Special Correspondent
Ranchi : झारखंड में लौह अयस्क लीज घोटाला और लौह अयस्क की तस्करी की धूम काफी पहले से रही है. लेकिन ताजा मामला ग्रेड घोटाले का है. इसके तहत नीलाम किये जानेवाले लौह अयस्क का ग्रेड घटाकर अवैध कमाई का नायाब जरिया इजाद किया गया है. हाल ही यह करतूत पदम कुमार जैन की निरस्त ठकुरानी लौह अयस्क खदानों के सरफेस पर पाये गये 1,01,723.6 टन लंप्स और फाइंस लौह अयस्क की नीलामी के लिए की गयी. झारखंड राज्य खनिज विकास निगम ने 8 जून को इस खदान से लौह अयस्क की बिक्री के लिए ई-नीलामी की निविदा निकाली है. यह नीलामी भारत सरकार के उपक्रम MSTC Ltd के जरिये ऑनलाइन फॉरवर्ड नीलामी प्रक्रिया के माध्यम से की जायेगी. ग्रेड घटाने से सरकार को 20 करोड़ का नुकसान होगा और यह पैसा इस खेल में शामिल लोगों के बीच बंट जायेगा.
जुर्माने की भरपाई के लिए होनी है अयस्क की नीलामी
पश्चिम सिंहभूम में 84.68 हेक्टेयर की इन खदानों से पदम कुमार जैन को लौह अयस्क खनन का पट्टा मिला हुआ था, जिसे 2019 में निरस्त कर दिया गया था. इसके पूर्व कॉमन कॉज मामले में स्वीकृत पर्यावरण क्षमता से अधिक अयस्क खनन के आरोप में लीजधारक पर 334.74 करोड़ रुपये बतौर जुर्माना सरकार का बकाया था. जुर्माने के विरूद्ध जैन ने माइंस ट्रिब्यूनल से लेकर हाईकोर्ट तक का दरवाजा खटखटाया तो आदेश हुआ कि सरकार 2019 के पूर्व ठकुरानी माइंस से निकालकर सरफेस पर रखे गये अयस्क की नीलामी कर जुर्माने की भरपाई कर ले. सरकार ने यह नीलामी अपनी एजेंसी जेएसएमडीसी की मार्फत कराने का फैसला लिया था. इसके एवज में जेएसएमडीसी को नीलामी से प्राप्त रकम का पांच प्रतिशत अदा करने का आदेश जारी किया.
इसे भी पढ़ें – PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप संगठन को मजबूत करने के लिए युवाओं को जोड़ने में जुटा, हर महीने सैलरी का दे रहा प्रलोभन
13 स्टॉक से 1,01,723.6 टन लौह अयस्क की मापी हुई
इसी संदर्भ में खान निदेशक ने विगत 25 मई को पत्र जारी कर नौ सदस्यीय टीम बनाई. इस टीम को राजाबेड़ा और ठकुरानी लौह अयस्क खदान के सरफेस पर मौजूद लौह अयस्क की मापी करनी थी, ताकि उसकी नीलामी की जा सके. इस टीम का नोडल पदाधिकारी पलामू के डीएमओ को बनाया गया था, जबकि खूंटी के डीएमओ सह जीएम जेएसएमडीसी, जेएसएमडीसी के परियोजना पदाधिकारी, डीएमओ पश्चिम सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम के दो खान निरीक्षक और पूर्वी सिंहभूम के दो सर्वेयरों को बतौर सदस्य नामित किया गया था. पश्चिम सिंहभूम के डीएमओ ने लीजधारक पदम कुमार जैन को पत्र लिखकर सूचित किया था कि अयस्क मापी के दौरान 29 मई को वे मौके पर मौजूद रहें. लेकिन जैन ने 28 मई को प्रेषित अपने पत्र में कोविड प्रोटोकॉल और उनपर बकाया रकम के संदर्भ में भारत सरकार के समक्ष लंबित पुनरीक्षण याचिका का हवाला देते हुए उपस्थित होने से मना कर दिया. इन्हीं परिस्थितियों में माइंस साइट पर मौजूद 13 स्टॉक (ढेर) लौह अयस्क की मापी की गई, तो लंप्स और फाइंस मिलाकर कुल 1,01,723.6 टन लौह अयस्क पाया गया.
निदेशालय से लैब पर दवाब देकर 62 से 57 करा दिया ग्रेड
असल खेल लौह अयस्क की मापी के बाद शुरू हुआ. कुछ अरसा पहले शाह ब्रदर्स मामले में हल्ला-हंगामा हुआ था कि साइट पर मौजूद लौह अयस्क की कम मापी की गयी थी. सो, इस बार क्वांटिटी के बजाय क्वालिटी का दूसरा तरीका अपना लिया गया. पदम जैन की ठकुरानी साइट पर पाये गये लौह अयस्क की क्वालिटी में हेरफेर करने का रास्ता अख्तियार किया गया. बहरहाल, माइंस साइट पर बरामद अयस्क की क्वालिटी का नमूना जांच डीएमओ स्तर से कराने के बजाय एसएमडीसी की मार्फत कराया गया. उन्होंने 30 मई को क्वालिटी जांच के लिए 13 नमूने स्टेट जियोलाजिकल लेबोरेटरी, हजारीबाग को सौंपा. जैसा कि पता चला, नमूना जांच रिपोर्ट में निदेशालय स्तर से दबाव बनाकर हर नमूने में मौजूद लौह तत्व की औसतन पांच प्रतिशत कमी दिखाने को विवश कर दिया गया. मसलन, जिस नमूने में लौह तत्व 62 प्रतिशत है, उसे 57 प्रतिशत दिखा दिया गया. यहां यह उल्लेखनीय है कि ठकुरानी माइंस 1908 से चल रही थी. पहले यह टाटा समूह को आवंटित थी. पदम जैन को यह तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा 1995 में आवंटित की गयी थी. इसका आयरन ओर अपनी गुणवत्ता के लिए विख्यात है. इन्हीं अयस्कों में मौजूद लौह तत्व के संदर्भ में लीजधारक पूर्व में इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस को जो मासिक रिपोर्ट देता आया था, उसके सापेक्ष वर्तमान नमूना जांच रिपोर्ट में अपेक्षाकृत कम प्रतिशत दर्शाया जाना किसी के भी गले नहीं उतर सकता. दोनों रिपोर्टों में तालमेल नहीं होना सीधे-सीधे शक पैदा करता है.
इसे भी पढ़ें –धनबाद : सोनारडीह में हो रहा अवैध कोयला कारोबार, प्रत्येक दिन 5 ट्रक कोयला का उठाव, देखे वीडियो
ग्रेड में 5 फीसदी कमी से दो हजार रुपये टन का आता है अंतर
जानकारों का कहना है कि बरामद अयस्क के लौह तत्व में औसतन पांच प्रतिशत कमी दिखाने से इसकी कीमत में करीब दो हजार रुपये प्रति टन का अंतर आ जायेगा. इस प्रकार एक लाख 17 हजार टन की नीलामी से कम से कम बीस करोड़ रुपये का अंतर आयेगा. यह राशि बीडर से सीधे नकद में ले लेने की योजना कामयाब हो सकती है. जाहिर है कि सरकार के खजाने को इतनी राशि का सीधा नुकसान होगा और इस खेल में शामिल अफसरों को सीधा फायदा मिलेगा.
कैसे होता है ग्रेड कम करने का खेल
दरअसल ग्रेड कम करने का खेल कोई नया नहीं है. निजी माइंस ओनर काफी पहले से इस काम को अंजाम देते आये हैं. अयस्क का ग्रेड स्टेट जियोलॉजिकल लेबोरेटरी, हजारीबाग द्वारा सत्यापित किया जाता है. होता यह है कि यदि किसी खान में 60 ग्रेड का अयस्क है, तो वह लैब में सेटिंग कर ग्रेड कम करा देता है. अगर ग्रेड 60 के बदले 58 दिखा दिया जाता है, तो कीमत काफी घट जाती है. इससे सरकार और इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस को दी जानेवाली रॉयल्टी की राशि भी कम हो जाती है. और खरीदार से मार्जिन मनी कैश में ले ली जाती है. निजी खदानों में बरसों-बरस से चले आ रहे इस खेल को इस बार सरकारी एजेंसियों ने अपना लिया है.