Ranchi : सरकार हर साल 10 अनुसूचित जनजाति के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजेगी. वह विदेश से मास्टर व एमफिल की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे. इस संबंध में कल्याण विभाग ने संकल्प जारी कर दिया है.
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वित्तीय वर्ष से भेजने की हो रही तैयारी
अगले वित्तीय वर्ष से छात्र-छात्राओं को भेजने की तैयारी की जा रही है. कल्याण विभाग द्वारा छात्र-छात्राओं के चयन के लिए जल्द ही प्रक्रिया शुरू की जायेगी. विदेश भेजने की योजना का नाम मरड गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति रखा गया है. इस योजना के तहत अनुसूचित जनजाति के 10 छात्र-छात्राओं का चयन किया जाएगा.
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15 विश्वविद्यालय के 22 विषयों में ले सकेंगे शिक्षा
चयनित छात्र-छात्राएं ब्रिटेन और नार्थ आयलैंड के University of Oxford, University of Cambridge, Imperial college of Londan, London School Of Economics and Political Science, Loughborough University समेत 15 विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे. इन विश्वविद्यालय व संस्थानों में Anthropology, Sociology, Economics, Education, Agriculture, Climate Change, Women Studies, Urban Planning, public Health समेत 22 विषयों में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं.
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सारा खर्च सरकार करेगी वहन
विभिन्न कोर्स के लिए स्ताकोत्तर व एमफिल की पढ़ाई के लिए कोर्स के अनुसार एक से दो वर्ष का समय दिया जाएगा. इस दौरान सारा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा. सरकार कॉलेज का फीस, पुस्तक, अध्ययन दौरा, लैपटॉप आदि का खर्च देगी. साथ ही चयनित छात्र-छात्राओं को बीजा शुल्क, हवाई यात्रा का खर्च, स्वास्थ्य बीमा का खर्च, स्थानीय यात्रा खर्च आदि भी राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.
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चयन समिति आवेदनों पर लेगी अंतिम फैसला
कल्याण विभाग द्वारा विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक छात्र-छात्राओं से जल्द ही आवेदन मांगा जाएगा. इसके लिए विभाग द्वारा विज्ञापन निकाला जाएगा. आवेदनों की जांच के लिए विभाग ने एक समिति बनाई है. इस समिति में योजना व वित्त विभाग, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा व आवेदनों के अनुरूप एक विषय विशेषज्ञ को समिति में सदस्य बनाया गया है.
यह समिति प्राप्त आवेदनों पर विचार कर चयन पर अंतिम निर्णय लेगी. समिति आवेदनों का स्क्रूटनी कर 10 छात्र-छात्राओं का चयन करेगी और पांच को प्रतीक्षारत रखा जाएगा.
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परिवार के एक बच्चे को मिलेगा लाभ
विदेश में पढ़ने का मौका एक ही माता-पिता या अभिभावक के किसी एक बच्चे को ही मिलेगा. वही छात्र-छात्राओं केवल उच्च शिक्षा के लिए जा सकेंगे, जिनकी अधिकतम उम्र 40 साल से अधिक नहीं होगी. स्नातक में कम से कम 55 फीसदी अंक होना अनिवार्य है. अगर किसी के पास संबंधित विषय का दो वर्ष का अनुभव होगा तो उन्हें प्राथमिकता मिलेगी. राज्य का स्थानीय और जाति प्रमाण पत्र आवश्यक होगा. माता-पिता व अभिभावक का वार्षिक आय 12 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए.
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अप्रैल में भेजने की तैयारी
कल्याण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पढ़ाई के लिए विदेश भेजने की योजना अगले वित्तीय वर्ष से है. इस पर करीब 10 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है. अगले वित्तीय वर्ष के बजट में इसके लिए अलग से प्रावधान किया जाएगा. अप्रैल में छात्र-छात्राओं को भेजने की तैयारी शुरू की जा रही है. विभाग द्वारा इसके लिए जरूरी प्रक्रियाएं पूरी की जा रही है.
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