- एक दबंग राजनेता की भूमिका भी संदेह के घेरे में
- गुवा में रेलवे लाइन की सफाई के नाम पर अरबों का घोटाला
Kiriburu (Shailesh Singh) : गुवा रेलवे साइडिंग के लाइन नंबर 5 और 6 और बड़ाजामदा रेलवे साइडिंग की कुछ लाइनों की साफ-सफाई के नाम पर लौह अयस्क की तस्करी के बड़े खेल में जमशेदपुर के विनय पंकज, अमर सिंह के अलावे कुछ अन्य बड़ी हस्तियां शामिल हैं. इन लोगों को जमशेदपुर की ही एक बड़ी राजनीतिक हस्ती का आशीर्वाद प्राप्त है. सूत्रों का कहना है कि दोनों रेलवे साइडिंग से सेल, टाटा स्टील समेत दर्जनों खदानों (अब बंद) से लौह अयस्क की ढुलाई होती रही थी अथवा है. कई वर्षों में उक्त खदानों से लम्प, फाइन्स, ब्लू डस्ट समेत अन्य प्रकार की लौह अयस्क रेलवे साइडिंग में परिवहन हेतु आता था. रैक लोड होने के बाद उक्त रूपों में अयस्क अलग-अलग परत दर परत तथा हर परत में अलग-अलग ग्रेड के रूप में लाइन किनारे जमा होता था. खदान से रेलवे साइडिंग में परिवहन तक ग्राउंड लॉस के नाम पर हजारों टन लौह अयस्क जमा है. जानकारों का कहना है कि यह कीमती खनिज सम्पदा है. अगर रेलवे का लाइन अयस्क भरने से जाम हो गया था तो लाइन की सफाई के नाम पर जो कार्य आवंटित ठेकेदार को किया गया था, उसमें इन खनिजों का भंडारण किसी सुरक्षित प्लॉट पर कराकर फिर उसका वास्तविक वजन निर्धारित कर उस अयस्क की नीलामी करनी चाहिये थी. इससे नीलामी से प्राप्त करोड़ों-अरबों रुपये सरकार के खजाने में जाती, लेकिन ऐसा नहीं कर एक माफिया गिरोह को फायदा पहुंचाने के लिए यह सब बड़ा खेल खेला गया है.
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टास्क फोर्स ने अब तक नहीं पकड़ी गड़बड़ी
दोनों रेलवे साइडिंग से जो अयस्क का उठाव कर बड़ाजामदा स्थित टोरियन, बोबोंगा आदि प्लॉट में भंडारण कर वहां से बिना माइनिंग चालान के सैकड़ों मालवाहक वाहनों से अन्यत्र कैसे भेजा जा रहा है. अगर खनन विभाग इस लौह अयस्क के परिवहन हेतु माइनिंग चालान दिया है, जैसा कि अमर सिंह दावा करते हैं तो यह किस आधार पर दिया गया, यह उच्च स्तरीय जांच का विषय है. ऐसे लौह अयस्क की ढुलाई में दिन-रात लगे वाहनों के खनिज व परमिट-चालान संबंधित कागजातों की अब तक जांच कर जिला प्रशासन द्वारा अलग-अलग विभागों को मिलाकर गठित टास्क फोर्स द्वारा नहीं पकड़ा जाना अनेक सवाल खड़े कर रहा है.
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सीमावर्ती राज्यों में भी अयस्क तस्करी की योजना
बडे़ अयस्क माफिया सिर्फ गुवा व बड़ाजामदा हीं नहीं, बल्कि झारखंड-ओडिशा सीमावर्ती राज्यों के वैसे तमाम रेलवे साइडिंग से इसी प्रकार लाइन सफाई के नाम पर लौह अयस्क की तस्करी करने की बड़ी कार्य योजना तैयार कर रखी है. रेलवे का जहां-जहां वे-ब्रिज है वहां भी रैक में लोड अयस्क का भार मैनेज करने का काम होता आ रहा है. अनेक खदान प्रबंधन अथवा कंपनियां रेलवे साइडिंग में क्षमता से अधिक भी अयस्क रैक में लोड करती है, जिसे वजन के बाद खाली करना होता है. यह माल रेलवे क्षेत्र में जहां खाली होता है वहां अयस्क का क्या होता है, यह भी बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है.
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मामले की उच्च स्तरीय जांच हो : बोबोंगा
शुभम संदेश हिंदी दैनिक और लगातार न्यूज में छपी खबर ”सफाई के नाम पर अरबों रुपए के लौह अयस्क की तस्करी” मामले पर पूर्व विधायक मंगल सिंह बोबोंगा ने कहा कि झारखंड से खनिज सम्पदा की चोरी का यह नया खेल शातिराना अंदाज में किया जा रहा है. इस मामले की न्यायिक व उच्च स्तरीय सीबीआई जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसे रेलवे साइडिंग की सफाई हम सब मुफ्त में करने को तैयार हैं. एक बार रेलवे बड़ाजामदा, गुवा आदि क्षेत्र के लोगों को मौका तो देकर देखें. उन्होंने कहा कि उक्त लाइन को साफ कर अयस्क कहां रखा गया है. जहां अयस्क रखा गया है, वहां उतना अयस्क है या गायब हो गया. गायब करने वाले लोग कौन-कौन हैं, अयस्क कहां और किस प्लांट में गया. इन सभी मामलों की जांच होनी चाहिये. बोबोंगा ने सरकार व रेलवे से मांग की है कि खदान क्षेत्र की नदी-नालों व रेलवे साइडिंग की साफ-सफाई व उसे बेचने का काम हम लोगों को देते रहे. हम सभी मिलकर यह काम मुफ्त में करेंगे तथा इससे क्षेत्र के हजारों लोगों की बेरोजगारी भी खत्म होगी तथा नदी-नाला व लाइन भी हमेशा साफ रहेगा.
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