Jamshedpur (Sunil Pandey) : स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा प्रतिबंधित क्लॉक पिस्तौल अवैध रूप से खरीदने, जमशेदपुर लाने, ज़िला के आर्म्स मजिस्ट्रेट के यहां गलत रिपोर्ट देने तथा कदमा थाने में आधी-अधूरी जानकारी देकर पिस्तौल अपने घर में रखने का मामला तूल पकड़ते जा रहा है. इस मामले में विधायक सरयू राय ने राज्य के मुख्य सचिव व डीजीपी से बात की तथा उन्हें पूरे मामले से अवगत कराया. दोनों अधिकारियों ने विधायक को आश्वस्त किया है कि इस मामले में पुलिस-प्रशासन विधि सम्मत कार्रवाई करेगा. विधायक सरयू राय ने बताया कि मंत्री बन्ना गुप्ता ने कुछ दिन पहले प्रतिबंधित पिस्तौल से सार्वजनिक स्थान पर फायरिंग भी की. इसकी शिकायत ज़िला प्रशासन और पुलिस को मिलने के तीन दिन बाद भी कोई कारवाई नहीं होना पुलिस की असहजता दर्शाता है.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : सेवानिवृति पर टाटा मोटर्स के सिनियर जीएम को दी गई विदाई
डीसी-एसएसपी से प्रतिवेदन मांगने के लिए कहा
विधायक सरयू राय ने कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से दूरभाष पर बातचीत की तथा पूरे मामले से उन्हें अवगत कराया. दोनों अधिकारियों से उन्होंने कहा कि वे जिले की उपायुक्त और वरीय पुलिस अधीक्षक से एक स्वभारित प्रतिवेदन मांगे. साथ ही यह भी बताया कि एक मंत्री की गैरकानूनी गतिविधियों पर हाथ डालने में पुलिस-प्रशासन स्वयं को असहज महसूस कर रहा है. ऐसी स्थिति में पुलिस एवं प्रशासनिक मुख्यालय से उन्हें आवश्यक समर्थन एवं निर्देश मिलना जरूरी है. जिससे वे अपने वैधानिक दायित्व का निर्वहन कर सकें.विधायक को डीजीपी ने आश्वस्त किया है कि वे इस मामले में जिला पुलिस से आवश्यक प्रतिवेदन मंगाएंगे.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मुंह पर काला पट्टी बांधकर प्रधानमंत्री के कार्यक्रम का किया विरोध
सात से 14 वर्ष की हो सकती है सजा
विधायक सरयू राय ने कहा कि इस तरह की पिस्तौल रखना आर्म्स एक्ट की धारा 7 का उल्लंघन है. उल्लंघनकर्ता के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 25ए के तहत प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए. लेकिन जमशेदपुर पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है. क्योंकि संगीन जुर्म करने वाला व्यक्ति सरकार में कैबिनेट मंत्री है. जबकि यही मामला अगर आम आदमी पर लागू होता तो वह कब का सलाखों के पीछे चला गया होता. उन्होंने कहा कि न्याय की नजर में हर व्यक्ति समान है. लेकिन जमशेदपुर पुलिस इस न्यायिक सिद्धांत का पालन नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रतिबंधित पिस्तौल रखने का जुर्म साबित होने पर कम से कम सजा 7 सात तथा अधिकतम 14 साल तक की सजा का प्रावधान है. ऐसी स्थिति में जमशेदपुर की पुलिस एक संगीन जुर्म पर मूकदर्शक बनी हुई है.
इसे भी पढ़ें : जमशेदपुर : चैंबर भवन में उद्यमियों व चैंबर के पदाधिकारियों ने सुनी मन की बात