Jamshedpur (Sunil Pandey) : करम आखड़ा कमिटी के तत्वाधान में बालीगुमा में प्रकृति आधारित बीज संरक्षण का पर्व ‘करम’ धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान आदिवासी समुदाय ने बीज संरक्षण की परंपरा को प्रदर्शित किया. स्थानीय आदिवासी समुदाय के लोगों ने उपस्थित लोगों को बीज संरक्षण का महत्व समझाया. करम पर्व एक पारंपरिक त्योहार है जो बीज बोने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करने के लिए मनाया जाता है. इस पर्व के दौरान, लोग नृत्य, संगीत, और पारंपरिक खेल का प्रदर्शन करते हैं. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य बीजों की गुणवत्ता की जांच करना और आगामी वर्ष की फसलों के लिए आशीर्वाद मांगना है.
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परंपरा के तहत, कुंवारी बच्चियां 7 दिनों तक विभिन्न प्रकार के फसलों के बीजों को डाली में संजोकर अंकुरित करती हैं, जिसे जावा कहा जाता है. यह परंपरा बीजों की गुणवत्ता की जांच करने और उनकी शक्ति को बढ़ाने के लिए की जाती है. उपस्थित लोगों से फसल के बीज के लिए बाजार पर निर्भरता की बजाय अपने घर में इसे संरक्षित रखने पर जोर दिया गया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से जया, रुम्पा, संजना, संगीता, मोनी, वर्षा, प्रीति, पीहु, ब्रिस्टी, तानी, स्वीटी, उमा, माला, शिखा, शिल्पी, शीला, शेफाली, जीत, वरुण, राकेश ने मुख्य भूमिका निभाया.
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