NewDelhi : मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह का मामला फिर चर्चा में है. इस मामले में आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई, कोर्ट ने कहा कि वह हिंदू पक्ष के इस दावे की जांच करवायेगा कि विवादित ढांचा एएसआई संरक्षित स्मारक है या नहीं.
इस पर हिंदू पक्ष की ओर से दलील दे रहे एडवोकेट विष्णु जैन ने कोर्ट से कहा कि विवादित ढांचे का संरक्षण आर्कियोलॉजिकल सर्वे कर रहा है इसलिए वहां मस्जिद का नमाज के लिए इस्तेमाल नहीं हो सकता. कहा कि इस स्थान पर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है.
मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार CJI संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने हिंदू पक्ष को नोटिस जारी किया था. जान लें कि मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, जिसमें हिंदू पक्ष को उनके मुकदमे में संशोधन करने और एएसआई को भी पार्टी बनाने की अनुमति दी गयी है.
कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से एडवोकेट विष्णु जैन ने कहा कि यह एएसआई संरक्षित स्मारक है इसलिए यहां वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता. इस पर सीजेआई संजीव खन्ना ने टोका. नो नो… यह मुद्दा हमारे पास लंबित है.
हाईकोर्ट द्वारा पक्ष को मुकदमे में संशोधन की अनुमति देना प्रथम दृष्टया सही
बेंच ने साफ किया कि विवादित स्थान एएसआई संरक्षित है और मस्जिद के तौर पर उसका उपोयोग नहीं किया जा सकता, तो ये मामला अभी हमारे पास लंबित है. पूर्व में हम कह चुके थे कि इस पर कोई अंतरिम आदेश पारित न किया जाये. फिर भी हाईकोर्ट को यह जानकारी नहीं दी गयी. हालांकि, SC ने कहा कि हाईकोर्ट की ओर से हिंदू पक्ष को मुकदमे में संशोधन की अनुमति देना प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है.
एएसआई संरक्षित स्मारक का उपयोग मस्जिद के तौर पर नमाज के लिए नहीं किया जा सकता
इलाहाबाद हाईकोर्ट को दी गयी याचिका में दावा किया गया था कि एएसआई संरक्षित स्मारक का उपयोग मस्जिद के तौर पर नमाज के लिए नहीं किया जा सकता और ऐसे स्थानों पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता. कोर्ट ने हिंदू पक्ष से कहा कि आपको वाद में संशोधन करने और पार्टियों को पक्षकार बनाने का अधिकार है… कोई पक्ष पूर्वव्यापी है या नहीं, वो अलग मुद्दा है.
इस क्रम में कोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष वाद में बदलाव कर सकते हैं और ये मुद्दा भी उठा सकते हैं कि वर्शिप एक्ट लागू होगा या नहीं इसलिए हाईकोर्ट का यह आदेश सही माना जा सकता है.
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