कर में जरूर डाल सकता है. अब देखिए न कोल्हान के पूर्वी में एगो इलाका कभी नक्सलियों के खौफ से कुछ ज्यादा ही खौफजदा था. ऊ इलाका के पहाड़ी में एगो हरियर कीमती पत्थर मिलता है. ऊ पत्थरवा ढेरे कीमती है, जेकरा खरीदे ला राजस्थान से भी कारोबारी लोग पहुंच जाता है. ऊहां वाले नेताजी भी चंपा जी करीबी हैं, लेकिन चंपा जी के बेटु राजा भी ऊहे इलाका में ढेरे दिन से नजर गड़ाईले हैं. अब पप्पा जी के लिए परेशानी हो गई है कि पुत्र मोह में पुरनका दोस्त से दोस्ती तोड़ें कि बेटा जी लगी कहीं और ठिकाना देखें. वईसे चंपा जी बेटा जी को अपना बगले में रखना चाहते हैं, ताकि ऊ इनका कंट्रोल में रहे. चंपा महोदय को भरोसा है उनका पुरनका यार भी कमल खिलावे ला आइबे करेगा, तो बेटवा लगी कही औरे देखल जाए.
वईसे चंपा जी अपन और तीन गो पुरनका साथी लोग के कमल खिलावे ला लावे लगी घुसुर-फुसुर कईले हैं. लेकिन जेकरा-जेकरा से संपर्क कईले हैं, ऊ लोग आइए जाएगा ई कहल नहीं जा सकता है. लेकिन चंपा जी जिम्मेवारिया ले लीहिन हैं, तो पूरा करेला एड़ी-चोटी के जोर भी लगाईबे करेंगे. सो लगल हैं, लेकिन ध्यान दु देने लगाईले हैं. सबसे ज्यादा फोकस बेटा जी के जगह धराए पर है. काहें कि चंपा जी के कभी-कभी लगे लगा है कि कहीं बड़की पार्टिया उनका उपयोग कर फेंक न दे. लेकिन चचा चंपा भी पुराना मंझल राजनीति के चकल्लसबाज खिलाड़ी हैं. तू डाल-डाल, तो मैं पात-पातवाला खेला में भी माहिर हैं, देखिए आगे-आगे होता है क्या. बेटाजी के सेट करावे पारते हैं, तीर-धनुष वाला साथी लोगन के कमल खिलावे ला लावे पारते हैं या साइड धरा दीगल जाते हैं. वईसे बड़की पार्टिया के उम्मीद पर केतना खरा उतरते हैं अंकिल चंपा…ई तो आनेवाला समय ही बताएगा. देखना ई दिलचस्प होगा कि बड़की पार्टिया अंकिल के साथ यूज एंड थ्रो गेम खेलती है या अंकिले पार्टिया के यूज करके थ्रो करते हैं. जय हो चंपा, जय हो चंपा अंकिल की.
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