Ranchi: राज्य के डिप्लोमा इन फॉर्मेसी (डी फॉर्मा) के छात्र बीते कई दिनों से परीक्षा नहीं होने के कारण परेशान हैं. परीक्षा में 18 महीने विलंब होने के बाद भी उन्हें परीक्षा के आयोजन को लेकर सिर्फ आश्वासन मिला रहा है. 2020-22 व 2021-23 के छात्र अब भी परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं. बीते पांच मई को पूर्व रजिस्ट्रार कौशलेंद्र कुमार के निधन के बाद झारखंड स्टेट फार्मेसी काउंसिल में रजिस्ट्रार का पद खाली है. इसी वजह से छात्र परीक्षा कराने के लिए बीते चार महीनों से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. छात्रों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से मिलने के बाद हमें सिर्फ आश्वासन ही मिला है. वहीं छात्रों द्वारा बताया गया कि अगर मंगलवार तक परीक्षा का टाइम टेबल जारी नहीं किया जाता है, तो राज्य के सभी डी फॉर्मा छात्र उग्र आंदोलन करेंगे.
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11 हजार छात्रों का भविष्य खतरे में
परीक्षा नहीं होने के कारण लगभग 11 हजार छात्रों का भविष्य खतरे में है. डी फॉर्मा के छात्र वसीम जौहर ने बताया कि 2020-22 बैच में 5000 और 2021-23 बैच में लगभग 6000 छात्र हैं, जो परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि छात्रों को स्वास्थ्य मंत्री द्वारा आश्वासन दिया गया है कि रजिस्ट्रार के नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली गयी है और जल्द परीक्षा का आयोजन भी किया जाएगा.
तीन बार छात्रों को आश्वासन दे चुके हैं स्वास्थ्य मंत्री
भविष्य को लेकर चिंतित छात्रों ने रजिस्ट्रार की नियुक्ति व परीक्षा के आयोजन के लिए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के पास कई बार चक्कर लगा चुके हैं. छात्रों ने बताया कि तीन बार उनकी मुलाकात मंत्री जी से हुई और तीनों बार उन्हें सिर्फ जल्द से जल्द रजिस्ट्रार की नियुक्ति व परीक्षा कराने का आश्वासन ही मिला, पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. बताया गया कि पहली बार 27 जून को मंत्री जी से रजिस्ट्रार की नियुक्ति के लिए गुहार लगायी गई, आश्वासन मिला पर काम नहीं हुआ. इसके बाद जब 11 जुलाई को जब छात्रों ने दोबारा उनसे मिलने की कोशिश की, तो उन्होंने छात्रों से मुलाकात ही नहीं की. 12 जुलाई को छात्रों का प्रयास सफल रहा और बन्ना गुप्ता ने छात्रों से मिलकर उन्हें फिर से आश्वासन दिया. लगभग डेढ़ महीने बीते जाने के बाद भी जब रजिस्ट्रार की नियुक्ति नहीं हुई, तो डी फार्मा के छात्र पांच सितंबर को फिर से एक बार स्वास्थ्य मंत्री के आवास के बाहर पहुंचे. छात्रों ने बताया कि इस दौरान मंत्री जी ने उनसे मिलने से इंकार कर दिया, जिसके बाद भविष्य को लेकर चिंतित छात्र आवास के बाहर जमे रहे. जब मंत्री जी का काफिला निकला और छात्रों ने उन्हें घेरा, तो मंत्री ने फिर से सात दिनों का समय मांगा और सात दिन के अंदर काम कराने का अश्वासन दिया.
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