Kiriburu (Shailesh Singh) : पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंका ने सारंडा जंगल स्थित उसरुईया, मारंगपोंगा, सोनापी, छोटानागरा, तितलीघाट आदि का दौरा किया. इसके बाद उन्होंने छोटानागरा पूजा पंडाल के पास ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं सुनीं. उन्होंने कहा कि एक तरफ टाटा स्टील की विजय-टू खदान प्रबंधन खदान का लाल पानी व मिट्टी सारंडा की कोयना नदी में छोड़ तमाम नदी-नालों को पूरी तरह से प्रदूषित कर रही है. इसका लाल पानी पीकर ग्रामीण बीमार हो रहे हैं. वह प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को अपने खदान में रोजगार तक नहीं दे रही है. लाल पानी व रोजगार को लेकर सारंडा के ग्रामीणों के साथ जल्द ही टाटा स्टील के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ उत्पादन व माल ढुलाई कार्य ठप करेंगे.
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उन्होंने कहा कि सारंडा का सबसे महत्वपूर्ण उसरुईया पुल जो दर्जनों गांवों को थाना, पंचायत, प्रखंड मुख्यालय आदि से जोड़ती है, उसका निर्माण आज तक नहीं हुआ है. यह अत्यंत ही दुर्भाग्य की बात है. उसरुईया पुल का निर्माण भाजपा के एक बड़े नेता सह ठेकेदार जितेन्द्र प्रसाद गुप्ता कर रहे हैं. ठेकेदार ने पुल निर्माण में भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दिया था, लेकिन आज तक पुल का निर्माण नहीं कराया. पुल निर्माण में कार्य करने वाले ग्रामीण मजदूरों को आज तक मजदूरी नहीं दी और फरार हो गया. तत्कालीन सांसद गीता कोड़ा ने तब यहां आकर भ्रष्टाचार को देख काम बंद करवाया था और जांच करा कर दोषी ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाही करने की बात कही थी. तब वह सांसद थी और सरकार में भी थी. आज तक उन्होंने कुछ नहीं किया. पिछले दिनों ही यहां नदी पार करने के दौरान सीआरपीएफ व ग्रामीणों के वाहन पानी के तेज बहाव में बह गया था. बहुत मुश्किल से वाहन को निकाला गया.
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सभी गांवों में पेयजल की समस्या
बोबोंगा ने कहा कि छोटानागरा व दीघा पंचायत के तमाम गांवों में पेयजल की विकट समस्या है. ग्रामीण लाल पानी आज भी पी रहे हैं. सभी गांवों का सोलर जलमीनार, चापाकल आदि खराब है. बाईहातु जलापूर्ति योजना से नियमित पेयजल आपूर्ति नहीं होती है. तमाम सोलर जलमीनार, चापाकल व आसन्न जलापूर्ति योजना में भारी भ्रष्टाचार किया गया है. निर्वाचित जनप्रतिनिधि सरकार व प्रशासन किस काम के हैं जब ग्रामीणों को बुनियादी सुविधा भी नहीं मिल रही है. जनता अपना जनप्रतिनिधि इसीलिये चुनती है कि वह उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कराये.
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छोटानागरा अस्पताल में नहीं हैं चिकित्सक
मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि सारंडा स्थित छोटानागरा में एकमात्र सरकारी अस्पताल है, जहां चिकित्सक नियुक्त नहीं हैं. सारंडा के ग्रामीण भगवान भरोसे या अंधविश्वास से अपनी जान बचाने का जंग लड़ रहे हैं. बीते दिनों कुदलीबाद के एक युवक की बीमारी से मुक्ति हेतु गर्म लोहे से पेट दागने की घटना सामने आयी थी. इसके बाद भी सरकार, स्वास्थ्य विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठी है. चिकित्सक की नियुक्ति छोटानागरा में नहीं कर रही है. इस दौरान कई गांवों के दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे.
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