Sanjay Singh
ई है कोईला नगरिया तू देख बबुआ… जी ई कोयला नगरिया ने ढेरे कोईला चोर, कोईला माफिया पैदा किया है. कोईला की कमाई से बउरईनी धरीश तो कई गो नेताजी भी पैदा किहीस है. ई हे कोईला नगरिया से एगो कोयला बेचेवाले नेतई करे लगे. अब तो नेताजी दिल्ली देने उड़ गईल हैं. लेकिन कोईला नगरिया में पैदाईश हैं, तो ईहां तो रहबे न करेंगे. फिर कोईला के खेला-मेला भी तो करेला है न भाई. न तो माल केने से आएगा. कोईला के खेला में वर्चस्व बनाइले रखेला लोकल स्तर पर अपन लोगबाग के फिट रखे पड़ेगा ना भाई. तो जन्मस्थली से अपनी जनाना न तो भाई के कमल ब्रांड दिलावे लगी पेरवी-पउवा भिड़ावे में जुटल हैं. लेकिन जब नेताजी दिल्ली जाए लगी टिकट हथायाले आए थे, तो पार्टियावाला लोगबाग खूब चिल्लपों मचाईले था.
बेचारे विरोध करेवाले लोगन के घरे-घरे खूबे छिछिआए थे. लेकिन बुझा गईल था कि विरोध करेवाला लोग को भितरिए-भितरिए घात करबे करेगा, तो छह गो विधानसभा वाला इलाका में कुछ अपन करीबी लोगन के पटियाए. ऊ लोगन के खूबे तेल-मालिश किकिन… हांका खीचें, बस-बस ?एक बेर तो तनिका जंग जीत लेवे दो भाई, तू लोग के तो चांदिए-चांदिए रहेगा. अरे, जीते तो हमरे न चलेगा. बाकी बड़का नेताजी लोगन के पटियाएवे में हमरा से के सकेगा रे भाई. अपने लोगन को अईसन सब्जबाग दिखाया कि पूछिए मत. अब विधानसभा चुनाउवा नियराईल है, तो खासमकाश लोग ललकाईल है. अब नेताजी के अकबकईनी ढुकल है. ई तो अपने ही चक्कर में लगल हैं.. काहें कि पहिले घरवा भरेगा, तबे न दूसर खातिर कुछ करे सकेंगे. तो नेताजी ऐने-ऊने खुदे ढुलकल फिर रहे हैं और अपने लोगन को ढुला-ढुला के साईड लगाईले हैं. बुझाईए न रहा कि ऊ लोग के कईसे टैकल करें.
वईसे ई नेताजी और अपने जईसन अउरो कोल ग्रुप चंगु-मंगुअन के साथ एगो टाईगर ग्रुप भी बनाईले थे. तैयारी तो बड़कागांव देने से लेकर पूरा कोईला पट्टी में टाईगर गिरोह के दबदबा बनावे ला था. लेकिन सफलता नहीं मिली, लेकिन टाईगर ग्रुपवा के कई गो चंगु-मंगुअन के नेतागीरी के चस्का लगा दीहिन. जब दिल्ली जाए लगी नेताजी एड़ी-चोटी एक कईले थे, पसीने से तरबतर थे, तो ई टाइगरवन सबके चढ़ाईले थे. कहे लगे थे, बस-बास यारा, एक बेर दिल्ली पहुंचे न दो, तू लोग के तो मस्ती रहेबे करेगा. ढेरे टाईगरवन के चढ़ा-चढ़ा के एतना फुला दीहिन कि पूछिए मत. खैर ई नेताजी दिल्ली तो पहुंच गईन, लेकिन जेकरा-जेकरा चढ़ाईले थे, उ सब हांफले है. ऊ लोग दांत निपोरले है, लेकिन नेताजी ऊ लोग से भागल-भागल फिर रहे हैं. अपन लोग के जेने-तेने ढुलका-ढुलका के साइड धराइले हैं. दिल्ली लगी पैडल मारे समय नेताजी अपन जे-जे लोग के सब्जबाग दिखाइले थे, ऊ लोग के बुझाए लगा है कि नेताजी उलू बना दीहिन हैं. कहे लगे हैं कि पहिले नेताजी ऊ लोगन के खूब चढ़ाईले थे. अईसन ललचाईले थे कि पूछिए मत. लेकिन चुनाउवा जीते के बाद तो नेताजी पलटनिया मार दीहिन हैं.
अब भला बताई ने अपन लोग के ढुला-ढुला के ढुलकी खेलावेवाले नेताजी भला कहां से सीटिंग, वेटिंग फॉर सीटिंग के साइड लगाके अपन लोग के सेट करे पारेंगे. इसीलिए भागल-भागल फिर रहे हैं. जाने लगे हैं कि ढेर ई सब के चक्कर में पड़ेंगे, तो न तो अपन जनाना के आगे कर पाएंगे, न लवली भाईजी के. भाई नेताजी तो हैं चतुर चालाक. उनके बुझाए लग गईल है कि भले ही दिल्ली पहुंचगिये हैं, लेकिन सच तो ईहे है कि ई बड़की पार्टिया में उनकी हैसियत बिल्लीए जईसन है. वईसे नेताजी के फोकसिया टाइटे है. लेकिन ई बुझाए लगा है कि ईहां ढेरे टरर-टरर कईला से कोई फायदा न होवेवाला है. नेताजी के मालूम है कि खिसियाईल-रिसाईल साथी लोगन के कईसे पटावे ला है. अरे तनिका-तनिका कोल ब्रांड मालवा पियावेंगे, तो बात बनिए जाएगा. वईसे ई महोदय जी अभी अपन जनानी और भाई लगी माल-पत्तर छीटले हैं. अब देखिए आगे-आगे ई नेताजी का-का गुल खिलाते हैं. बीवी-भाई के कमल ब्रांड क्लीनिंग मशीनवा में ढुकावे पारते हैं कि हबकुनिए फेंकाते हैं. वईसे खुदे ढेरे केस मुकदमा में अझुराईल हैं, लेकिन कमल ब्रांड क्लीनिंग मशीनवा में आवे के बाद से नेताजी के भरोसा हो गईल है कि दागिया छूट जाएगा. वईसे ई पार्टिया के बड़का नेताजी लोगन तो ईहो कहते हैं, ये दाग अच्छे हैं.
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