Washington : अमेरिकी प्रतिनिधि सभा द्वारा पिछले सप्ताह कैपिटल बिल्डिंग (अमेरिकी संसद भवन) में हुई हिंसा के मामले में अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया गया है. यह प्रस्ताव 197 के मुकाबले 232 मतों से पारित किया गया. रिपब्लिकन पार्टी के भी 10 सांसदों द्वारा इसके समर्थन में मतदान किये जाने की खबर है.
इसके साथ ही ट्रंप अमेरिका के इतिहास में पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गये हैं, जिनके खिलाफ दो बार महाभियोग चलाया जा रहा है. बता दें कि जान लें कि इस महाभियोग प्रस्ताव में निर्वतमान राष्ट्रपति पर छह जनवरी को राजद्रोह के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया है.
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ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग की घेराबंदी के लिए उकसाया
आरोप के अनुसार ट्रंप ने अपने समर्थकों को कैपिटल बिल्डिंग (संसद परिसर) की घेराबंदी के लिए उस समय उकसाया, जब वहां इलेक्टोरल कॉलेज के मतों की गिनती चल रही थी. लोगों के धावा बोलने की वजह से यह प्रक्रिया बाधित हुई. इस घटना में एक पुलिस अधिकारी समेत पांच लोगों की मौत हो गयी थी.
चार भारतीय-अमेरिकी सांसदों एमी बेरा, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और प्रमिला जयपाल ने महाभियोग के समर्थन में मतदान किया.
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पारित प्रस्ताव को सीनेट में भेजा जायेगा
अब इस प्रस्ताव को सीनेट में भेजा जायेगा, जो ट्रंप को कार्यालय से हटाने के लिए सुनवाई करेगी और मतदान करेगी. सीनेट 19 जनवरी तक के लिए स्थगित है. इसके एक दिन बाद 20 जनवरी को जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करेंगे.
डेमोक्रेटिक नेताओं के नियंत्रण वाली प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी ने कहा, हम जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने हमारे देश के खिलाफ यह राजद्रोह, यह हथियारबंद विद्रोह भड़काया. उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए.
सदन में बहुमत के नेता स्टेनी होयर ने कहा कि राष्ट्रपति ने जो काम किया, उसके खिलाफ संसद की ओर से तत्काल कदम उठाये जाने की आवश्यकता है.
सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैकोनल ने यह नहीं बताया कि सदन में सुनवाई किस तारीख को होगी, लेकिन उन्होंने एक बयान में कहा, बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले ऐसा होने की संभावना नहीं है.
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सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं के पास 50 के मुकाबले 51 का मामूली अंतर से बहुमत
डेमोक्रेटिक सांसदों के पास ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रतिनिधि सभा में पर्याप्त मत है, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकन नेताओं के पास 50 के मुकाबले 51 का मामूली अंतर से बहुमत है. सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के लिए दो तिहाई सदस्यों के मतों की आवश्यकता होती है.
इस प्रस्ताव में पेंस से अपील की गयी कि वह कैबिनेट से 25वां संधोशन लागू करने को कहें. इस संशोधन को पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी की हत्या के मद्देनजर 50 साल से अधिक समय पहले पारित किया गया था. यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर सेवा देने उपयुक्त नहीं रह जाता, तो उसकी जगह किसी और की नियुक्त किये जाने का प्रावधान करने के लिए इस संशोधन का उपयोग किया जाता है.
तब पेंस ने प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी से कहा था वह 25वां संशोधन लागू नहीं करेंगे. पेंस ने प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पेलोसी को लिखे पत्र में कहा, ‘हमारे संविधान में, 25वां संशोधन सजा देने या अधिकार छीनने का जरिया नहीं है. इस प्रकार से 25वां संशोधन लागू करना खराब उदाहरण पेश करेगा.
राजद्रोही हमले के पीछे राष्ट्रपति का हाथ था
पेलोसी ने सदन में कहा कि छह जनवरी को ट्रंप ने अमेरिका के खिलाफ एक घातक विद्रोह को भड़काया, जिसने इसके लोकतंत्र के दिल यूएस कैपिटल पर हमला किया. उन्होंने कहा कि ‘तथ्य बिल्कुल स्पष्ट हैं’ कि इस राजद्रोही हमले के पीछे राष्ट्रपति का हाथ था और उन्होंने अपने समर्थकों को इसके लिए उकसाया.
इस बीच ट्रंप ने यूएस कैपिटल पर छह जनवरी को किये हमले के बाद अपने पहले भाषण में कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पहले कभी इतने खतरे में नहीं थी. मुझे 25वें संशोधन से ज़रा सा भी खतरा नहीं है, लेकिन नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके प्रशासन के लिए यह आगे खतरा जरूर बन सकता है.
उन्होंने यह भी कहा, देश के इतिहास में जानबूझकर किसी (ट्रंप) को परेशान करने के सबसे निंदनीय कृत्य को आगे बढ़ाते हुए महाभियोग का इस्तेमाल किया जा रहा है और इससे काफी क्रोध एवं विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो रही है. इसका दर्द इतना अधिक है कि कुछ लोग इसे समझ भी नहीं सकते, जो कि खासकर इस नाजुक समय में अमेरिका के लिए बेहद खतरनाक है.
यह दूसरा मौका है जब प्रतिनिधि सभा ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित किया है. 18 दिसंबर, 2019 को भी प्रतिनिधि सभा ने ट्रंप के खिलाफ महाभियोग के आरोप को पारित किया था, लेकिन तब रिपब्लिकन पार्टी के नियंत्रण वाले सीनेट ने फरवरी 2020 में उन्हें आरोपों से बरी कर दिया था.