Gurabanda : विलुप्त होती आदिम जनजाति के सबर जाति के उत्थान के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है. लेकिन जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों का इन जनजाति के लोगों पर ध्यान नहीं जा रहा है. प्रखंड की भालकी पंचायत अंतर्गत बागजाता गांव के सबर टोला के 30 सबर परिवार के लोग झरने के पानी से अपनी प्यास बुझा रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि टोला में स्थापित जलापूर्ति योजना तीन माह से खराब पड़ा है. परंतु इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. बरसात के मौसम में खेत में बने झरने का पानी पीकर सबर जनजाति के लोग बीमार भी हो सकते हैं.
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महिलाएं आधा किलोमीटर दूर चलकर पानी लाती हैं
पेयजल के पानी के लिए सबर महिलाओं को आधा किलो किलोमीटर दूर रोजाना चलकर जाना पड़ता है. खेत में बने झरने का पानी गंदा नहीं हो, इसके लिए सबरों ने अपने खर्चे से ऊपर से रिंग बैठा दिया है. इस बाबत बागजाता सबर टोला के ग्रामीणों ने बताया कि तीन महीने पहले सौर ऊर्जा से संचालित जलापूर्ति योजना से तैयार पानी टंकी का मोटर ठेकेदार खोल कर अपने साथ ले गया. मोटर कब लगेगा पता नहीं है. जल मीनार दर्शन की वस्तु बनकर रह गई है. ऐसे में सबर जनजाति खेत में बने झरने के पानी को पेयजल के लिए उपयोग कर रहे हैं. इस मौके पर गोपाल सबर, काजल सबर, सोमवारी सबर, केसरी सबर, मालती सबर, पानो सबर, सीता सबर ने जलमीनार का मोटर ठीक कराने की गुहार लगाई.