Kiriburu (Shailesh Singh) : एक नेक व ईमानदार प्रयास से सारंडा के थोलकोबाद, गुंडीजोड़ा आदि गांवों के किसानों को सिंचाई हेतु सालों भर पानी मिल सकता है. उल्लेखनीय है कि ससंग्दा रेंज (किरीबुरु) में वर्ष 2016 में पदस्थापित पूर्व प्रशिक्षु आईएफएस अधिकारी दिलीप कुमार यादव के मानवीय प्रयास से नक्सल प्रभावित सारंडा के थोलकोबाद गांव के लगभग 350 एकड़ भूमि को सिंचाई हेतु पानी मिलना प्रारंभ हुआ था. खेतों में पानी आने से ग्रामीणों में भारी उत्साह था. लेकिन अब देखभाल के अभाव में सारा उत्साह खत्म हो गया और उनके खेतों में वर्षों से सिंचाई हेतु पानी नहीं पहुंच पा रहा है.
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ग्रामीणों व वनकर्मियों के संयुक्त प्रयास से आईएफएस ने बनवाई थी कच्ची नहर
गौरतलब है कि जब आईएफएस दिलीप कुमार सारंडा में थे तो उन्होंने थोलकोबाद से तिरिलपोसी मार्ग पर लगभग ढाई किमी दूर वन विभाग द्वारा पूर्व से बनाई गई एक चेकडैम से कच्ची नहर ग्रामीणों व वनकर्मियों के संयुक्त प्रयास से बनाकर थोलकोबाद की खेतों में पानी पहुंचाया था. इस कार्य में वन विभाग का एक भी पैसा खर्च नहीं हुआ था. इसमें होने वाला सारा खर्च दिलीप कुमार यादव ने अपने वेतन से किया था. वहीं, ग्रामीणों को जब इसके बारे में पता चला तो ग्रामीण भी संगठित होकर कड़ी मेहनत कर श्रमदान से अपने लिये कच्ची नहर बनाने के कार्य में लग गये थे.
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नक्सलियों की बनाई कच्ची नहर को पुलिस ने कर दिया था ध्वस्त
उस समय सारंडा में जब नक्सल गतिविधियां चरम पर थी तो वन विभाग द्वारा बनाई गई इसी चेकडैम से माओवादियों ने ग्रामीणों के सहयोग से वर्ष 2010-11 में कच्ची नहर बनवा पानी थोलकोबाद गांव के खेतों में पहुंचाया था. इस कार्य को गांव के ही विजय होनहागा (अब मृत) जो उस वक्त माओवादियों के अभिन्न अंग क्रांतिकारी किसान कमिटी के सचिव थे, जिसे संगठन में राकेश के नाम से जाना जाता था. उसने अपनी देख-रेख में नहर माओवादियों के पैसों से बनवाया था. हालांकि इसके बाद पुलिस ने नक्सलियों की इस व्यवस्था अथवा मॉडल को ध्वस्त कर दिया था, जिससे गांव में सिंचाई हेतु पानी मिलना बंद हो गया था.
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नहर बनने के बाद लगभग 350 एकड़ भूमि पर प्रारंभ हो गई थी खेती
सिंचाई की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों ने वर्ष 2016 में आईएफएस दिलीप यादव से इस नहर का निर्माण कर गांव के खेतों में पानी पहुंचाने की मांग की थी. इसे भौतिक सत्यापन कर आईएफएस ने ग्रामीणों की मांग को पूर्ण करने का भरोसा दिया था. साथ ही उन्होंने सारंडा डीएफओ से नहर निर्माण हेतु बात कर कहा कि यह नहर अपने वेतन के पैसों व ग्रामीणों के सहयोग से बनवाउंगा, जिसके बाद डीएफओ ने उन्हें हौसला दिया था. उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से कच्ची नहर बनवाकर थोलकोबाद स्थित किसानों के खेतों में पानी पहुंचाया, जिसके बाद लगभग 350 एकड़ भूमि पर खेती प्रारंभ हो गई व किसानों में भारी खुशी थी.
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वन विभाग के पास ऐसे कार्यों के लिये विशेष फंड
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आज वन विभाग के पास ऐसे कार्यों के लिये विशेष फंड हैं. वह सारंडा जंगल में स्ट्रेंच, कंटूर कटिंग, डोभा आदि का निर्माण कर रही है. यदि वह चाहे तो थोलकोबाद जैसे तमाम वन ग्रामों को चैकडैम व सिंचाई नहर बनाकर उनके हजारों एकड़ कृषि भूमि पर पानी पहुंचाकर सालों भर विभिन्न प्रकार की खेती की व्यवस्था सुनिश्चित करा सकती है, ताकि सारंडा के ग्रामीण कृषि के जरिए आर्थिक उन्नति की ओर बढ़ सकें.
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