Ranchi: गिरिडीह के एक शिक्षक पिछले एक साल से प्रोजेक्ट भवन स्थित शिक्षा विभाग के दफ्तर का चक्कर काट रहे हैं. 1 दिसंबर 2020 से शिक्षक दिनेश कुमार मंडल हर रोज शिक्षा विभाग के दफ्तर सुबह 10 बजे पहुंच जाते हैं, फिर शाम 5 बजे तक वहीं भटकते रहते हैं. इस उम्मीद से कि शायद आज शिक्षा सचिव से मुलाकात हो जाये, लेकिन एक साल में उनकी एक भी दिन सचिव से मुलाकात नहीं हो पाई. दिनेश कुमार मंडल गिरिडीह जिला के बिरनी प्रखंड स्थित गारागुरो कन्या मध्य विद्यालय में हेडमास्टर हैं. वे इस स्कूल में 1996 से बतौर शिक्षक नियुक्त हुए थे. 2006 में स्कूल का सरकारीकरण हो गया. तब स्कूल में दो शिक्षक थे. एक हेडमास्टर दिनेश और दूसरी उप प्राचार्य स्नेहलता कुमारी. स्नेहलता भी 1992 में स्कूल में बतौर शिक्षक नियुक्त की गई थीं. जब 2006 में स्कूल का सरकारीकरण हुआ तो दोनों शिक्षकों को लगा कि अब उनकी किस्मत बदल जाएगी, लेकिन 14 साल तक उन्हें वेतन और एरियर का भुगतान नहीं हुआ. वेतन नहीं मिलने पर दोनों शिक्षकों ने डीएसई, सचिवालय और कोर्ट के जो चक्कर लगाने शुरू किये वो अबतक जारी है.
दिनेश का दावा- वेतन भुगतान के लिए राशि भेजी गई, लेकिन मिली नहीं
दिनेश कुमार मंडल का दावा है कि सुप्रीम कोर्ट और पटना हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षक संघ बनाम अदर्स केस में 2006 और 1999 में 119 स्कूलों के शिक्षकों के वेतन भुगतान का आदेश दिया था. इस सूची में उनका स्कूल भी 13वें स्थान पर था. इस फैसले के बाद उन्होंने अपने लंबित वेतन भुगतान के लिए तात्कालीन शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर वेतन भुगतान करने का आग्रह किया. जिसके बाद शिक्षा सचिव ने लंबित वेतन भुगतान के लिए 15 लाख रुपये गिरिडीह जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय को भेजा. वहां से इस राशि को डीएसई को ट्रांसफर किया गया, लेकिन यह राशि अबतक नहीं बांटी गई.
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राष्ट्रपति सचिवालय, सीएमओ, सीएस, विभाग को भेजा जा चुका है पत्र
दिनेश कुमार मंडल अपनी मांग को लेकर मुख्य सचिव से भी मिल चुके हैं. मुख्य सचिव कार्यालय की से उनके पत्र को शिक्षा विभाग भी भेजा गया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से 4 अगस्त 2021 को एक पत्र शिक्षा सचिव को भेजा गया, जिसमें पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा पारित न्यायादेश के आलोक में वेतन भुगतान मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था. वहीं 13 नवंबर 2019 को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भी झारखंड के शिक्षा सचिव को मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इससे पहले 09 अक्टूबर 2009 को राष्ट्रीय सचिवालय से भी झारखंड के मुख्य सचिव को दोनों शिक्षकों के वेतन संबंधी मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन अबतक कुछ भी नहीं हुआ.
दिन में सचिवालय, रात में मंदिर में लेते हैं शरण
दिनेश ने अपनी जिंदगी का 25 साल स्कूल को दे दिया. इतने सालों से वेतन नहीं मिलने के कारण उनके घर की आर्थिक खराब हो चुकी है. पहले हर महीने सचिवालय का चक्कर लगाते थे. फिर हर हफ्ते दौड़ने लगे. बार-बार गिरिडीह से रांची आने में काफी पैसे खर्च होते थे. तब उन्होंने सोचा कि अब रांची में ही रहकर अपना हक लेंगे. इसलिए अब रांची में अपना ठिकाना बना लिया है. रात में रांची के मेन रोड स्थित हनुमान मंदिर में शरण लेते हैं और सुबह ऑफिस के टाइम में सचिवालय पहुंच जाते हैं. इस मामले में शिक्षा विभाग का पक्ष जानने के लिए शिक्षा सचिव से कई बार संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई.
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