झारखंड विधानसभा : झामुमो अकेले ही चुनावी जंग में कूदा, कल्पना संग सीएम हेमंत ने झोंकी पूरी ताकत
Sanjay Singh
Ranchi : झारखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा दशहरा बाद कभी हो सकती है. विस चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ इंडी गंठबंधन सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन पत्नी कल्पना सोरेन संग जोर लगा रहे हैं. जनहित में सरकार के स्तर पर एक से बढ़ कर एक योजनाओं की शुरुआत कर लोगों के बीच लगातार पकड़ मजबूत कर रहे हैं. गठबंधन में शामिल वाम दल अपने प्रभाव क्षेत्र में लगातार तैयारी में जुटे हैं और अभियान भी चला रहे हैं. वहीं दूसरी ओर सहयोगी कांग्रेस और राजद की वैसी कोई तैयारी नजर नहीं आती है. ऐसा लगता ही नहीं कि कांग्रेस चुनावी मोड में आयी है. पार्टी के नेता राष्ट्रीय पार्टी का हवाला देते हुए ज्यादा से ज्यादा सीटें हथियाने के चक्कर में हैं और पार्टी के दूसरे नेता व कार्यकर्ता पार्टी का सिंबबल हथियान के लिए गेटिंग-सेटिंग में लगे हैं. चुनावी अभियान के नाम संवाद कार्यक्रम तो हुआ, प्रमंडल स्तर पर प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य नेताओं ने लोगों से संवाद किया, लेकिन इसमें उतना जोश-खरोश नहीं दिखा, जैसा प्रत्याशी चयन के मकसद से दिल्ली से आयी टीम के सामने नेता-कार्यकर्ताओं की धमाचौकड़ी मची थी.
फील्ड में जमीन ही तैयार नहीं, कर रहे टिकट की दावेदारी
एक-एक सीट से दर्जन-दो दर्जन नेताओं की दावेदारी सामने आयी. नेता मोटी-मोटी फाइल लिए ऑब्जर्बर के सामने प्रस्तुत होते रहे, दावा ठोंकते रहे, खुद को सबसे बेहतर बताते रहे. टिकट के दावेदारों में ऐसे कई चेहरे सामने आये, जिन्हें खुद ही उनकी पार्टी के ही दूसरे नेता-कार्यकर्ता पहचानते तक नहीं. वैसे कई ऐसे नेता भी दिखे, जो हैं तो काफी पुराने, लेकिन कांग्रेसी साथियों के लुर-लक्षण के कारण पार्टी की गतिविधियों से खुद को किनारे कर लिया है. कभी कभार किसी कार्यक्रम में दिख गए, तो बहुत है. उनको इस बात का मलाल है कि न पार्टी पहले जैसी रही और न पहले की तरह नेता-कार्यकर्ता. पार्टी में तो नेताओं का एक तबका ऐसा भी है, जो अपनी पार्टी के ही बाहर से आये नेताओं को मुर्गा बना कर काटने के चक्कर में लगा रहता है. ऐसे नेताओं को जमघट श्रद्धानंद रोड स्थित पार्टी के दफ्तर में दिख जाता है. यहां सालो भर बरामदा समिति आबादी रहती है. बतौलेबाजी, अपनी पार्टी के बड़े नेताओं की छीछालेदर तक करते रहते हैं. किसी को भी भ्रष्ट की उपाधि सेंकेंड भर में दे देते हैं.
टिकट के लिए दिल्ली से कश्मीर तक भागाभागी
कांग्रेस के जितने नेता टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं और रांची से दिल्ली होते हुए कश्मीर तक दौड़-भाग कर रहे हैं, उतने नेता यहां फील्ड में किसी तरह की तैयारी करते नहीं दिख रहे हैं. वैसे टिकट के जितने भी दावेदार मिलते हैं, सभी यही कहते हैं फील्ड में उन्होंने ढेरे काम किया है, जनता भी जानती पहचानती है. सभी खुद को जनता से करीब बताते हैं, ऐसे में उन्हें फील्ड में अभी वैसी तैयारी की जरूरत नहीं नजर आती है. वैसे पहले गठबंधन में सीट शेयरिंग पर तो चर्चा हो जाए, कौन-कौन सी सीट पार्टी के खाते में आती है, उसके बाद ही जोर लगाया जाएगा. इंडी गठबंधन सरकार की योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर झामुमो माइलेज ले रहा है, लेकिन कांग्रेस इसमें भी फिसड्डी साबित हो रही है. कांग्रेस न तो सरकार द्वारा किये कार्योंं का श्रेय ही ले पा रही है और दमदार ढंग से चुनाव प्रचार में उतर पा रही है. वहीं दूसरी ओर झारखंड की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा तो लगातार सरकार पर निशाना साध ही रही है, लेकिन झामुमो भी निशाने पर है, लेकिन उससे भी ज्यादा भाजपा के निशाने पर कांग्रेस ही है. भाजपा तो यहां तक आरोप लगा रही है कि कांग्रेस के कारण ही झामुमो बरबाद हो गया है, लेकिन कांग्रेस के बयानवीर सिर्फ विज्ञप्ति जारी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री समक्ष लेते हैं.
एक से बढ़कर एक पात्र, बतौलेबाजी में आगे-आगे
कांग्रेस में सक्रिय कई नेता सिर्फ बतौलेबाजी में ही ज्यादा समय बिता देते हैं. कांग्रेस के बयानवीर को कब किस मुद्दे पर क्या बोलना है, यह भी नहीं पता होता. एक दो प्नवक्ता मुंजनी-शांति जी तो हैं, लेकिन ई दोनों लोग विज्ञप्ति या बयान जारी तो करते हैं, लेकिन लगता ही नहीं कि अपने वरीय ननेताओं से किसी मुद्दे पर बातचीत की हो या चर्चा कर बयान जारी किया हो. ये दोनों महोदय झारखंड के लोकल मुद्दों पर कम नेशनल इश्यु पर ज्यादा बकवास बयानबाजी करते हैं. झारखंड स्तर के मुद्दों पर कुछ बोल ही नहीं पाते. लेकिन ठीक इसके विपरीत झारखंड के प्रमुख विपक्षी दल के प्रवक्ता व नेता लगातार सरकार, कांग्रेस पर हमले करते रहते हैं, लेकिन बचाव में कांग्रेस के प्रवक्ता न तो कुछ बोल ही नहीं पाते और न कुछ स्पष्ट ही कर पाते है. उधर झामुमो या कांग्रेस के नेता या प्रवक्ता जैसे ही विपक्षी भाजपा पर राष्ट्रीय या झारकंड स्तर पर कोई आरोप लगाते हैं, तो विपक्षी भाजपा का मीडिया सेल और इसके प्रवक्ता तत्काल उसका जवाब देकर न सिर्फ काउंटर करते हैं, बल्कि कांग्रेस को कठघरे में खड़ा कर देते. हाल ही में कांग्रेस के ऑब्जर्बर झारखंड के अलग-अलग इलाकों का दौरा कर टिकट के दावेदारों से मिल रहे थे, लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता इसके बारी में सटीक जानकारी भी नहीं दे पा रहे थे. पूछने पर कहते थे- हम का करें, देखिए न वहां का एगो नेता का नंबर देते हैं, उसी से बात कर लीजिए न भैया. हमलोगों को यहां कोई कुछों फीडबैक नहीं देता है. वहीं एक प्रवक्ता तो साथे-साथे गूम रहे थे, लेकिन पार्टी की गतिविधयों को प्रचार प्रसाद कर माइलेज लेने में तनिक भी दिलचस्पी न थी. ऐसा लता था महोदय ऑब्जर्बर लोगों के साथ पिकनिक मानने निकले हो.
प्रभारी मीर का प्रचार करने और बधाई देने पहुंच गये
कांग्रेस में टिकट की दौड़ में शामिल नेताओं की तो अजब-गजब दास्तान है. झारखंड प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर कश्मीर के डोरू से चुनावी अखाड़े में थे. कश्मीर के कांग्रेस नेता उनके लिए प्रचार में जुटे ही थे, लेकिन झारखंड से लगभग दो दर्जन टिकट के आकांक्षी नेता उनकी नजरों में आने के लिए उनके क्षेत्र में बिन बुलाये मेहमान की तरह प्रचार करने के बहाने कश्मीर में की ठंड वादियों की सैर करने पहुंच गये थे. खैर मीर साहेब करीब 27 हजारा वोटों से जीत गये, तो जो टिकट की प्रत्याशी में उनके प्रचार में गये थे, वैसे सारे नेता कॉलर उठा के घूम रहे हैं. दावा है- झारखंड के नेताओं की मेहनत ने रंग लाया. अब यहां तक तो ठीक था, लेकिन मीर साहेब की जो जीत की बधाई के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर सहित कई नेता उनके पास कश्मीर पहुंच गये. ऐसे नेता झारखंड में चुनाव को लेकर जोर लगाने के बजाय प्रभारी के ईर्द-गिर्द ही मंडरा रहे हैं, जबकि विपक्षी भाजपा दिल्ली से लेकर झारखंड तक कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमले कर रही है.
जिसे अनुशासनहीनता के आरोप में निलंबित किया था, उसे ही सौंपी जिम्मेवारी
हाल ही में कांग्रेस ने दो मुख्य प्रवक्ता नियुक्त किए हैं. संजय पांडेय जी ने युवा कांग्रेस से राजनीति शुरू की. प्रदेश युवा कांग्रेस में जिम्मेवारी संभाली, रांची नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे, लेकिन उसके बाद काफी दिनों तक सक्रिय राजनीति से दूर रहे. यानि सुसुप्तावस्था में चले गये थे. लेकिन गेटिंग-सेटिंंग में माहिर पांडेय अचानक अवतरित हुए और सीधे मुख्य प्रवक्ता बना दिए गए गए. उधर दूसरे मुख्य प्रवक्ता लालकिशोर नाथ शाहदेव हैं. ये उसी तीन मुड़िया कमेटी के सदस्य रहे हैं, जिन्होंने तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के खिलाफ मोर्चा खोला था. इन्हें वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की अगुवाई वाली अनुसासन समिति ने शो-कॉज जारी किया था, लेकिन इन्होंने न जवाब दिया था और न अनुशासन समिति के समक्ष अपना पक्ष ही रखने गये थे. बाद में तीन मुड़िया फेमिली के दो अन्य सदस्यों आलोक दुबे व डॉ राजेश गुप्ता छोटू के साथ इन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. जिन्हें अनुशासन तोड़ने के आरोप में निलंबित किया गया था, अचानक मीर कृपा से उनका निलंबन वापस हुआ और शाहदेव मुख्य प्रवक्ता नियुक्त कर दिए गए. दुबे हटिया से टिकट की भी दावेदारी कर रहे हैं, जबकि राजेश गुप्ता छोटू रांची से चुनाव लड़ना चाहते हैं. शाहदेव भी हटिया से दावा ठोके हैं, लेकिन अईसेही. सीरियस नहीं हैं.