Kiriburu (Shailesh Singh) : जराईकेला थाना अन्तर्गत समठा गांव निवासी पूर्व नक्सली सहयोगी नेलशन भेंगरा की हत्या नक्सलियों द्वारा किये जाने से पूर्व नक्सली हेन्देकुली के जंगल में शरण लिये हुये थे. बताया जाता है कि नेल्शन भेंगरा अपनी गलत आचरण व उल-जुलूल बातों का प्रचार-प्रसार की वजह से नक्सलियों का शिकार हुआ. हालांकि डीआईजी अजय लिंडा के नेतृत्व में बडा़ आपरेशन नक्सलियों के खिलाफ प्रारम्भ किया गया है.
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सारंडा जंगल स्थित जराईकेला और छोटानागरा थाना क्षेत्र के घने व सुदूरवर्ती जंगलों में पिछले 3-4 महीनों से भाकपा माओवादी नक्सली जगह बदल-बदल कर शरण लिये हुये थे. सारंडा से सटा कोल्हान जंगल में पुलिस व सीआरपीएफ का निरंतर जारी आपरेशन के बाद नक्सलियों का दर्जनों बंकर व स्थाई कैंपों को पुलिस ने ध्वस्त कर नक्सलियों को वहां से खदेड़ना प्रारम्भ किया. उसके बाद नक्सली बीते अक्टूबर माह से हीं सारंडा में अपनी गतिविधियां बढ़ाना तेज किया. कोल्हान जंगल से सारंडा में सबसे पहले नक्सली गुआ थाना क्षेत्र के जंगल होते छोटानागरा थाना अन्तर्गत कुमडीह, बहदा, तितलीघाट, कोलायबुरु, कुदलीबाद, हतनाबुरु, मारंगपोंगा, उसरुईया, बालिबा, होलोंगउली, आदि क्षेत्र के जंगलों में स्थान बदल-बदल कर घने जंगलों में रहने लगे.
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इस जंगल में जब पुलिस ने आपरेशन चलाया तो ये नक्सली भागकर पास के जराईकेला थाना क्षेत्र के हेन्देकुली जंगल में शरण ले लिये. विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार यह क्षेत्र दीघा व तिरिलपोषी गाँव के बीच से लगभग 6-7 किलोमीटर अंदर घने जंगलों मे हैं. बताया जाता है कि हेन्देकुली मे कोई ग्रामीण नहीं रहते हैं. दशकों वर्षों पुरानी वन विभाग का कुछ पुराना भवन आदि मात्र है. यहाँ वन विभाग के लोग भी नहीं जाते हैं. यह नक्सलियों के लिये छिपने अथवा ठहरने हेतु सुरक्षित जंगल बताया जाता है. बीते माह इसी जंगल क्षेत्र मे पुलिस व सीआरपीएफ के साथ नक्सलियों की मुठभेड़ हुई थी. मुठभेड़ के बाद नक्सली भाग खडे़ हुये थे. अब पुनः इसी जंगल को वह अपना आशियाना बनाये हुये हैं. हेन्देकुली का जंगल से नक्सली बालिबा, चिड़िया, थोलकोबाद, मनोहरपुर आदि क्षेत्र के जंगलों के अलावे सीधे ओडिशा सीमा में सुरक्षित भाग सकते हैं.
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सेलकर्मियों को पहले जैसी ही मिलेगी चिकित्सा सुविधा : सीएमओ
- 10 दिनों में जरूरी निर्देश उच्च अधिकारियों से वार्ता बाद जारी होगा : संयुक्त मोर्चा
Kiriburu (Shailesh Singh) : सेल की मेघाहातुबुरु खदान के सीजीएम आर पी सेलबम, बोकारो अस्पताल के सीएमओ, किरीबुरु अस्पताल के सीएमओ डा0 एम कुमार, महाप्रबंधक (पीएंडए) विकास दयाल, सहायक महाप्रबंधक आलोक वर्मा, अभिजीत कुमार, बी राजू बेलन के साथ सेलकर्मियों का संयुक्त मोर्चा के साथ लगभग दो घंटे तक सीजीएम कार्यालय में चली लंबी वार्ता के बाद मेघाहातुबुरु के सेलकर्मियों का आंदोलन खत्म हुआ. संयुक्त मोर्चा ने बताया की मेघाहातुबुरु के सेलकर्मी बब्लू पान जो दुर्घटना में गंभीर रुप से घायल व इलाजरत था.
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इलाज के दौरान अक्स्मात 9 जनवरी की शाम लगभग 5 बजे भुवनेश्वर में उसकी मौत हो गई. चिकित्सा सुविधाओं से संबंधित समस्याओं व सेल की अस्पताल प्रबंधन की बदली नियमों के खिलाफ खदान में हड़ताल किया गया था. संयुक्त मोर्चा ने बताया की बोकारो अस्पताल के सीएमओ ने कहा कि वह किरीबुरु अस्पताल के सीएमओ को कोई अलग निर्देश नहीं दिया था. सेलकर्मियों व उनके आश्रितों को पहले जैसे नियम अनुसार चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होती रहेगी. हम बीएसएल के पीएंडए के उच्च अधिकारियों से बात कर 10 दिन के अंदर जरुरी पत्र या जानकारी आपको उपलब्ध करा देंगे. सेल प्रबंधन ने मृत सेलकर्मी बब्लू पान शव भुवनेश्वर से किरीबुरु लाने हेतु एम्बुलेंस भी उपलब्ध कराने की बात कही है.
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सेलकर्मियों ने बताया कि पहले कार्य स्थल से बाहर किसी शहर में सेलकर्मी या उनके आश्रित की अचानक तबियत खराब होने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में भर्ती कर वहां से सीधे सेल के सम्पर्क वाले बडे़ अस्पतालों में बेहतर इलाज हेतु मरीजों को रेफर किया जाता था. जिससे मरीजों की जान बचती थी. लेकिन किरीबुरु अस्पताल प्रबंधन ने वर्तमान में उस नियम को बदल दिया था. और यह कह रही है कि अगर कोई सेलकर्मी या उनके आश्रित बाहर में बीमार पड़ता है अथवा दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उसे यथावत स्थिति में सशरीर पहले किरीबुरु अस्पताल लाना होगा. यहां मरीज की स्थिति को देखने के बाद हीं बडे़ अस्पतालों में रेफर किया जायेगा. मेघाहातुबुरु के सेलकर्मी बब्लू पान के ओडिशा में 7 जनवरी की शाम दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी यहीं स्थिति उत्पन्न हो गई थी. सेलकर्मियों ने कहा कि अगर 10 दिन के अंदर सकारात्मक जबाब बोकारो से नहीं आया तो उसके बाद पुनः हड़ताल किया जायेगा.
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पॉलिटेक्निक कॉलेज के हॉस्टल के 75 फीसदी विद्यार्थी गए अपने घर
Kiriburu (Shailesh Singh) : झारखंड राज्य में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पहले से हीं काफी खराब है. खासकर सरकार द्वारा संचालित शिक्षण संस्थानों की स्थिति अत्यंत हीं दयनीय है. राजकीय पॉलिटेकनिक कॉलेज, जगन्नाथपुर जैसी शिक्षण संस्थानों में भी जब भारी भ्रष्टाचार व अव्यवस्थता की स्थिति उत्पन्न होने लगे तो बच्चों के भविष्य को भगवान भी बर्बाद होने से नहीं बचा सकता है. अंततः इस कॉलेज में पढ़ने व हॉस्टल में रहने वाले लगभग 400-450 विद्यार्थियों में से 75 फीसदी छात्र-छात्राएं बुधवार को हॉस्टल खाली कर विभिन्न माध्यमों से अपने-अपने घर लौट गये. बाकी बचे लोग गुरुवार को जायेंगे. मामला सिर्फ छात्रों के हॉस्टल के मेस स्टाफों के भाग जाने व छात्रों के सामने भोजन की गंभीर समस्या उत्पन्न होने से जुडा़ था. यह समस्या छात्राओं के हॉस्टल में नहीं थी. लेकिन इसको लेकर 11 जनवरी से होने वाली आंतरिक परीक्षा को भी रद्द करना पडा़. इसके अलावे पौष्टिक भोजन, स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, बिजली नहीं रहने पर डीजी नहीं चलने आदि की बातें तो भारी भ्रष्टाचार का संकेत दे रही है.
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कारण यह कि इतने बडे़ कौलेज में सफाईकर्मी, डीजी हेतु डीजल की व्यवस्था, पौष्टिकता से भरी खाने का मीनू, रसोईया आदि की सुविधा पहले से अवश्य किया गया होगा. कहीं न कहीं सारी व्यवस्था बेहतर नेतृत्व क्षमता अथवा भारी भ्रष्टाचार की वजह से चरमराई होगी. जिसके वजह से मेष स्टाफ भागे, आंतरिक परीक्षा को अपरिहार्य कारण बताकर स्थगित करना पड़ा, बच्चों को होस्टल खाली करने का निर्देश दिया गया, अधिकतर बच्चे होस्टल खाली कर अपने-अपने घर के लिये रवाना हो गये. जो बचे हैं वह भी कल तक चले जायेंगे.
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बड़ा सवाल है कि बच्चे ऐसे कॉलेजों में जरुरी शिक्षा के अलावे ईमानदारी, सामाजिकता, संस्कार, दयाभाव, आपसी प्रेम व भाईचारा, एक-दूसरे को मदद करना आदि तमाम अच्छे गुणों को सीखने आते हैं. लेकिन जब इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हीं विद्वेष, व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन, नफरत, भ्रष्टाचार आदि तमाम गलत कार्यों के प्रति मिलने लगे तो गंभीर चिंता का विषय होगा हीं. भले ही विद्यालय प्रबंधन अपना जो भी तर्क दे, लेकिन बच्चों ने लगातार न्यूज को फोन कर अपनी जो पीड़ा बताई है वह निश्चित ही झकझोर देने वाली है.
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बच्चों में भारी आक्रोश देखा जा रहा था. वह होस्टल से घर जाना नहीं चाहते थे. वह व्यवस्था को जल्द सुधरते देखना चाहते थे. वह कल से होने वाली परीक्षा देना चाहते थे ताकि उनका शेषन लेट नहीं हो. लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई. इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर खराब व्यवस्था को ठीक करने की जरुरत है. जाँच के दौरान विद्यालय के प्राचार्य व शिक्षकों को दूर रखकर छात्र-छात्राओं से अलग में बात करनी चाहिए. तभी वास्तविक सच्चाई का पता चलेगा.
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बीआरपीएल के खिलाफ ग्रामीणों का आंदोलन तीसरे दिन भी जारी
Kiriburu (Shailesh Singh) : सीमावर्ती ओडिशा स्थित बीआरपीएल कंपनी से झारखण्ड होते होने वाली लौह अयस्क की ढुलाई कार्य को बोकना में ग्रामीणों द्वारा आज तीसरे दिन भी बाधित खा गया है. माल ढुलाई कार्य को 8 जनवरी की सुबह लगभग 9 बजे से पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा, दिरीबुरु पंचायत के मुखिया गंगाधर चातोम्बा, वार्ड सदस्य अनीता पुरती, सामाजिक कार्यकर्ता पवन सिंह, विजय बोदरा, सोमा चाम्पिया, दुनिया पुरती, दुम्बी चाम्पिया, अर्जुन आदि के नेतृत्व में रोका गया है. कंपनी की तरफ से आज भी ग्रामीणों के साथ आंदोलन समाप्त करने हेतु कोई पहल नहीं किया गया.
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ग्रामीणों की मांग है कि कंपनी पूरे क्षेत्र में प्रदूषण फैलाकर झारखण्ड की जंगलों, प्राकृतिक जल श्रोतों, नदी-नाला को प्रदूषित व ग्रामीणों को विभिन्न बीमारियों से ग्रसित करना बंद करे. कंपनी जहां अपना डैम बनाई है, वहां के 3-4 परिवारों का पक्का मकान बनाकर दे, बोकना क्षेत्र के लगभग 20 बेरोजगारों को कंपनी में स्थायी नौकरी, अन्य बेरोजगारों को रोजगार से जोड़ना, बोकना क्षेत्र के लोगों के लिये एक एम्बुलेंस व समय समय पर चिकित्सा शिविर का आयोजन, पारम्परिक पर्व-त्योहार व कार्यक्रम का आयोजन हेतु सामुदायिक भवन, शिक्षा, शुद्ध पेयजल, प्रदूषण नियंत्रण आदि की सुविधा उपलब्ध कराया जाये.
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सेल प्रबंधन हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं ले : दारा सिंह चांपिया
- गुआ और सारंडा की धरती शहीदों की भूमि है
Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा व गुआ की धरती शहीदों की भूमि है. सेल की गुआ समेत जेजीओएम प्रबंधन सारंडा के स्थानीय व खदानों से प्रभावित गांवों के शिक्षित बेरोजगारों व ग्रामीणों की धैर्य की परीक्षा नहीं लें. अन्यथा बडे़ आंदोलन का सामना करना पडे़गा. उक्त बातें गुआ खदान से प्रभावित लिपुंगा निवासी सह सामाजिक कार्यकर्ता दारा सिंह चाम्पिया ने कहा. उन्होंने कहा कि सेल प्रबंधन गुआ समेत तमाम खदानों के लिये बीते दिनों जो बहाली आयोजित कर बाहरी लोगों को लिया है, उस बहाली को रद्द कर सारंडा व खदान से प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को विशेष प्राथमिकता देते हुये बहाली प्रक्रिया प्रारभ करे.
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अन्यथा बड़ा आंदोलन का सामना करने हेतु तैयार रहे. दारा सिंह ने कहा कि सारंडा का यह क्षेत्र पांचवी अनुसूचित क्षेत्र है. यहां कोई भी कार्य बिना ग्राम सभा का अवैध है. उक्त बहाली बिना ग्राम सभा की इजाजत से आयोजित किया गया है जो बिल्कुल गलत है. आने वाले दिनों में लोकसुनवाई या किसी भी कार्य हेतु आयोजित ग्रामसभा में सेल प्रबंधन को आईना दिखाने का कार्य सारंडा के तमाम ग्रामीण व युवा करेंगे. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने अपना हक व अधिकार के लिये गुवा में जो शहादत दी है, उनके शहादत को हम युवा व ग्रामीण व्यर्थ जाने नहीं देंगे.
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