Hazaribagh : जिले में अवैध कोयले का कारोबार रुक-रुककर या फिर एक-दो दिन रुककर जारी है. कोयला के अवैध कारोबार से अफसरों को हर दिन 16 लाख की कमाई कर रहे हैं. बड़कागांव, चरही और विष्णुगढ से एक-दो दिन में 20 ट्रक कोयला निकाला जाता है. इसके एवज में अफसरों को प्रति ट्रक 80 हजार रूपया दिया जाता है. इस तरह से हर दिन 16 लाख रूपये की एक दिन में वसूली होती है. वहीं महीने के करीब बीस दिन अवैध कोयला लदा ट्रक हजारीबाग से बनारस की मंडी जाता है. ऐसे में पूरे एक महीने में करीब 3.50 करोड़ रूपये की वसूली होती है.
गौ तस्करी के तर्ज पर हो रही कोयले की तस्करी
कोयला तस्कर गौ तस्करी के तर्ज पर कोयले की तस्करी कर रहे हैं. जिस तरह से गौ तस्कर ट्रक का नंबर प्लेट को बदल देते हैं, उसी तरह से कोयला तस्कर द्वारा भी ट्रक का नंबर प्लेट बदलकर तस्करी करने का मामले सामने आया है. रविवार को हजारीबाग में दो अवैध कोयला लदे ट्रक को पकड़ा गया था. उसमें एक ऐसा ट्रक शामिल था, जिसका इसी नंबर का दूसरा ट्रक टाटीझरिया में खड़ा था. तस्कर पुलिस को गुमराह करने के लिए इस तरह का खेल कर रहे हैं.
किसके संरक्षण में हो रहा अवैध कोयला का करोबार:
जिले के बड़कागांव, विष्णुगढ़, चरही और केरेडारी इलाके से कोयले का अवैध खनन जारी है. ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि किसके संरक्षण में कोयले का अवैध खनन किया जा रहा है. बड़कागांव इलाके से हर दिन 40-50 ट्रैक्टर कोयला खनन कर निकाली जा रही है. इसके बाद इसे ट्रैक्टर में लोड कर बासाडीह स्थित कोयला डिपो में गिराया जाता है. इसके अलावा चरही कोयला साइडिंग से भी कोयला बासाडीह के डिपो में गिराया जाता है. फिर इसे ट्रक में लोडकर मंडी में भेजा जाता है.
व्यवस्था मैनेज कर हो रहा अवैध कारोबार
सूत्रों की मानें तो अवैध कारोबारी पूरी व्यवस्था को मैनेज कर कारोबार कर रहे हैं. इसमें सच्चाई भी नजर आ रही है. क्योंकि कोयले का अवैध कारोबार धडल्ले से हो रहा है, पर इसको रोकने वाले मौन हैं. सूत्रों ने बताया कि पूरी रात तय स्थान पर अवैध कोयले का भंडारण होता है. रात में ही ट्रकों से कोयले को बाहर भेजा जाता है. इतनी गतिविधि होने के बाद भी किसी का ध्यान नहीं जाना ही कई गड़बड़ियों की ओर इशारा करता है.