NewDelhi : साख निर्धारण से जुड़ी मूडीज रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि भारतीय कंपनियां क्षमता बढ़ाने के लिए अगले एक-दो साल में पूंजीगत व्यय के तहत सालाना 45 से 50 अरब डॉलर का निवेश करेंगी. देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज की इस व्यय में हिस्सेदारी 30 प्रतिशत होगी. मूडीज ने भारत और इंडोनेशिया में सक्रिय कंपनियों के ऊपर जारी एक रिपोर्ट में कहा कि उत्पादन शृंखला एकीकरण को बढ़ाने और शुद्ध रूप से शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए निवेश किया जायेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक अगले एक से दो साल में रेटिंग वाली भारतीय कंपनियों का सालाना पूंजीगत खर्च लगभग 45 से 50 अरब डालर तक रहेगा. इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज की हिस्सेदारी अकेले 30 प्रतिशत होगी. कंपनी ने विभिन्न कारोबार में निवेश को लेकर लगभग 15 अरब डॉलर का निर्धारण किया हुआ है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज भारतीय कंपनियों के कुल व्यय का 60 प्रतिशत से अधिक खर्च करेंगी
इसके मुताबिक, तेल एवं गैस क्षेत्र और रिलायंस इंडस्ट्रीज मिलकर एक-दो साल में सामूहिक रूप से भारतीय कंपनियों के कुल व्यय का 60 प्रतिशत से अधिक खर्च करेंगी. मूडीज ने कहा कि भारत में रेटिंग वाली सात तेल और गैस कंपनियों का निवेश में हिस्सेदारी कुल निवेश का लगभग 30 प्रतिशत होगी. ये कंपनियां मौजूदा क्षमता का विस्तार करने और कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने लिए हरित ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने के लिए सालाना लगभग 15 अरब डॉलर व्यय करेंगी.
मूडीज रेटिंग्स ने उदाहरण देते हुए कहा कि ओएनजीसी (बीएए-3 स्थिर) और इंडियन ऑयल अगले दो साल में भंडार बढ़ाने, वितरण गतिविधियों यानी आपूर्ति श्रृंखला के एकीकरण और ऊर्जा बदलाव पर क्रमशः छह अरब डॉलर और चार अरब डॉलर खर्च करेंगी.
भारत और इंडोनेशिया एशिया की दो सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं
मूडीज ने कहा कि भारतीय और इंडोनेशियाई कंपनियों के लिए कर्ज गुणवत्ता बेहतर रहेगी. चीन को छोड़कर भारत और इंडोनेशिया एशिया की दो सबसे बड़ी उभरती अर्थव्यवस्थाएं हैं. उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दोनों जी-20 देशों में रेटिंग वाली कंपनियों की संख्या और रेटिंग वाले कर्ज की मात्रा सबसे अधिक है.मूडीज ने कहा कि अगले दो साल में भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर छह प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है. भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देने में घरेलू मांग की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
मूडीज रेटिंग्स को उम्मीद है कि अगले एक-दो साल में रेटिंग वाली भारतीय कंपनियों की कमाई पांच प्रतिशत बढ़ेगी. धातु, खनन और इस्पात, दूरसंचार तथा वाहन कंपनियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक वृद्धि से कंपनियों को लाभ होगा.