Ranchi : आज मजदूर आंदोलन के एक महान पुरोधा का अंत हो गया. एचईसी के सबसे पुराने यूनियन लीडर और इंटक के जाने माने राष्ट्रीय वरीय सचिव राणा संग्राम सिंह जी का आज निधन हो गया. वह 96 वर्ष के थे. राणा संग्राम सिंह के पार्थिव शरीर को पारस अस्पताल के मोर्चरी में रखा गया है. उनका अंतिम संस्कार रविवार को धुर्वा स्थित सिठियो मुक्तिधाम में सुबह 11 बजे होगा. यूनियन लीडर के धुर्वा स्थित आवास से मुक्तिधाम तक सुबह 10 बजे शव यात्रा निकाली जायेगी.हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के संयुक्त महामंत्री लीलाधर सिंह ने कहा कि राणा संग्राम सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि राणा संग्राम सिंह के निधन अंत के साथ मजदूर आंदोलन के एक युग की समाप्ति हो गयी. बताया कि उनकी आखिरी इच्छा थी कि एचईसी का एक बार फिर से पुनरुद्धार करे.
कैमूर जिले के मोहनिया के पास बसंत पुर में हुआ था राणा संग्राम का जन्म
राणा संग्राम सिंह का जन्म कैमूर जिले के मोहनिया के पास बसंत पुर में हुआ था. सिंह ने 1956 में रांची के ठाकुर गांव से ग्रामीण विकास पदाधिकारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने 1960 में एचईसी जॉइन किया था. इसके बाद 1962 में हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन (एचईसी द्वारा मान्यता प्राप्त यूनियन) में उपाध्यक्ष चुने गये थे. 1969 में राणा संग्राम सिंह हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री निर्वाचित हुए. उन्होंने एचईसी कर्मी के लिए छोटे-बड़े कुल 80 समझौते किये, इनमें से एक 1971 का प्रसिद्ध त्रिपक्षीय समझौता भी शामिल है. इस समझौते से सभी वर्ग के कर्मचारी लाभान्वित हुए थे. राणा संग्राम सिंह ने दो बार एचईसी का पुनरुद्धार भी कराया. एक बार बीआईएफआर से और दूसरी बार झारखंड हाईकोर्ट से.
राणा संग्राम सिंह की राजनीति में भी थी अच्छी पकड़
राणा साहब एचईसी के अलावा बासल पतरातू , एसबीएल रांची, एसएनएल रांची, मेरिन डीजल इंजन प्लांट रांची और इंडियन एक्सप्लोसिभ कर्मचारी यूनियन गोमिया के अध्यक्ष रहे. इसके अलावा वो बिहार प्रदेश कांग्रेस लेबर सेल और झारखंड प्रदेश कांग्रेस लेबर सेल के अध्यक्ष के साथ-साथ झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरीय उपाध्यक्ष भी रहे. उन्होंने इंटेक के राष्ट्रीय वरीय सचिव, झारखंड प्रदेश इंटक के कार्यकारी अध्यक्ष और इंडियन नेशनल मेटल वर्कर्स फेडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है. 1967 के दंगे से पीड़ित विस्थापित मुसलमानों को बसाया था. उनके इस नेक काम के लिए इंदिरा गांधी ने व्यक्तिगत रूप से बधाई संदेश भेजकर बधाई दी थी. राणा संग्राम सिंह की राजनीति में अच्छी पकड़ थी.
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