Kiriburu (Shailesh Singh): झारखण्ड सरकार द्वारा संचालित अंग्रेजी शराब दुकानों में भारी पैमाने पर अनियमितता बरते जाने के कई मामले सामने आते रहते है. शिकायत के बाद भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती. ऐसे में दुकानदारों का मनोबल भी काफी बढ़ जाता है. इन सभी के बीच ग्रहकों को इसका नुकसान उठाना पड़ता है. किरिबुरु के कई शराब दुकानदार अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे है. कई जगहों पर दुकान में काम करने वाले कर्मचारियों को बिना कारण के हटा दिया गया है. तो वहीं शराब खरीदने आए ग्राहकों से भी एमआरपी से अधिक की वसूली की जा रही है. क्या है पूरा मामला पढ़िये इस रिपोर्ट में.
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किरीबुरु स्थित अंग्रेजी शराब दुकान में एक ही शराब के लिये दो तरह का शुल्क लेने से ग्राहकों में भारी आक्रोश है. 3 जुलाई को किरीबुरु स्थित सरकारी अंग्रेजी शराब दुकान में एक ग्राहक ने एक विशेष कंपनी की शराब की (क्वार्टर) की बोतल खरीदी, उस बोतल पर एमआरपी 180 रूपये जबकि कवर पर 190 रुपये अंकित था. इस बात को लेकर ग्राहक व दुकानदार में विवाद हो गया. दुकानदार 190 रुपये लेने की बात पर अडा़ था वहीं ग्राहक 180 रूपये से अधिक देने की बात नहीं कर रहा था. समस्या का समाधान नहीं हुआ. बड़ा सवाल यह है कि एक ही पैक की शराब बोतल में उसका क्रय मुल्य अलग-अलग क्यों.
शराब दुकान के कर्मचारी भी हैं परेशान
दुकानदारों ने बताया की उन्हें झारखण्ड सरकार के अबकारी विभाग ने लगभग 13,500 रुपये में सुपरवाईजर एंव 10,500 रुपये प्रति माह वेतन पर हेल्फर के पद पर शराब दुकान में नौकरी पर नियुक्त किया था. लेकिन दो महीना बीत गये हैं एक माह का भी वेतन नहीं मिला. अब दुकान के संचालक उन्हें नौकरी से हटा कर बिहार के युवकों को नौकरी पर रख रहे हैं. एक कर्मचारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर दुकान के संचालकों पर गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि ये बिहार के लोगों को 25/50 हजार रूपये की घुस पर नियुक्त किया गया है ताकि शराब की बिक्री अधिक दर पर कर सके. इस अवैध नियुक्ति के लिये अबकारी विभाग से भी सहमति नहीं ली गई है.
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बिहार के लोगों को रखा जा रहा काम पर
पश्चिम सिंहभूम जिले के विभिन्न अंग्रेजी शराब दुकानों के सेल्समैन ने लगातार न्यूज को नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनके अधिकारी बंशल पांडेय का उनपर काफी दबाव है. प्रत्येक शराब दुकान से अवैध कमाई कर 2-3 हजार रूपये उन्हे देने को कहा जाता है. उन्हेे (क्वार्टर) की बोतल में 10 रुपये, हाफ में 20 रुपये एंव फूल बोतल में ग्राहक से एमआरपी से 30 रुपये अधिक की वसूली करने का आदेश है. इस आदेश के बाद उनके द्वारा एमआरपी से अधिक की वसुली भी की जा रही थी लेकिन ग्राहकों का भारी विरोध होने लगा. इस वजह से यह अवैध कार्य को बंद करना पड़ा. इससे नाराज होकर बंशल पांडेय ने कई दुकानों के अबकारी विभाग द्वारा नियुक्त किये गये स्टाफ को अचानक बदल कर बिहार के युवकों को काम पर रख लिया. शराब दुकान से बेरोजगार हो रहे ऐसे युवकों ने 4 जून से किरीबुरु समेत विभिन्न क्षेत्रों की जनता से अपने-अपने क्षेत्रों में अंग्रेजी शराब दुकानों को बंद कराने हेतु आंदोलन छेड़ने की बात कही है.
औरंगाबाद व गया के रहने वाले है नए कर्मचारी
शराब दुकानों में भेजे गये बिहार के नये कर्मचारियों से जब लगातार न्यूज ने बात करनी चाही तो वह कैमरे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुये. ऑफ द रिकार्ड बताया कि उन्हें बिना किसी तय वेतनमान पर लाया गया है एंव कितना पैसा मिलेगा यह भी नहीं बताया गया है. वे सभी बंशल पांडेय के आदेश पर यहॉं आये हैं. उनसे जब सवाल किया गया की क्या आप एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब नहीं बेचेंगे? इस पर उन्होंने कहा कि हम अपने मालिक या बंशल पांडेय का आदेश मानेंगे.
स्टॉफ की अभद्रता सामने आने के बाद हटाया गया : बंसल पांडेय
इस पूरे मामले पर बंसल पांडेय से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होने कहा कि अंग्रेजी शराब दुकान में सारे स्टॉफ को आबकारी विभाग द्वारा एक समिति गठित कर स्थानीय नियोजन कार्यालय के माध्यम से नियुक्ति की गई थी. 12 जून को आबकारी विभाग के मुख्यालय में शराब दुकानों के कर्मचारियों द्वारा एमआरपी से अधिक कीमत लेकर शराब बेचे जाने की शिकायत गई थी. मुख्यालय की तरफ से सरायकेला के आबकारी दरोगा निर्भय सिन्हा को इस मामले में जाँच का जिम्मा दिया गया. जांच में ओवर रेट की शिकायत पकड़ी नहीं गई लेकिन स्टॉफ की अभद्रता सामने आयी. उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया था कि था कि ऐसे आचरण से राजस्व का नुकसान होगा जिस कारण स्टाफ को हटाया जाये. इस आदेश की चिठ्ठी भी हमारे पास उपलब्ध है. बंसल पांडेय ने अपने उपर लगे आरोपों को गलत बताया. उन्होने बताया कि यहॉं काम पर रखे गए नए स्टॉफ औरंगाबाद व गया के हैं. इनका नाम स्थानीय नियोजन कार्यालय में दर्ज है.