- डीएफओ ने जांच कर कार्रवाई का दिया भरोसा
Kiriburu (Shailesh Singh) : लगातार न्यूज की खबर पर सारंडा के दर्जनों गांवों के मानकी-मुंडाओं ने लगाई मुहर. सारंडा डीएफओ अभिरुप सिन्हा व संलग्न पदाधिकारी आइएफएस नीतीश कुमार से वन विभाग कार्यालय, किरीबुरु में मुलाकात कर कहा कि सेल की चिड़िया खदान की मोनोपोली ठेका कंपनी एनएसआईपीएल सारंडा के वन्यप्राणियों व हाथियों का कॉरिडोर वन विभाग की अनुमति के बगैर बाधित कर रही है. इसकी निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही हो. सारंडा के मानकी-मुंडाओं ने डीएफओ से एनएसआईपीएल के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि यह ठेका कंपनी सेल, मनोहरपुर ओर माइंस (चिड़िया) की पिछले लगभग 20 वर्षों से बंद पड़ी खदान से अवैध तरीके से खनन कर वहां की लौह पत्थर का उठाव भारी वाहनों से कर उन लौह पत्थरों को खदान रोड में डम्प कर बिछाया जा रहा है, ताकि सेल की दुबिल खदान से वह मनोहरपुर रेलवे साइडिंग तक खनिज सम्पदाओं का परिवहन आसानी से कर सकें. लगभग 18-20 रैक जंगल के पत्थरों को उक्त सड़क में डाले जाने का अनुमान है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अगर ऐसा नहीं हुआ है तो वन विभाग इसकी निष्पक्ष जांच करे. सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि अगर पिछले 20 वर्षों से इस बंद पड़ी 8 नम्बर खदान से अगर अवैध खनन नहीं हुआ है तो इस खदान में अब तक बडे़ बडे़ पेड़-पौधे व झाड़ियां उगी नजर आती हैं, जो कहीं नहीं है, बल्कि अनेक स्थानों पर खनन का ताजा अवशेष मिलेगा. इसे हम ग्रामीण वन विभाग के साथ जाकर दिखाने को तैयार हैं.
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सारंडा के मानकी-मुंडाओं ने डीएफओ से यह संदेह व्यक्त किया कि यह कंपनी दुबिल खदान से होने वाली लौह अयस्क के परिवहन में भारी अनियमितता बरतते हुये केन्द्र व राज्य सरकार के साथ-साथ वन विभाग के राजस्व को चूना लगा रही है. अर्थात दुबिल खदान से होने वाली लौह अयस्क का परिवहन के दौरान ऑन लाइन माइनिंग चालान में निर्धारित वजन से अधिक वजन का अयस्क मनोहरपुर रेलवे साइडिंग तक ले जाने की संभावना है. लौह अयस्क के परिवहन में लगी वाहनों की औचक जांच व वजन विशेष टीम से समय-समय पर करायें. खदान से निकलने वाले पत्थरों का वजन, सेल अधिकारियों व वन विभाग के लोगों के सत्यापन व माइनिंग तथा वन विभाग के संयुक्त चालान के साथ खदान से बाहर भेजने की व्यवस्था हो. लगातार न्यूज में छपी खबर से पूर्व तक दुबिल खदान में रात के समय नियम विरुद्ध संचालित उत्पादन कार्यों की निष्पक्ष जांच हो तथा दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज हो.
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सारंडा के मानकी-मुंडाओं ने डीएफओ से आग्रह किया कि सेल की दुबिल खदान सारंडा के हजारों ग्रामीण मजदूरों/माइनरों का जीने का आधार था. पहले यहां हैंड माइनिंग होती थी, जिसमें सारंडा के हजारों ग्रामीण मैनुअल पत्थर तोड़ अपना व परिवार का भरण-पोषण करते थे. उसे गहरी साजिश के तहत बंद कर व्यक्तिगत लाभ हेतु मशीन माइनिंग प्रारम्भ किया गया है. मशीन माइनिंग को बंद करा पुनः इस खदान में हैंड माइनिंग प्रारम्भ करवा कर सारंडा के हजारों ग्रामीणों को पहले जैसा रोजगार से जोड़ महान उपकार किया जाये. डीएफओ अभिरुप सिन्हा ने मानकी-मुंडाओं को भरोसा दिया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करायी जायेगी और गड़बड़ी पाये जाने पर दोषियों के खिलाफ फॉरेस्ट एक्ट के तहत कार्यवाही की जायेगी. दूसरी तरफ एनएसआईपीएल कंपनी के पदाधिकारियों ने लगातार न्यूज से कहा कि अयस्क परिवहन वाले सड़क पर जंगल क्षेत्र के बाहर से मुरुम लाकर डाला गया है. हालांकि सड़क पर गिरे बडे़ बडे़ पत्थरों को देख साफ प्रतीत होता है कि वह मुरुम नहीं बल्कि खदानों या जंगल का लौह पत्थर है.
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