Godda : बसंतराय प्रखंड मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक बसंतराय तालाब के किनारे बिसुवा मेला की शुरुआत 14 अप्रैल से हुई. मेला में आए श्रद्धालु इस तालाब में आस्था की डुबकी लगाते हैं. प्रत्येक वर्ष बैशाख महीने में यह मेला लगता है. पंद्रह दिनों तक चलने वाला इस मेला का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व है. तालाब में सुबह से ही आदिवासी व गैर आदिवासी श्रद्धालु स्नान करना शुरू कर देते हैं. साफा होड़ आदिवासी समुदाय के लोग तालाब में डुबकी लगाने के बाद सादे लिबास पहनकर कांसा के बर्तन में पूजा-अर्चना शुरू करते हैं. सभी अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलते हुए पूजा में सम्मिलित होते हैं. साफा होड़ आदिवासी बनने के बाद मांस मदिरा का त्याग कर शुद्ध व सात्विक जीवन यापन करना पड़ता है. पूजा-अर्चना के बाद गुरू दीक्षा ली जाती है. इस तालाब का पौराणिक धार्मिक महत्व भी है. धार्मिक आस्था को समेटे इस तालाब की खुदाई मुगल काल में बसंत राजा ने कराई थी. मेला लगने के समय से ही श्रद्धालु इसमें आस्था की डुबकी लगाते आ रहे हैं.
यह भी पढ़ें : गोड्डा : बाइक चोर गिरोह का हुआ खुलासा, चार मोटरसाइकिल के साथ पांच गिरफ़्तार