Ranchi : राज्य में जब भी किसी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या या फिर कोई बड़ा अपराध होता है, तो सबसे पहले पुलिस की भूमिका और तत्परता पर ही सवाल उठता है.
खस्ताहाल कानून व्यवस्था, वीवीआईपी सुरक्षा, यातायात संचालन, तफ्तीश में देरी से लेकर, उग्रवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाने की नाकामी तक का बोझ ढोने वाली झारखंड पुलिस खुद कितनी मजबूत है, इसकी पोल ये रिपोर्ट खोलती है.
संख्याबल के लिहाज से राज्य में पुलिस की भारी कमी है. झारखंड में 908 लोगों की सुरक्षा एक पुलिसकर्मी के भरोसे है. पुलिस की कमी से जूझ रहा झारखंड अकेला राज्य नहीं है, बल्कि देश के लगभग सभी राज्यों में मौजूद जनसंख्या और जरूरतों के हिसाब से पुलिस बल की भारी कमी है.
झारखंड में पुलिसबल की कुल स्वीकृत संख्या 79,950 है, जिनमें में 18,931 पद अभी भी रिक्त हैं. वहीं वर्तमान में सिर्फ 61,019 पुलिसकर्मी ही सेवा में कार्यरत हैं.
एक वीआईपी की सिक्योरिटी में औसतन छह पुलिस के जवान रहते तैनात :
झारखंड में 186 वीआईपी लोगों को जेड श्रेणी से लेकर एक्स श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है. ऐसे में मात्र 186 लोगों की सुरक्षा में ही एक हजार से ज्यादा जवान लगे हुए हैं.
इन वीआईपी में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, और कई पूर्व मुख्यमंत्री के साथ-साथ झारखंड से जुड़े केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं, जिन्हें Z श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है.
सुरक्षा मापदंड के हिसाब से राज्य में पुलिसकर्मी कम :
सुरक्षा मापदंड के अनुसार, झारखंड में बहुत कम संख्या में पुलिस बल पदस्थापित हैं. इस मापदंड के अनुसार, 694 व्यक्तियों पर एक पुलिस कर्मी होना चाहिए. वहीं यूएनओ के अनुसार, 450 व्यक्तियों पर एक पुलिस जवान की तैनाती करनी है. लेकिन झारखंड में 908 लोगों पर एक पुलिस जवान तैनात हैं.