Jamshedpur (Anand Mishra) : एनसीईआरटी की 10वीं और 12वीं के इतिहास, नागरिक शास्त्र, हिंदी और राजनीति शास्त्र की किताबों में बदलाव का कड़ा विरोध करते हुए एआईडीएसओ के महासचिव सौरभ घोष ने कहा है कि एक बार फिर केंद्र सरकार ने अपनी मनमानी करते हुए अलोकतांत्रिक कदम उठाया है. उन्होंने कहा है कि जनविरोधी शिक्षा नीति 2020 को लागू करते हुए भाजपा नीत मोदी सरकार ने 10वीं तथा 12वीं कक्षा की किताबों से उन पाठ को हटा दिया है, जिन्हें पढ़कर हम आजादी के आंदोलन, सांस्कृतिक विरासत, विविधता सहित इतिहास को जानते और समझते थे. 2023-24 के नए सत्र में लोकतांत्रिक राजनीति की किताब में लोकतंत्र और विविधता, जन संघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां, भारतीय इतिहास से मुगल शासक और उनका दरबार, औपनिवेशिक शहर विभाजन नामक पाठ हटा दिया गया है. इसी तरह भाग 3 के यूनिट 3 व 5 से औपनिवेशिक शहर, विभाजन नामक चैप्टर को राजनीति शास्त्र में अब नहीं पढ़ाया जाएगा.
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उन्होंने कहा है कि 12वीं की नागरिक शास्त्र से समकालीन चैप्टर, द कोल्ड वॉर एरा, स्वतंत्र भारत की राजनीति से जन आंदोलनों का उदय और एक दल का प्रभुत्व का दौर तथा हिन्दी में फिराक गोरखपुरी की ग़ज़ल के कुछ अंश, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की गीत गाने दो कविता, चार्ली चैपलिन और हम सब, 11वीं कक्षा से गजानन माधव मुक्तिबोध लिखित नए जन्म की कुंडली नरेंद्र शर्मा रचित नींद उचट जाती है जैसे पाठ अब नहीं पढ़ाए जाएंगे. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा मनमाने ढंग से किये जा रहे शिक्षा में बदलाव पर रोक लगाने के लिए शिक्षाविदों, छात्रों, अभिभावकों तथा आम जनों से सार्वजनिक, वैज्ञानिक जनवादी, धर्म निरपेक्ष शिक्षा को बचाने के लिए एकजुट होना होगा.