NewDelhi : खबर है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील और हिंसक कंटेंट को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में गहन मंथन चल रहा है. नये कानूनों की जरूरत पर विचार किया जा रहा है. मंत्रालय ने संसद की एक कमेटी को जानकारी दी है कि समाज में इस बात की चिंता बढ़ती जा रही है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग किया जा रहा है. इसे ढाल बना कर आपत्तिजनक कंटेंट प्रसारित किया जा रहा है.
केंद्र सरकार ने अश्लील विषयवस्तु पर अंकुश लगाने के इरादे से सभी ओटीटी मंचों को चेताया है कि वे देश के कानून का कड़ाई से पालन करें, नहीं तो सख्त कार्रवाई होगी. सोशल मीडिया पर अश्लील चुटकुलों को लेकर उपजे विवाद के बीच, केंद्र ने ओटीटी मंचों को हिदायत दी है कि वे कानून में निषिद्ध घोषित सामग्री प्रसारित करने से परहेज करें.
अलाहाबादिया के अश्लील बयानों को लेकर समाज में काफी गुस्सा
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता वाली संचार और सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति को मंत्रालय ने बताया है कि वर्तमान कानूनों के तहत कुछ प्रावधान मौजूद हैं, लेकिन इस तरह के नुकसान पहुंचाने वाले कंटेंट पर काबू पान के लिए एक सख्त और प्रभावी कानूनी ढांचे की आवश्यकता है. जान लें कि हाल ही में इंडियाज गॉट लेटेंट नामक एक शो में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणवीर अलाहाबादिया के अश्लील बयानों को लेकर समाज में काफी गुस्सा भड़क गया है.
अलाहाबादिया के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज, माफी मांगे जाने के बाद भी विवाद कम नहीं
बदलते घटनाक्रम के बीच सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि अलाहाबादिया को गिरफ्तारी से राहत तो दी, लेकिन उनके बयानों की कड़ी फटकार भी लगाई. अलाहाबादिया के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किये गये. उनके दवारा माफी मांगे जाने के बाद भी विवाद कम नहीं हुआ है. सबसे बड़ी बात कि इस मामले में उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय, सांसदों और राष्ट्रीय महिला आयोग जैसी वैधानिक संस्थाओं ने भी चिंता जताई है.
मंत्रालय विचार-विमर्श के बाद एक विस्तृत नोट प्रस्तुत करेगा
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने समिति को जानकारी दी कि वह विचार-विमर्श के बाद एक विस्तृत नोट प्रस्तुत करेगा. बता दें कि समिति ने 13 फरवरी को मंत्रालय से पूछा था कि नयी प्रौद्योगिकी और मीडिया प्लेटफार्मों के उदय को देखते हुए विवादास्पद कंटेंट पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा कानूनों में क्या संशोधन आवश्यक हैं.वैसे तो वर्तमान में समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के लिए सख्त नियम हैं, लेकिन ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म, यूट्यूब (YouTube) और सोशल मीडिया पर कंटेंट को कंट्रोल करने के लिए कोई खास कानून अभी नहीं है. इसी कारण कानूनों में संशोधन की मांग की जा रही है.
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