Ranchi : शिक्षा नीति क्रियान्वयन एवं आत्मनिर्भर भारत विषय पर एक दिवसीय विचार गोष्ठी आयोजन हुआ. यह राष्ट्रीय आयोजन सरला बिरला विश्वविद्यालय व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्षेत्रीय संयोजक सह बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य प्रोफेसर विजय कांत दास, सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ गोपाल पाठक ने दीप जलाकर किया.
इनका साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत सह संयोजक प्रोफेसर विजय कुमार सिंह, झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ प्रदीप कुमार मिश्र, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास झारखंड के प्रांत संयोजक अमरकांत झा सहित अन्य अतिथियों ने भी दिया. मौके पर सरस्वती वंदना की गई और ओंकार ध्वनि से कार्यक्रम की शुरुआत की गई.
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भारत केंद्रित है नई शिक्षा नीति
कुलपति प्रोफेसर गोपाल पाठक के अध्यक्षता में गोष्ठी आयोजित हुई. इसमें बतौर मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक अतुल भाई कोठारी जी ने कहा कि स्वतंत्र भारत की तीसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति और आत्मनिर्भरता प्रदान करने वाली यह पहली भारतीय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 है, जो पूर्ण लोकतांत्रिक तरीके से बनाई गई है, जो पूर्णत: भारत केंद्रित शिक्षा नीति है. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर ही हम हर हाल में पुनः विश्व गुरु बन सकते हैं. नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारत को ऐसा ज्ञान संपन्न राष्ट्र बनाना है, जिससे विश्व के लोग भारत के ज्ञान की लालसा में पुनः भारत की ओर आने को मजबूर हो जाएं.
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर विजय कांत दास ने कहा कि यह एकमात्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति है जो वास्तव में राष्ट्रीय कहलाने लायक है. राष्ट्रीयता का अर्थ संस्कृति के साथ लगाव से है. छात्रों के चरित्रवर्धन के लिए विभिन्न गतिविधियों को शामिल करने की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कही गई है. उन्होंने कहा कि इस व्यापक, समग्र एवं संतुलित शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के द्वारा ही भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.
संस्कृति के बिना शिक्षा अधूरी है : डॉ गोपाल पाठक
अपने अध्यक्षीय भाषण में सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर डॉ गोपाल पाठक ने कहा कि संस्कृति के बिना शिक्षा अधूरी है. शिक्षा में उच्च संस्कार का होना, नैतिकता, ईमानदारी और कर्तव्य भावना का होना आज की महती आवश्यकता है. शिक्षा का सर्वांगीण विकास शिक्षकों के कंधों पर ही है. उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू हो जाने के बाद मैकाले की चर्चा पूर्णत: समाप्त हो जाएगी.
गोष्ठी में कार्यों की समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत
गोष्ठी में सरला बिरला विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर डॉ विजय कुमार सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा को प्रस्तुत किया और इंजीनियरिंग के डीन प्रोफेसर श्रीधर भी दांडी ने सरला बिरला द्वारा संचालित नई शिक्षा नीति से संबंधित अभी तक के कार्यों की समीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत की। झारखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ प्रदीप कुमार मिश्र ने छात्र केंद्रित शिक्षा, ज्ञान आधारित समाज एवं नवाचार युक्त भारत की बात को इस शिक्षा नीति में स्थान देने की बात कही. साथ ही विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति को व्यापक तरीके से लागू करने की बात भी कही।
इस अवसर पर झारखंड राय विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ सविता सेंगर, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ एस एन सिंह, बीआईटी सिंदरी के प्रोफेसर डॉ रंजीत कुमार सिंह , विनोबा भावे विश्वविद्यालय के डीन डॉ एमके सिंह, एनआईटी जमशेदपुर के प्रोफेसर डॉ रंजीत प्रसाद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एसएन मुंडा आदि लोगों ने विचार गोष्ठी में अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर अशोक अस्थाना ने किया. धन्यवाद ज्ञापन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के प्रांत अध्यक्ष प्रो गोपाल जी सहाय ने प्रस्तुत किया. इस अवसर पर प्रो संजीव बजाज, श्री अजय कुमार, डॉ संदीप कुमार, डॉ संजीव सिन्हा, डॉ सुभानी बारा, डॉ अनुराधा, डॉक्टर संजीव कुमार, डॉ मेघा सिन्हा, डॉ पूजा मिश्रा, प्रो हनी सिंह, प्रो कविता कुमारी सहित अन्य उपस्थित थे.
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