Bismay Alankar
Hazaribagh: हजारीबाग इलाके से सटा चतरा का इलाका कभी नक्सलियों का गढ़ माना जाता था. इस इलाके में आए दिन नक्सलियों की सभा होती थी. जन अदालत लगाए जाते थे. इस इलाके में आमलोगों की आवाजाही न के बराबर थी. लेकिन एब ऐसा नहीं है. परिस्थितियां बदली हैं. जहां कभी गोलियों की गूंज सुनाई पड़ती थी, वहां अब किसान मेहनत का पसीना बहाकर खेती कर रहे हैं. वह है हजारीबाग जिले से लगभग 50 किलोमीटर दूर केरेडारी प्रखंड का सलगा गांव.
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इस गांव में किसान गोपाल प्रसाद यादव ने जरबेरा की खेती कर एक बेहतरीन पहल की है. इसका फायदा यह हुआ है कि आसपास के किसान भाई उस क्षेत्र में खेती करने लगे हैं. एक समय यह गांव अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता था. दिनदहाड़े गोलियों की गूंज इस इलाके में सुनाई पड़ती थी. चतरा जिले से सटे होने के कारण और घने जंगल और पहाड़ियों से घिरे होने के कारण यह इलाका नक्सलियों का ठिकाना हुआ करता था. पुलिस की दबिश बढ़ी तो नक्सलियों को भागना पड़ा. लेकिन नक्सलियों का खौफ खत्म नहीं हो रहा था. दशकों से इस इलाके में खेती नहीं होने से जमीन पर झाड़ियां उग आयी थीं.
इसी इलाके से कभी बाहर गए गोपाल प्रसाद यादव जब लॉकडाउन में अपने घर वापस लौटे तो उन्होंने अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती करने का संकल्प लिया. आसपास के लोगों ने उन्हें कहा कि यह खतरे से खाली नहीं है. लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी. धीरे-धीरे जमीन को सुधारना शुरू किया. जमीन ठीक कर जरबेरा की खेती शुरू कर दी. इस तरह से एक पॉलीहाउस में फूल की खेती लहलहा उठी. कुछ दिनों बाद उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी. आसपास के किसानों ने जब देखा तो वे काफी प्रभावित हुए. फिर दूसरे किसानों ने भी फूल की खेती शुरू कर दी.
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किसान फिर से खेती करने लगे हैं
पुलिस अधीक्षक चौथे मनोज रतन बताते हैं कि इस इलाके में लगातार नक्सलियों की आवाजाही को कम करने का प्रयास हुआ है. पुलिस के दबाव का नतीजा है कि इलाके से अब नक्सलियों के पांव उखड़ गए हैं. आमलोगों में पुलिस के प्रति जो विश्वास बढ़ा है उसी का परिणाम है कि इलाके में किसान फिर से खेती करने लगे हैं और मुनाफा कमाने लगे हैं. इससे इस क्षेत्र में जो पलायन होता था वह भी रूक गया. यह इलाका नक्सलियों के नरसंहार का गवाह भी रहा है. आज जहां फूलों की खेती हो रही है वहां से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर दो दशक पूर्व बेलतू नरसंहार हुआ था. जिसमें दर्जन भर लोगों की नक्सलियों ने बेदर्दी से हत्या कर दी थी. झारखंड अलग होने के बाद नक्सलियों की यह पहली सबसे बड़ी घटना थी. हालांकि अब यह बातें पुरानी हो गई हैं. किसानों ने अपनी मेहनत से इस क्षेत्र की पहचान बदल दी है. अब इस इलाके में फूलों की महक हर तरफ फैल रही है.
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