Ranchi: होली आते ही लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. लोगों के चेहरे खिल जाते हैं. घर का माहौल बदल जाता है. बच्चे पिचकारी खरीदने के लिए दौड़ लगाना शुरू कर देते हैं. उनके लिए स्कूल में छुट्टी होते ही होली शुरू हो जाता है. बच्चे हो या बड़े सभी रंगों के इस त्योहार में शामिल होना चाहते हैं. शहर से लेकर गांव में लोग होली के इस रंग में डूबना चाहते हैं. इस दौरान बुरा ना मानो होली का नारा बुलंद रहता है. रंग लगाए लोग इस नारे के साथ सड़कों पर झूमते नजर आते हैं. होली में लोग बीती बातें भूलकर अपने मित्रों और संबंधियों को रंग और गुलाल लगाकर उन्हें बधाई देते हैं. होली के त्योहार का यही है मूल उद्देश्य. इसे ध्यान में रखते हुए हर जगह होली का विशेष आयोजन किया जाता है. शुभम संदेश की टीम आज इसे जानने लोगों के पास पहुंची और तैयार की एक रिपोर्ट:
राख उड़ाने की परंपरा खत्म होती जा रही है : अशोक कुमार महलका
वयोवृद्ध रंगकर्मी अशोक कुमार महलका ने बताया कि लातेहार में अब होली पर राख उड़ाने की परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है. वैसे तो होलिका दहन लातेहार में कई जगहों पर होता है. प्रमुख होलिका दहन शहर का गंभेल स्थान, शिवपूरी रोड में होता है. यहां होलिका दहन के बाद शहर के बैगा (पुजारी) होलिका दहन की राख को उड़ाते थे. बैगा के द्वारा ऐलान करने के बाद होली मंडली के लोग ढोलक, झाल व मंजीरा लेकर शहर में निकल पड़ते थे. दिन भर होली खेलने के बाद लोग औरंगा नदी में स्नान करते थे. इसके बाद दूसरे पहर में प्राचीन शिव मंदिर, बाजारटांड़ में शिवलिंग पर अबीर चढ़ाने के उपरांत लोग अबीर खेलते थे और अपने दोस्तों रिश्तेदारों के घरों में जा कर पुआ-पकवान खाते थे. पिछले एक दशक से यहां धूल उड़ाने की परंपरा लगभग समाप्त हो चुकी है.
आज की होली तरह से बदल गयी है फूहड़बाजी होती है : भुनेश्वर साव
पुराने होली मंडली के सदस्य भुनेश्वर साव ने कहा कि होली में होलिका दहन का काफी महत्व है. होलिका के बाद होलिका दहन राख को उड़या जाता है. इसे स्थानीय भाषा मे धूल उड़ाना कहते हैं. बैगा के द्वारा गंभेल (ग्राम देवता) पर होलिका दहन की राख व अबीर लगा कर ढोल पीटा जाता था. लेकिन आज की होली पूरी तरह से बदल गयी है. होली मे अश्लीलता एवं फुहड़ाबजी आ गयी है. होली में अब पुराने एवं पांरपरिक होली गीतों की बजाय आधुनिक व अश्लील होली गीत बजते हैं. युवाओं को इससे बचने की दरकार है. इस वजह से कई बार लड़ाई हो जाती है. इससे होली बदरंग हो जाता है. हमें अपनी संस्कृति का ख्याल रखते हुए होली मनाना चाहिए.
हर बार की तरह इस बार कीचड़ वाली होली खेलेंगे : प्रभात कुमार
पूर्वी सिंहभूम के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभात कुमार ने कहा कि हर साल की तरह इस साल भी कीचड़ वाली होली खेलेंगे. सभी के गुलाल लगाएंगे. इसमें एक-दूसरे के घर जाकर पकवान का मजा लेते हैं. लेकिन पहली प्राथमिकता शहर के लोगों की सुरक्षा है. शहर में कुछ अप्रिय घटना ना हो इसका भी ध्यान रखा जाएगा. शाम को घर पर लोगों का आना-जाना भी रहेगा. उनके साथ अबीर-गुलाल लगाकर होली खेलेंगे. हमारा तो यही संदेश है कि सभी मिलकर होली मनाएं और प्रसन्न रहें.
घर में इस बार सभी स्टाफ के साथ खेलेंगे होली : ग्रामीण एसपी
पूर्वी सिंहभूम के ग्रामीण एसपी मुकेश कुमार लुणायत ने कहा के वे प्रतिवर्ष घर पर रह कर स्टाफ और अन्य लोगों के साथ होली खेलते हैं. इस बार इस जिले में पहली होली है तो सभी पुलिसकर्मियों के साथ होली का मजा लिया जाएगा. गांव तो राजस्थान में है. ऐसे में परिवार वालों की कमी महसूस होगी. गांव और घर वालों के साथ होली का मजा ही कुछ और होता है. इसमें सभी मौजूद होते हैं. सभी एक-दूसरे को गूलाल लगाते हैं और आशीर्वाद लेते हैं.
पूजा-पाठ करने के बाद होली का आनंद लेंगे : कमल किशोर
डीएसपी (मुख्यालय-2) कमल किशोर कहते हैं कि सुबह उठने के बाद पूजा पाठ कर होली का आनंद लेना है. घर वालों को रंग गुलाल लगाना है. इसके बाद शहर की सुरक्षा में रहकर हुड़दंगियों पर नजर रखनी है. यह सबसे अधिक जरूरी है. तभी तो लोग सुरक्षित होकर इस त्योहार का आनंद उठाएंगे. इसके बाद शाम को लोगों का घर पर आना-जाना लगा रहेगा. उनके साथ घर में अबीर-गुलाल से होली खेलकर पकवान का आनंद उठाएंगे. होली का आनंद ही कुछ और होता है.
इस होली में कवि सम्मेलन होगा हंसगुल्ले मिलेंगे : प्रवीण राजगढ़िया
भुरकुंडा के श्री अग्रसेन स्कूल द्वारा होली विशेष कार्यक्रम के तहत 6 मार्च को स्कूल परिसर में जश्ने रंग का आयोजन किया जाएगा. स्कूल प्रबंधक प्रवीण राजगढ़िया ने बताया कि यह आयोजन होली पर्व को लेकर किया जा रहा है. जिसमें स्कूल के विद्यार्थी हिस्सा लेंगे. यह आयोजन बच्चों के लिए फ्री में है. जश्ने रंग के तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रम में होलिका दहन, शिव बारात, कवि सम्मेलन, फनी गेम्स, लठमार होली, फूलों की होली, अलग-अलग राज्यों में मनाए जाने वाले होली.
युवाओं की टोली घूमती रहती है सभी नाचते गाते हैं : अरुण पासवान
युवा ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष अरुण पासवान ने कहा कि समिति के द्वारा बरकाकाना में होली मिलन का आयोजन किया जाता है. होली के दिन इस आयोजन के तहत युवाओं की टोली निकालकर नाचते गाते एक जगह से दूसरी जगह घूमते हैं. साथ ही शाम में एक जगह एकत्रित होकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं. युवाओं की टोली भ्रमण के दौरान खाने-पीने जैसी कई चीजों की व्यवस्था की गई है. पासवान ने बताया कि पिछले 3 वर्षों से कोरोना को लेकर होली सादगी के साथ मना रहे थे.
बेसन की बरी बनाकर होलिका में जलाते हैं. तब खाते हैं : अंजू मिश्रा
कवयित्री अंजू मिश्रा कहती हैं कि होलिका दहन के दिन घर में बेसन की बरी बनाते हैं. उसे खाने से पहले होलिका में उसे डाल दिया जाता है. उसमें वह जल जाता है. इसके बाद रात में बेसन की बरी खाते हैं. इसके बाद दूसरे दिन सुबह से ही घर में खास पकवान पुआ, मालपुआ, दहीबड़ा बनाया जाता है. इसके बाद भगवान की पूजा कर उनके चरणों में अबीर चढ़ाते हैं. इसे बाद घर के बुजुर्गों के पैर पर अबीर डाल कर आशीर्वाद लेते हैं. फिर रंग और अबीर से बच्चे, बड़े सभी होली खेलते हैं. शाम में दोस्तों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के घर जाकर अबीर से होली खेलते हैं. घर में आए अतिथियों के साथ होली खेलते और उन्हें पकवान खिलाते हैं. कोरोना काल में होली अच्छे ढंग से नहीं मनाई गई थी. इस बार जमकर लोग होली खेलेंगें. इस बार मर्दों की टोली गली-मुहल्लों में फगुआ गाकर होली मनाएगी, जो दो वर्षों से बंद था.
इस बार भव्य होली मिलन समारोह आयोजित किया जाएगा : सुधा कुमारी
भूमिहार महिला समाज की सदस्य सुधा कुमारी का कहना है कि कोरोना के कारण सामूहिक होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो पाया था. इस वर्ष भव्य होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन समाज द्वारा किया जाएगा. समाज के लोग सत्साह के साथ होली मनाएंगे. इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान समाज की महिलाओं द्वारा गीत-संगीत प्रस्तुत किया जाएगा. लोगों के मनोरंजन के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि होली मिलन कार्यक्रम में पहले फूलों की होली फिर सूखे रंगों की होली और अंत में गीली होली का आयोजन होगा.
होली के रंग में जीवन की विविधता झलकती है : अनिल
जमशेदपुर थोक वस्त्र विक्रेता संघ के अधय्क्ष अनिल मोदी का कहना है कि होली रंगों का त्योहार है. होली के रंगों में जीवन की विविधता झलकती है. होली का पर्व व्यापारियों के लिए भी शांति, सकारात्मकता और समृद्धि का प्रतीक है. कोरोनाकाल के गुजर जाने के बाद यह होली व्यापारी वर्ग के लिए विशेष है. व्यापारी वर्ग होली पर सबकी खुशियों की कामना करते हुए अपने बंधु-बांधवों और परिचितों के साथ होली खेलेंगे. इस बार जुगसलाई में पूर्व की तरह राधा कृष्ण की झांकी के साथ फूलों की होली खेली जाएगी.
होली उमंग और उत्साह का पर्व है : विजय आनंद मुनका
सिहंभूम चैंबर के अध्यक्ष विजय आनंद मुनका का कहना है कि रंगों का महापर्व होली उंमग उत्साह का पर्व है. कोरोना के बंदिशों के कारण दो वर्ष सामूहिक होली के कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो पाया था. इस बार होली में चैंबर में सामूहिक होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार चैंबर में धूमधाम से होली मनाई जाएगी.
घर में गोटा मूंग और जल का छिड़काव करते हैं : सावित्री अग्रवाल
जमशेदपुर में हर समाज के लोग अपनी परंपरा के अनुसार हर्षोल्लास के साथ होली मनाते हैं. मारवाड़ी समाज की महिला सावित्री अग्रवाल कहती हैं कि होली उनके समाज में खास तरीके से मनाई जाती है. होलिका के दिन समाज की महिलाएं और पुरुष सुबह से उपवास करते हैं. अंधेरा होने के बाद खास मुहूर्त में एक जगह एकत्रित होकर होलिका जलाते हैं. महिलाएं सज-धज कर और चुनरी ओढ़ कर हाथ में पूजा की थाली, लोटा में जल और अपने-अपने घर से हरा चना का झाड़ लेकर आती हैं. उसे एक बड़े डंडे के ऊपरी छोर पर बांध दिया जाता है. उस चने को होलिका की आग में सेंकती हैं. होलिका में गोटा मूंग और जल छिड़कते हैं. एक-दो घंटे के बाद होलिका का अंगार लेकर घर आती हैं. उस पर नया पापड़ सेंक कर पूरे परिवार के लोग खाते हैं. घर में गोटा मूंग और जल का छिड़काव करते हैं.
होली के अवसर पर चिकित्सा शिविर लगाया जाएगा : दीपक कुमार
गायत्री परिवार के प्रेस प्रवक्ता दीपक कुमार का कहना है कि गायत्री परिवार द्वारा सामूहिक होली मिलन कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जाता है. गायत्री परिवार के लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते है लेकिन सामूहिक आयोजन नहीं होते हैं, बल्कि इस अवसर पर सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इसमें निःशुल्क चिकित्सा शिविर, रक्तदान शिविर जैसे सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. इस वर्ष निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया जाएगा. शिविर में ना सिर्फ रोग की जांच की जाएगी, बल्कि यथासंभव रोगियों का इलाज किया जाएगा. उन्हें दवा उपलब्ध कराई जाएगी. गायत्री परिवार का उद्देश्य समाज में सद्भाव एवं बच्चों में संस्कार विकसित करना है.
होली में हमारे यहां पीठा बनाया जाता है : डॉ प्रभात कुमार पाणि
कोल्हान विश्वविद्यालय के वित्त पदाधिकारी सह प्रवक्ता डॉ प्रभात कुमार पाणि ने बताया कि ओड़िया संस्कृति के अनुसार होली के दिन दोल पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं. इस दिन घर में मिठाई, मालपुआ-पकवान तो बनता ही है. विशेष तौर पर चार तरह का पीठा बनता है. सभी पकवान का भगवान को भोग लगाने के बाद अबीर-गुलाल से होगी खेलते हैं. एक दूसरे के घर जाना-आना और खाना-खिलाना काफी अच्छा लगता है.
हमलोग रंग-गुलाल लगाकर खेलेंगे होली : नागेंद्र सिंह
नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय के कुलसचिव नागेंद्र सिंह ने कहा कि होली रंगों का त्योहार है. इसमें भारत की अनेकता में एकता नजर आती है. हमारी होली भी इसी उद्देश्य को लेकर होती है, ताकि इस त्योहार को मनाते हुए हम भाईचारे का संदेश दें. होली के दिन सुबह से ही रंग और गुलाल की होली खेलते हैं. दोस्तों और सगे-संबंधियों से मिल कर उन्हें होली की शुभकामनाएं देते हैं. साथ ही मिठाई व विभिन्न पकवानों का आनंद लेते हैं.
घर में पुआ-पकवान का लेते हैं आनंद : अमित श्रीवास्तव
अरका जैन यूनिवर्सिटी के निदेशक अमित श्रीवास्तव ने कहा कि होली का त्योहार भाईचारे का संदेश देता है. इस त्योहार को लेकर पहले से ही मन में काफी उत्साह रहता है. इस दिन सुबह नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूजा-पाठ करते हैं. इसके बाद पास-पड़ोस, दोस्त-मित्र और सगे-संबंधियों के यहां जाना-आना होता है. सब मिल कर घर में बने पुआ-पकवान का स्वाद लेते हैं. इसके बाद किसी मित्र के घर जाकर खाते हैं.
हमलोग पूरी सादगी के साथ मनाते हैं होली : डॉ अमर सिंह
जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज के प्राचार्य डॉ अमर सिंह ने बताया कि वह होली बड़ी ही सादगी के साथ मनाते हैं. होली के दिन अपने पास-पड़ोस के लोगों के यहां जाते हैं और पास पड़ोस के लोग भी उनके यहां आते हैं. सभी एक दूसरे को अबीर-गुलाल लगाते हैं और गले मिल कर भाईचारे का संदेश देते हैं. साथ ही घर में बने मिष्टान, पुआ-पकवान खाते-खिलाते हैं.
होली की शुरुआत हमलोग अपने घर से करते हैं : समर्पिता
सेक्रेड हार्ट कॉन्वेंट स्कूल की वरीय शिक्षिका समर्पिता ने कहा कि होली की शुरुआत अपने घर से करती हैं. पहले भगवान को गुलाल अर्पित करती हैं उसके बाद अपने माता-पिता के चरणों में गुलाल लगा कर आशीर्वाद लेती हैं. उसके बाद अपने दोस्तों के साथ होली खेलने निकल जाती हैं. इस वर्ष वह विशेष तौर पर सीआरपीएफ कैंप में जाकर जवान भाइयों को मिठाई खिला कर होली की खुशियां बांटेंगी.
बीएनआर में आज होलीरा का धमाल
होली के शुभ अवसर पर रविवार को रांची के बीएनआर चाणक्या में होलीरा कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इस मौके पर नेशनल और इंटरनेशनल डीजे के साथ-साथ लजीज व्यंजनों की व्यवस्था रहेगी. होली को यादगार बनाने के लिए उस दिन सुबह 10:30 बजे से शाम के 6:30 बजे तक यह कार्यक्रम चलेगा. होलीरा कार्यक्रम में रेन डांस, फोम डांस, ढोल धमाल के अलावा डीजे रिया, डीजे क्रीप्टोनन, डीजे नेत्रा, डीजे सोनिक के साथ अबीर- गुलाल से भरी रंगीन होली खेली जायेगी. इसके लिए स्टैग 999, कपल 1499, फैमली (4 लोग) 2599, लॉन्ज (4 लोग) 2999 रुपये के टिकट उपलब्ध हैं. टिकट के लिए 72959-59555 पर संपर्क किया जा सकता है.
माइलस्टोन में होगा रेन डांस
ऐट माइलस्टोन मे होली मिलन समारोह मनाया जाएगा. होली पार्टी के लिए दो डीजे बुलाये गये हैं. होली में लोगों को होली के गानों पर नचाने के लिए डीजे पूजा सेठ और डीजे आशू आएंगे. उनकी आवाज पर लोग समारोह का आनंद लेंगे. इसके साथ ही लोगों के मंनोरंजन के लिए ढ़ोल, रेन डांस व कलर बॉम्ब के अलावा अन्य गेम की व्यवस्था की गई है. वहीं वेलकम ड्रिंक रेंस्टोरंट भी इसमें शामिल होगी. खाने-पीने के लिए स्टॉल की व्यवस्था की गई है. जहां पर लोग पैसे देकर अपने पंसद के खाने का मंनोरंजन उठा सकते हैं.
हरमू पटेल पार्क में कलर होली होगी
हरमू पटेल पार्क में आज कलर होली होगी. डीजे फैजान के साथ रंगों की मस्ती होगी. ऑर्गेनिक रंगों के साथ रेन डांस, बैलून फाइट का भी लोग आनंद उठायेंगे. सात घंटे तक नॉन स्टॉप पार्टी की व्यवस्था रहेगी. आयोजकों ने कहा कि लोगों को ऐसे आयोजन का इंतजार रहता है. उनके लिए होली सबसे अच्छा अवसर होता है. यही वह अवसर होता है जब लोग परिवार के साथ इसमें भाग लेते हैं.
गुरुनानक स्कूल में मनाया जाएगा रंग बरसे
गुरुनानक स्कूल में आज रंग बरसे का आयोजन होगा. होली स्पेशल एग्जिबिशन लगाये जायेंगे. इस अवसर पर महिला उद्यमियों के कपड़े, ज्वेलरी, गिफ्ट पैक, मेड फर्निशिंग व किचन प्रोडक्ट आकर्षण के केंद्र होंगे. लोग एक-दूसरे से मिलने के अलावा रंग लगाकर होली की शुभकामना देंगे. साथ ही तरह-तरह के पकवान खाएंगे.
फगुआ गीत से बंधेगा समा
बाबा विद्यापति स्मारक समिति का होली मिलन समारोह आज होगा. निर्भय झा और मुकेश झा की मंडली फगुआ गीत पेश करेगी. लोगों का उत्साह ठंडाई, मालपुआ, फ्राई चुरा, फ्राई मछली जैसे व्यंजनों से बढ़ाया जायेगा. समिति ने कहा कि यह अवसर हमलोगों के लिए खास होता है. पूराने लोग मिलते हैं. इससे पूरानी यादें ताजा हो जाएंगी. गुलाल लगाकर शुभकामना देंगे.
मारवाड़ी भवन में होगा सम्मेलन
मारवाड़ी भवन में सोमवार को कवि सम्मेलन सह होली मिलन समारोह होगा. कवि सम्मेलन में अरुण जैमिनी, सुरेश अलबेला, केसरदेव मारवाड़ी, विनीत चौहान, राव अजातशत्रु व कवयित्री गौरी मिश्रा शामिल होंगे. इस दौरान सारे कवि अपनी कविता के जरिये लोगों को गुदगुदायेंगे. समिति ने कहा कि इस अवसर पर लोग एक-दूसरे के गुलाल लगाने के साथ ही बधाई देंगे.
कोयलांचल की होली में दिखती है एकरूपता प्यार व सौहार्द के रंग में झूमते-गाते हैं लोग
कोयले के शहर धनबाद में होली का त्योहार हर किसी के लिये खास होता है. होली की धमक शहर में 15 दिन पूर्व ही दिखाई देने लगती है. राजनीतिक दल, जातीय संगठन, सामाजिक संस्थाओं के साथ सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में भी पूरे उत्साह के साथ होली मनाई जाती है. आपसी भेदभाव भुलाकर कर हर कोई एक रंग में रंग जाता है और वह है प्यार का रंग. यहां कीचड़ होली लगभग खत्म हो गई है, अब लोग रंग से खेलने लगे हैं.
धनबाद जिले में डीसी और एसएसपी की होली भी खास होती है. दोनों वरीय अधिकारी अपने सारे प्रोटोकॉल तोड़कर कर होली मनाते हैं. ढोल मजीरा के साथ अधिकारी फाग के गीत भी गाते हैं. होली के दिन ही दोनों अधिकारी अपने सरकारी आवास में इस उत्सव का आनंद लेते हैं. उनके साथ काम करने वाले दर्जनों अधिकारी और कर्मी भी शामिल होते हैं. रंगों के साथ गाना बजाना और खान पान भी होता है. पिछले साल अधिकारियों का बदला रूप नजर आ चुका है. एक साल बाद भी दोनों अधिकारी धनबाद में ही पद स्थापित हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इस साल भी उत्सव खास होने वाला है. हालांकि अभी तक किसी ने आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.
खास होती है मारवाड़ी महिला समिति की होली
होली का त्योहार यूं तो हर वर्ग के लोगों के लिए खास महत्व रखता है. लेकिन धनबाद महिला मारवाड़ी समिति की होली काफी खास होती है. ये बाजारों में बिकने वाले केमिकल युक्त रंगों को दरकिनार कर हर्बल और फूलों की होली खेल लोगों को संदेश देती हैं. मारवाड़ी समाज की महिलाएं होली पर विशेष संगीत और नाटक प्रस्तुत कर एक दूसरे को होली की बधाई देती हैं. मारवाड़ी महिला समिति की कोषाध्यक्ष प्रीति अग्रवाल कहती हैं कि होली को लेकर मारवाड़ी समाज की महिलाएं काफी उत्साहित रहती हैं. समाज की तमाम महिलाएं इकट्ठा होकर हर्बल गुलाल व फूलों से होली खेलती हैं. गीत संगीत, रंगारंग कार्यक्रम, नाटक, घूमर नृत्य एवं विभिन्न प्रकार के मनोरंजक गेम्स भी चलते रहते हैं जिसमें लकी होली लेडी का खिताब भी संस्था की ओर से प्रतिभागियों को दिया जाता है. संस्था की ओर से पहले ही सारी तैयारियां पूरी कर ली जाती हैं.
विधायक राज सिन्हा के होली मिलन में होता है धमाल
धनबाद जिले में घोषित रूप से कोई भी राजनीतिक पार्टी होली मिलन समारोह का आयोजन नहीं करती है. लेकिन कुछ पार्टी के नेताओं द्वारा होली मिलन समारोह के बहाने शक्ति परीक्षण भी देखा गया है. भारतीय जनता पार्टी से धनबाद विधायक राज सिन्हा ने 5 मार्च को टाउन हॉल में होली मिलन समारोह का आयोजन किया है. इसके पूर्व एक मार्च को भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री रुपेश सिन्हा के नेतृत्व में संगम वाटिका जोड़ा फाटक में होली मिलन समारोह किया गया, जिसमें धनबाद व बोकारो के कार्यकर्ताओं के अलावा सांसद पशुपतिनाथ सिंह भी पहुंचे थे. धनबाद युवा कांग्रेस के जिलाध्यक्ष कुमार गौरव उर्फ सोनू की ओर से तीन मार्च को निरीक्षण भवन में होली मिलन समारोह हुआ, जिसमें बीस सूत्री के जिला उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह, जिला अध्यक्ष संतोष कुमार सिंह, प्रदेश महासचिव रविंद्र वर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष राशिद रजा अंसारी सहित जिले के लगभग सभी कांग्रेसी दिग्गज जुटे. भीड़ जुटाने के उद्देश्य से भोजपुरी के प्रसिद्ध लोक गायक गोलू राजा को भी बुलाया गया था. झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, आजसू एवं अन्य राजनीतिक दलों द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन नहीं किया जाता है. लेकिन इन पार्टियों के नेता जगह-जगह सांगठनिक व जातीय होली मिलन समारोह में भाग लेकर अपनी सामाजिक उपस्थिति दर्ज कराते रहते हैं.
आदिवासी समाज में पलाश के फूल से खेली जाती है होली
आदिवासी समाज होली को बाहा के नाम से मनाते हैं. इस समाज में केमिकल रंग और गंदे पानी से होली खेलने की मनाही है. अगर रंग खेलना है तो सिर्फ पलाश के फूलों से तैयार प्राकृतिक रंग से. बाहा के माध्यम से आदिवासी समाज प्रकृति को बचाने का भी संदेश देता है. महापर्व विभिन्न जगहों पर अलग-अलग दिन को मनाया जाता है. अब दिशम बाहा पर्व की तैयारी चल रही है. इस दिन जिले भर से आदिवासी समाज के लोगों का जुटान होता हैं. आदिवासी इलाकों में बाहा की तैयारी जोर-शोर से चल रही है.
आशीर्वाद के रूप में दिया जाता है सखुआ का फूल
पूर्व मुखिया हीरालाल हंसदा ने बताया कि कि दिशोम बाहा से एक दिन पहले जाहेर थान व ग्राम थान की साफ सफाई की जाती है. समाज के लोग नहाय खाय की रस्म पूरी करते हैं. दूसरे दिन घरों से दाल, चावल, सब्जी मागी जाती है. पुजारी को गाजेबाजे के साथ जाहेर थान पर लाया जाता है. खिचड़ी बनाने के बाद जाहेर या ग्राम थान के बाद नाइदी (परोहित) के साथ सभी गीत गाते हुए घरों की ओर लौट जाते हैं. सभी को सखुआ का फूल दिया जाता है, जिसे वे कान में फंसाते तो महिलाएं अपने बालों में लगा लेती हैं.