Kiriburu (Shailesh Singh) : सेल की गुवा लौह अयस्क खदान प्रबंधन सारंडा जंगल क्षेत्र में खदान की मिट्टी डम्प कर वन व पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित कर व नुकसान पहुंचा रहा है. इससे बरसात के मौसम में उक्त मिट्टी व पत्थर वर्षा के पानी के साथ बहकर सारंडा की प्राकृतिक कोयना नदी व विभिन्न नालों को दूषित कर रही है. ऐसे में नदी का पानी पेयजल के रूप में इस्तेमाल करने से काशिया-पेचा, राजाबेड़ा, जोजोगुटू, छोटानागरा, जामकुंडिया, लेम्ब्रे, चुर्गी, दुईया, दोदारी, मम्मार, सलाई, नुईया, घाटकुड़ी, गंगदा, रोवाम आदि गांव के ग्रामीण बीमार हो रहे हैं. उक्त आरोप गंगदा पंचायत के मुखिया सुखराम उर्फ राजू सांडिल ने गुवा खदान के पीछे जंगल का दौरा करने के बाद लगातार न्यूज से बातचीत में कहा है.
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गुवा खदान प्रबंधन रानी चुंआ क्षेत्र के जंगलों में कर रहा अनैतिक कार्य
राजू सांडिल का कहना है कि गुवा खदान प्रबंधन अपने खदान के रानी चुंआ क्षेत्र के जंगलों में यह अनैतिक कार्य कर रहा है. वेस्ट डम्प रोकने के नाम पर लगभग दो फीट ऊंचा बोल्डर व पत्थर का एक कच्चा चेक डैम का निर्माण किया गया है, जो पूरी तरह से भर गया है. इसके ऊपर से मिट्टी बहकर प्राकृतिक नदी-नालों और विभिन्न गांव के ग्रामीणों के नदी किनारे खेतों को बंजर कर रही है. उक्त मिट्टी वर्षा के दौरान दलदल में तब्दील हो जा रही है, जिसमें फंसकर तमाम प्रकार के वन्यप्राणियों की मौत होने की संभावना अधिक है. राजू सांडिल ने गुवा प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाया है कि प्रबंधन ने उक्त जंगल क्षेत्र की अनेक पेड़-पौधों को अवैध तरीके से काट जमीनदोज कर दिया है. वन, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग भी गुवा प्रबंधन की इस पर्यावरण विरोधी गतिविधियां को ढ़कने अथवा पर्दा डालने का कार्य कर रही है.
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पूरे प्रमाण के साथ जल्द प्रबंधन के खिलाफ करेंगे बड़ा आंदोलन : राजू सांडिल
राजू सांडिल ने कहा कि गुवा प्रबंधन ग्रामीणों को सिर्फ बीमारी देने व उनके खेतों को बंजर करने का कार्य कर रही है. इसके बदले वह प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को गुवा अस्पताल में मुफ्त चिकित्सा सुविधा, नौकरी व रोजगार, सीएसआर के तहत विकास कार्य आदि नहीं करती है. आवाज उठाने पर कहा जाता है कि उक्त गांवों में से अनेक गांव हमारे सीएसआर क्षेत्र से बाहर है. विदित हो कि पूरे प्रमाण के साथ राजू सांडिल जल्द ही एनजीटी में मामला दर्ज करायेंगे व विभिन्न गांवों के ग्रामीणों के साथ गुवा प्रबंधन के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेडे़ंगे. उन्होंने कहा कि गुवा के अलावा सेल की किरीबुरु, मेघाहातुबुरुऔर चिड़िया खदान भी है. लेकिन वह भी अपने-अपने खदान से प्रभावित सारंडा के छः पंचायतों के विभिन्न गांवों में रहने वाले बेरोजगारों को नौकरी व रोजगार नहीं दे रही है.
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