New Delhi : पीएम नरेंद्र मोदी की मई में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा एक जुमला थी. समाचार एजेंसी IANS ने पुणे के एक व्यापारी प्रफुल्ल सारडा द्वारा मांगी गयी आरटीआई जानकारी के जवाब में मिली जानकारी के आधार पर यह दावा किया है. इसके अनुसार केंद्र के बीस लाख करोड़ रुपये के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज में से महज तीन लाख करोड़ रुपये इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के माध्यम से मंजूर हुए.
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मंजूर हुई राशि में से करीब 1.20 लाख करोड़ रुपये विभिन्न राज्यों को कर्ज के रूप में दिये गये हैं. देश के लगभग 130 करोड़ भारतीयों के हिसाब से जोड़ें, तो प्रति व्यक्ति यह राशि करीब आठ रुपये बैठती है, जिसे राज्यों सरकारों को वापस करना होगा. सारडा ने आरटीआई में पैकेज के सेक्टर और राज्यवार कर्ज लेने व सरकार के पास बची हुई राशि के बारे में जानकारी मांगी थी। इसके अनुसार महाराष्ट्र ने ECLGS योजना के माध्यम से सर्वाधिक 14364.30 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. इसी तरह तमिलनाडु (12445.58 करोड़), गुजरात (12005.92 करोड़), उत्तर प्रदेश (8907.38 करोड़), राजस्थान (7,490.01 करोड़), कर्नाटक (7,249.99 करोड़), लक्षद्वीप (1.62 करोड़), लद्दाख (27.14 करोड़), मिजोरम (34.80 करोड़) और अरुणाचल प्रदेश ने 38.54 करोड़ रुपया लिया.
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प्रफुल्ल सारदा सवाल करते हैं कि पैकेज की घोषणा के आठ महीने बाद बचे हुए 17 लाख करोड़ रुपये कहां हैं. क्या ये एक जुमला था. ECLGS को कोविड-19 से बेतरह प्रभावित हुए MSMEs और अन्य क्षेत्र के व्यवसायों को लॉकडाउन के दौरान मंदी से उबरने में मदद करने के लिए लाया गया था. सरकार ने बिजनेस के लिए व्यक्तिगत कर्ज को कवर करने के लिए भी ECLGS योजना के दायरे को बढ़ाया था. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 से 17 मई के दौरान कई प्रेस कांफ्रेंस में एएनबीपी 1.0 की घोषणा की थी. इसके बाद 12 अक्टूबर को पैकेज 2.0 और 12 नवंबर को तीसरे पैकेज की घोषणा की गयी.
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