- उपायुक्त कार्यालय पर 10 को धरना देकर जताएंगे विरोध
Jamshedpur (Sunil Pandey) : झारखंड में बांग्ला भाषा एवं यहां रहने वालों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. राज्य में 42 प्रतिशत आबादी होते हुए भी 24 वर्षों से समाज की उपेक्षा की जा रही है. उक्त बातें झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति के तापस चटर्जी एवं देवीशंकर दत्ता ने कही. मीडियाकर्मियों को दोनों ने बताया कि अब समाज चुप नहीं रहेगा. अपने हक एवं अधिकार के लिए आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगा. इसकी शुरुआत 10 सितंबर को उपायुक्त कार्यालय पर विशाल धरना से होगी. उस दिन झारखंड बांग्ला भाषी उन्नयन समिति के बैनर तले कोल्हान के तीनों जिले के अलग-अलग प्रखंडों से समाज के लोग पदयात्रा करते हुए साकची सुभाष मैदान पहुंचेंगे. वहां से सभी उपायुक्त कार्यालय जाएंगे. जहां सभी शांतिपूर्ण धरना में शामिल होंगे. उसी दिन उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के धनबाद जिले के रणधीर वर्मा चौक पर समाज की ओऱ से महाधरना होगा.
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42 प्रतिशत आबादी 24 वर्षों से उपेक्षित : तापस चटर्जी
अंशुमान चौधरी ने बताया कि बांग्ला एवं बंगाली संस्कृति को सभी सरकारों ने हाशिए पर डालने का काम किया. जबकि राज्य के कोल्हान, उत्तरी छोटा नागपुर, दक्षिणी छोटा नागपुर तथा संथाल परगना में बांग्ला भाषा भाषी बहुसंख्य लोगों का निवास है. राज्य के 24 जिलों में 16 में बांग्ला भाषा ही प्रधान सम्पर्क भाषा है. इसके बावजूद सत्ता एवं शासन द्वारा बांग्ला भाषा के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. जबकि 2011 की जनगणना के आधार पर बांग्ला, हिंंदी के बाद देश की दूसरी प्रमुख भाषा घोषित है. पिछले चौबीस वर्षो में न तो बांग्ला को राज्य के द्वितीय भाषा के रूप में अधिसूचित किया गया, ना ही बांग्ला अकादमी का गठन किया गया. यहां तक की स्कूलों में बांग्ला टीचर नहीं हैं. जिसके कारण समाज में शासन-प्रशासन के खिलाफ असंतोष हैं. जिसके लिए योजनाबद्ध तरीके से बांग्ला भाषी संगठनों को एक जुट कर राज्य स्तरीय आंदोलन शुरू किया गया है.
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11 दिसंबर को रांची में एक विशाल रैली का आयोजन
उन्होंने कहा कि 11 दिसंबर को रांची में एक विशाल रैली का अयोजन किया गया है. जिसमें पूरे प्रदेश से समाज के लोग शामिल होंगे. रैली के बाद राज्यपाल को मांग पत्र सौंपा जाएगा. प्रेस वार्ता में विश्वनाथ घोष, बनमाली बनर्जी, करूणामय मंडल, विश्वनाथ राय, सुबोध गोराई, अनिमेष राय, गौरी कर, बोल्टू सरकार, सामंत कुमार, असित चक्रवर्ती, असित भट्टाचार्जी, ओमियों ओझा, शिवनाथ पाल, जुरान मुखर्जी समेत अन्य मौजूद रहे.
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नौ सूत्री मांग
अविलंब बांग्ला भाषी शिक्षक की नियुक्ति की जाय, बांग्ला पुस्तकों के छपाई का काम शुरू किया जाय, बांग्ला अकादमी का गठन अविलंब किया जाय, झारखंड में बांग्ला को द्वितीय राजभाषा की घोषणा हो, नई एजुकेशन नीति के अनुसार हर सरकारी स्कूलों और निजी स्कूलों में बांग्ला भाषा की अनिवार्य रूप से पढ़ाई शुरू की जाय, राज्य अल्पसंख्यक आयोग में अविलंब एक उपाध्यक्ष और दो सदस्यों की नियुक्ति की जाय, राज्य के बांग्ला बहुल इलाकों के रेलवे स्टेशनों के नाम पूर्व की भांति बांग्ला में लिखे जाएं, चैतन्य महाप्रभु के नाम पर एनएच-33 का नामकरण किया जाय तथा झारखंड की राजनीति में बांग्ला भाषियों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाय.
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