Lucknow : उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ की घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने अपनी रिपोर्ट में आयोजकों, अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है. रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने मंगलवार को संबंधित उप जिलाधिकारी (एसडीएम) और पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) समेत छह लोगों को निलंबित कर दिया. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
जांच समिति ने भगदड़ में साजिश की आशंका से इनकार नहीं किया
एक आधिकारिक बयान में यह जानकारी दी गयी. बयान में एसआईटी की जांच के तथ्यों को सार्वजनिक किया गया है, जिसके अनुसार जांच समिति ने भगदड़ में साजिश की आशंका से इनकार नहीं किया है. साथ ही कार्यक्रम आयोजक तथा तहसील स्तरीय पुलिस तथा प्रशासन को भी दोषी पाया है. एसआईटी की संस्तुति पर एसडीएम, सीओ, तहसीलदार, निरीक्षक, चौकी प्रभारी को अपने दायित्व के निर्वहन में लापरवाही के जिम्मेदार ठहराते हुए निलंबित कर दिया गया है. हाथरस जिले के फुलरई गांव में दो जुलाई को नारायण साकार विश्व हरि के नाम से लोकप्रिय भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गयी थी तथा 31 अन्य घायल हो गये थे.
उच्चतम न्यायालय जनहित याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि हाथरस के भगदड़ मामले की जांच का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है. इस हादसे में 121 लोगों की मौत हो गयी है. भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, मैंने कल ही याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. याचिकाकर्ता और वकील विशाल तिवारी ने इस याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था. जनहित याचिका में भगदड़ मामले की जांच करने के लिए उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति का अनुरोध किया गया है.
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