Jamshedpur (Sunil Pandey) : स्वर्णरेखा नदी इन दिनों जलकुंभी रूपी चादर से पट गई है. साथ ही इसका नदी में तेजी से फैलाव हो रहा है. जिसके कारण जलीय जीवों पर खतरा मंडरा गया है. जलकुंभी के नीचे रहने वाले जलीय जीव ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ सकते हैं. इस ओर अगर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में जलकुंभी जलीय जीवों के साथ-साथ मानव जीवन पर भी बुरा असर डाल सकते हैं. जलकुंभी के साथ-साथ स्वर्णरेखा नदी का पानी भी काफी प्रदूषित हो चुका है. देखने पर नदी का पानी काला नजर आ रहा है. इसका प्रमुख कारण लोगों के घरों से निकलने वाला जल-मल के साथ-साथ समीपवर्ती कंपनियों से निकलने वाला केमिकल युक्त पानी व तरल पदार्थ वगैरह है. इस पर अगर जल्द रोक नहीं लगायी गई तो आने वाले दिनों में बीमारियां लोगों को परेशान करेंगी. हालांकि जलकुंभी एवं प्रदूषण पर रोक के लिए कई बार प्रयास हुए. प्रशासन की ओर से आदेश-निर्देश भी जारी हुए. लेकिन धरातल पर ढाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ हुई. अभी भी नदी में जल-मल एवं कंपनियों का केमिकल युक्त पदार्थ कंपनी में कहीं न कहीं गिर रहा है.
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वर्षा नहीं होने से पानी का बहाव रूका
इस वर्ष मानसून मानो झारखंड से रूठ गया है. जितनी मात्रा में वर्षा होनी चाहिए, उतनी वर्षा नहीं हुई. जिसके कारण खेती-बारी करने वाले किसानों के साथ-साथ नदियां भी पानी के लिए तरस रही हैं. यही नहीं पानी के अभाव में लोगों को शुद्ध पेयजल की जगह गंदे पानी की सप्लाई हो रही है. नदी में पानी ठहर जाने से जलकुंभी तेजी से बढ़ रहा है.
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चांडिल डैम से नहीं छोड़ा गया पानी
स्वर्णरेखा व खरकई नदी में पानी का स्तर कम होने के कारण पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से ओडिशा व चांडिल डैम से पानी छोड़ने के लिए मांग पत्र उपायुक्त को भेजा गया है. पत्र भेजे हुए सप्ताह भर से ज्यादा हो गया. लेकिन अभी तक डैम से पानी नहीं छोड़ा गया. जिसके कारण जुगसलाई के लोगों को खरकई नदी से गंदे पानी की सप्लाई की जा रही है. जबकि स्वर्णरेखा नदी से जुस्को (अब टीएसयूआईएसएल) तथा मानगो नगर निगम अपने-अपने क्षेत्र में पानी की सप्लाई करता है. नदी में पानी का बहाव होने से जलकुंभी भी बहकर अन्यत्र चला जाएगा. जिससे नदी में ठहरे हुए गंदे पानी में प्रदूषण की मात्रा कम हो सकेगी.
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जलीय जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव
सूर्य की किरण पानी तक नहीं पहुंच पा रही है, पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने से मछली, जलीय पौधे व जलीय जीवों के जीवन पर संकट, मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है.
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