Ranchi : झारखंड में नई शराब नीति लागू करने को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने रविवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर सुझाव दिया. उन्होंने पत्र में कहा कि झारखंड की सामाजिक संरचना में हजारों गरीब, दलित और आदिवासी महिलाएं हैं, जो सड़क किनारे हड़िया, दारू बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं. आप भी उसी समाज से आते हैं, इसलिए आप खुद भी आदिवासी महिलाओं की स्थिति से अवगत होंगे. बाबूलाल ने सीएम से आग्रह किया कि जिस प्रकार केंद्र सरकार पेट्रोल पंप और गैस एजेंसी के लाइसेंस इश्यू करने में दलित, आदिवासी, महिला, दिव्यांगों और सेना से सेवानिवृत्त जवानों को प्राथमिकता देती है, उसी प्रकार राज्य सरकार भी देशी-विदेशी शराब दुकानों का लाइसेंस जारी करने में गरीब आदिवासी महिलाओं व सेना से सेवानिवृत्त जवानों को प्राथमिकता दें. उन्होंने पत्र में लिखा है कि चूंकि शराब नीति का निर्धारण पंचायती राज विभाग और ग्रामसभा का विषय है, इसलिए सरकार से आग्रह है कि वह इन विभागों की मदद से ऐसी नीति तैयार करें, जो अदिवासी महिलाओं के हित में हो.
पिछली दो शराब नीति जनता के शोषण व राजस्व नुकसान का कारण बनी
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मरांडी ने पत्र के जरिये सीएम को बताया कि इससे पहले आपके नेतृत्व में दो बार शराब नीति लागू की जा चुकी है, लेकिन वह राज्य हित में नहीं थी. दोनों शराब नीतियां राज्य की जनता के शोषण व सरकारी राजस्व के नुकसान का करण बनी. निर्धारित मूल्य से अधिक दरों पर शराब बेचने के कारण जनता से अवैध वसूली की गयी, जिससे सिर्फ शराब माफिया व दलालों को लाभ हुआ.
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