Ranchi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज के ही दिन चार साल पहले रात 8 बजे देश को संबोधित करते हुए नोटबंदी की थी. इसमें उन्होंने 500 और 1,000 रुपए के नोट बंद करने की घोषणा कर दी थी. एकाएक हुयी इस घोषणा से बाजार में चल रही 86% करेंसी महज रद्दी कागज का टुकड़ा बनकर रह गयी थीं. स्थिति को सामान्य होने में 3 ते 4 महीने का समय लग गया था. ATM से पैसे निकालने और बैंकों में पैसे जमा करने के लिए लगी भीड़ आज भी लोगों को याद है. बैंकों की लाइन में ही पूरे देश के 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी थी. उस समय इन मौतों पर जमकर राजनीति भी हुयी थी.
दावों का धरातल पर नहीं दिखा था असर
सरकार ने नोटबंदी को काले धन के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बताया. लेकिन, भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि 99% करेंसी बैंकों में आ गयी. यानी काले धन को लोगों ने असेट्स में कन्वर्ट कर लिया. कुछ हद तक डिजिटल पेमेंट्स में बढ़ोतरी आयी. लेकिन कुछ समय बाद वह भी कैश इकोनॉमी में कन्वर्ट होती गयी. शुरुआत में सरकार ने यह भी दावा किया था कि जाली नोट की समस्या खत्म हो जायेगी. लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला.
क्या- क्या हुआ था नुकसान
- नोटबंदी की वजह से GDP ग्रोथ रेट जरूर घट गया था.
- आर्थिक विकास दर घटकर 5% के आसपास हो गयी थी.
- कारोबारी गतिविधियां ही कुछ समय के लिए थम सी गयी थी.
सरकार ने अपने अवैध रुपयों को वैध किया था- कांग्रेस
कांग्रेस नें नोटबंदी को देश का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिये था. कांग्रेस पार्टी के अनुसार विमुद्रीकरण सबसे बड़ा घोटाला है क्योंकि सरकार ने इसके जरिये अपने अवैध रुपयों को वैध बनाने के लिए गलत लोगों की मदद की और झूठे वादे करके देश के गरीब लोगों के साथ धोखा किया है. प्रधानमंत्री की यह सीधी जिम्मेदारी है क्योंकि यह उनका व्यक्तिगत निर्णय था. प्रधानमंत्री को अपनी गलती स्वीकारते हुए इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और माफी मांगनी चाहिए.
नोटबंदी के कई सकारात्मक प्रभाव – भाजपा
नोटबंदी के बारे में ऐसे तो ज्यादातर भाजपा के नेता बोलने से बचते हुए दिखायी देते हैं. लेकिन फिर भी कुछ तर्क देते हुए दिखायी देते हैं. भाजपा नेताओं का कहना है कि नोटबंदी के कारण होम लोन की ब्याज दरों में 3% तक की गिरावट आया थी. साथ हीं नोटबंदी के चलते कैशलेश ट्रांजैक्श न बढ़ने में काफी मदद मिली थी.
नोटबंदी के दौरान कैश की किल्लैत होने से न सिर्फ लोगों ने ज्या दा डिजिटल ट्रांजैक्शैन किए, बल्कि सरकार की तरफ से भी इसके प्रोत्सादहन के लिए काफी कदम उठाए गये.इसके साथ ही टैक्स भरनेवालों में इजाफा होने का भी दावा करने ते भाजपा नेता नहीं चूंकते.