Ayodhya Nath Mishra
विकास चाहे राष्ट्रीय हो या राज्य का, इसमें व्यक्ति का सामाजिक-आर्थिक विकास बड़ा महत्व रखता है. देश के लोग सुखी तो राष्ट्र सुखी. हमारे वैश्विक उड़ान का मूल एक अदद नागरिक है. …और नागरिक के स्वावलंबन- समृद्धि में संसाधनों का बहुत महत्व है. एक युवा को स्वरोजगार, स्वनियोजन, उद्यम-उद्यमिता और व्यवसाय के लिए संसाधन (धन )चाहिए. अब यह आए कहां से? तो देश के सरकारी, गैर सरकारी बैंकों का यह दायित्व है कि इसमें आगे बढ़कर मदद- समर्थन करें. देश के जिन राज्यों में कृषि, उद्यम, व्यवसाय, रोजगार में वृद्धि हुई है या जो अगली पंक्ति में खड़े हैं, वहां आर्थिक-वित्तीय समर्थन में बैंकों की भूमिका अग्रणी रही है. पर इनकी संख्या अधिक नहीं है. झारखंड सहित कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां जमा के अनुपात में बैंकों की लोन विषयक भूमिका बहुत कम है. विविध प्राकृतिक संसाधन, कर्मठ युवा शक्ति के बावजूद झारखंड राज्य में बैंकों के सार्थक समर्थन के अभाव में युवा उद्यमिता व्यवसायिकता अपेक्षित गति प्राप्त नहीं कर सकी है. यदि यहां के तसर (रेशम) लाह, वनौषधि, देशज उत्पाद, कृषि, वानिकी, लघु उद्योग, ग्रामीण उद्यमिता, वस्त्र आदि क्षेत्रों में एक संस्थागत प्रयास को वित्तीय समर्थन मिलता तो पलायन, बेरोजगारी, शोषण से मुक्ति मिल गई होती, पर अभी तक बैंकों की ओर से ढील ही देखी जा रही है.
एक ओर महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र हरियाणा का 2019-24 के कालखंड में सीडी रेसियो 90-150 % रहा झारखंड में यह अनुपात 40 % से ऊपर नहीं बढ़ पाया. अर्थात झारखंड में लघु बचत की बड़ी राशि अन्य राज्यों के विकास में काम आती है और हम वहां मजदूरी करते हैं. 2023-24 में झारखंड के बैंकों का सीडी अनुपात 39.67% रहा है. जबकि आंध्र का 122%, तमिलनाडु का 110, तेलंगाना का 109 और महाराष्ट्र का 105 प्रतिशत बताया जाता है . देश के पांच राज्य नेशनल एवरेज लगभग 87% सीडी रेसियो से बहुत ऊपर हैं, तो कुछ केंद्र शासित राज्यों समेत 27 राज्य आज भी 78% से कम अनुपात में बैंकों के कृपा पात्र हैं. विशेष कर झारखंड, मेघालय और अरुणाचल की स्थिति काफी पीछे है. ऐसा नहीं कि लोग बैंक लोन नहीं लेते, पर आम लोग होम लोन और कार-बाइक लोन से आगे कहां बढ़ पाते हैं?
संभव है बैंक बहुत हद तक सहयोगात्मक रवैया नहीं अपनाते हों, पर सरकार समग्र विकास के विविध आयामों को समर्थित करने के लिए तत्पर है. बैंकों में आम आदमी की जमा पूंजी से बड़े उद्यमियों, व्यापारियों ,पूंजीपतियों को आसानी से लोन मिल जाता है. विशेषज्ञ बताते हैं कि पूंजीपति हमेशा निवेश करते हैं. दिन दूना -रात चौगुना व्यवसाय -उद्यम विकसित करते हैं वे बैंकों में अनावश्यक धन जमा नहीं रखते. पर आम आदमी पेट काट कर लघु बचत करता है और उसे बैंकों में भविष्य के लिए सुरक्षित मान रखता है. बैंक उसे 6- 8% सूद देते हैं. यह आम लोगों के लिए प्रोग्रेसिव इकोनामी का प्रतीक नहीं है,पर विकल्प भी तो नहीं है. इसलिए राज्यों को बैंकों से लोन- समर्थन की व्यवहारिक व्यवस्था करनी चाहिए. प्रोत्साहन और सहयोग के अभाव में युवा शक्ति का बड़ा हिस्सा बैंकों से दूर ही रहता है.जहां तक कृषि ऋण की बात है तो झारखंड में लघु और सीमांत किसानों का अनुपात 72% बताया जाता है .एक एकड़ से कम कृषि भूमि वाले किसान बैंक से लोन लेने की हिम्मत करेंगे क्या ? परिणाम होता है न तो कृषि उत्पादकता बढ़ती है और नहीं रोजगार सृजन ही हो पाता है. बैंक समर्थित कृषि उत्पादन एवं स्व नियोजन शोध का विषय है
देश में बैंकों से लोन लेकर काम करने की चलन तेजी से बड़ी है. 2022-23 में यह 19.12% बढ़कर लगभग 170 लाख करोड़ हो गया तो 2023-24 में 13.4% वृद्धि के साथ बैंक लोन 212 लाख करोड़ से ऊपर बताया जाता है .पर हम है कि लोन लेने से डरते हैं, और कहीं और से प्रोत्साहन नहीं मिलता.संभव है बैंक लोन नहीं मिलने या लेने के पर्याप्त कारण हों, पर यह है तो उन्नति का बेहतर तरीका! इसमें बैंकों का संवेदनशील प्रोत्साहक रोल बड़ा मायने रखता है .राज्य के सेंट्रल बैंक ने 60% कैनरा ने 58% तथा ग्रामीण बैंक ने पिछले वर्ष में 47% लोन दिया है, पर बहुत बैंकों की भूमिका प्रोत्साहक नहीं कही जाएगी. आज ग्रोथ मायने रखता है. सरकार, बैंक, समाज सक्रिय हों तो झारखंड में सीडी रेशियो को बढ़ाते हुए उद्यम, स्वरोजगार, कृषि, व्यवसाय को बल दिया जा सकता है. इसके लिए युवा शक्ति के बीच विश्वास जगाने और समर्थन की जरूरत है. आमतौर पर गरीब आदमी कर्ज से डरता है, पर व्यवसाय जगत इसे रचनात्मक पूंजी का एक आधार मानता है. यह बात सही है कि उद्यम व्यवसाय में सब आदमी सफल नहीं हो पाता है, फिर भी अधिकांश तो आत्मनिर्भर होते ही हैं. इसलिए राज्य में कम से कम राष्ट्रीय औसत के समतुल्य सीडी रेशियो किया जाना आवश्यक है. अन्यथा यहां के आम लोगों द्वारा बैंकों में जमा किए गए लघु बचत से राज्य का भला न होना इकोनामिक ग्रोथ का नकारात्मक पहलू है. ग्रोथ के लिए ऋणग्राहिता विशेष महत्व रखती है. युवा शक्ति को आगे आना चाहिए.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.
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