- दो सप्ताह में पूरा ब्यौरा उपलब्ध कराने का दिया निर्देश
- 107 बहुमंजिली इमारतों में केवल 42 का ही खाली हो पाया है बेसमेंट
Jamshedpur (Sunil Pandey) : जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के अंतर्गत नक्शा का विचलन कर बनी अवैध इमारतों से कब्जा हटाने के मामले की बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान जमशेदपुर अक्षेस की ओर से दाखिल शपथ पत्र का शिकायतकर्ता के अधिवक्ता ने मनगढ़ंत बताते हुए इसका विरोध किया. साथ ही अदालत में दायर पूर्व के दस्तावेजों का हवाला देकर इसे गलत साबित किया. यह सुनने के बाद न्यायाधीश ने जेएनएसी के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए पुनः दो सप्ताह में पूरा ब्यौरा समर्पित करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान अदालत ने अक्षेस के अधिकारियों से पूछा कि कितनी बहुमंजिली इमारतों का नक्शा स्वीकृत किया गया है तथा इनकी संख्या कितनी है. इनमें कितने में नक्शा का विचलन किया गया है. भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग है या नहीं, नक्शा विचलन करने वालों पर क्या कार्रवाई की गयी. जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस पीके श्रीवास्तव की अदालत ने इन सारी बिंदुओं पर दो सप्ताह में ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया. बुधवार को सुनवाई के दौरान अक्षेस की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया है कि जमशेदपुर में सिर्फ 107 बहुमंजिली इमारते हैं, जो 15 मीटर से ऊंचीं हैं. इनमें से 46 के बेसमेंट या पार्किंग में अवैध निर्माण किया गया था. इस पर कार्रवाई करते हुए 42 भवनों के बेसमेंट को खाली करा लिया गया है.
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बायलॉज का उल्लंघन कर हुआ है निर्माण
जेएनएसी क्षेत्र में अवैध निर्माण की जांच को लेकर हाईकोर्ट द्वारा बनाई गई अधिवक्ताओं की तीन सदस्यीय कमिटी ने अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट को दी थी. रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद कोर्ट ने पाया था कि जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र में बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन कर अवैध निर्माण किया गया है. जनहित याचिका में जेएनएसी क्षेत्र में वर्ष 2023 तक 1246 अवैध बिल्डिंग का निर्माण की बात कही गई है. जबकि, 57 बिल्डिंग निर्माणाधीन हैं. प्रार्थी ने अवैध निर्मित 1246 भवनों को तोड़ने का आग्रह किया है, साथ ही निर्माणाधीन भवनों के निर्माण रोक लगाने का आग्रह किया गया है. बुधवार को सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि 13 वर्ष पूर्व दाखिल जनहित याचिका में भी जेएनएसी ने 46 भवनों में नक्शा विचलन का जिक्र किया है. क्या 13 वर्षों में एक भी अतिरिक्त निर्माण नहीं हुआ है. उन्होंने पूरे मामले में कड़ाई बरतने का अदालत से आग्रह किया.
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