Arun Burnwal
Koderma : जिले केशो जलाशय परियोजना में घोटाला का मामला सामने आ रहा है. बताया जा रहा है कि 67 करोड़ की लागत वाली केशो जलाशय परियोजना ढाई साल में पूरी होनी थी,लेकिन 13-14 साल बीत जाने के बाद भी परियोजना का पूरा काम नहीं हो पाया है. इस परियोजना में अब तक मात्र एक चौथाई ही काम हो पाया है. इसके लिए अब तक 19 करोड़ रुपये खर्च हो चुके है. जबकि इंजीनियरों से साठगांठ कर ठेका कंपनी को 44 करोड़ का भुगतान हो चुका है.ज्यादा पैसे खर्च होने के बावजूद काम लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है.
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सुरक्षागार्ड को भी कई वर्षों से नहीं मिला वेतन
वहीं निर्माण कार्य में लगे उपकरण एवं गाड़ियां देखरेख के लिए सुरक्षा गार्ड नियुक्त किया गया है. जिसके गार्ड को भी कई वर्षों से वेतन नहीं मिल पाया है. गार्ड ने बताया कि मजबूरी में आकर ड्यूटी करना पड़ रहा है.सुरक्षा गार्डों ने बताया कि कई वर्ष बीत जाने के बाद भी हमें वेतन नहीं मिल पाया है. इस संबंध में कंपनी के पदाधिकारियों से बात करने पर केवल आश्वासन ही मिलता है. जब हमलोग ड्यूटी के लिए मना करते हैं तो हमें धमकी दी जाती है कि समान चोरी हुआ तो उल्टा केस दर्ज कर देंगे. ऐसे में हमारा भगवान ही मालिक है.
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जल संसाधन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2006-07 में टेंडर निकाला था
उधर जांच में गड़बड़ी साबित होने के बाद जल संसाधन विभाग ने ठेका कंपनी विजेता कंस्ट्रक्शन और 13 इंजीनियरों के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में एफआईआर दर्ज कराने की अनुशंसा की है. ज्ञात हो कि तत्कालीन मुख्य सचिव ने फाइल सीएम को भेजी थी.
बता दें कि इस योजना के लिए जल संसाधन विभाग ने वित्तीय वर्ष 2006-07 में टेंडर निकाला था. तय शिड्यूल रेट से नौ फीसदी अधिक पर यह काम विजेता कंस्ट्रक्शन को मिला था. इसे ढाई साल में पूरा किया जाना था. बार-बार निर्देश के बावजूद जब काम पूरा नहीं हुआ तो सरकार के द्वारा जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता में तकनीकी जांच दल का गठन किया गया.जांच कमिटी की रिपोर्ट आने के बाद विभाग ने सीएम से 13 इंजीनियर और ठेका कंपनी के खिलाफ एसीबी में केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की अनुशंसा कर दी.
सूत्रों का कहना है कि तकनीकी जांच कर आगे की कार्रवाई किए जाने की संभावना ज्यादा है. इसके लिए 19 करोड़ रुपए का ही काम हुआ है, लेकिन भुगतान 44 करोड़ से अधिक का हो गया.काम से 25 करोड़ रुपए अधिक भुगतान को जांच कमिटी ने गबन करार दिया. इसके लिए ठेका कंपनी समेत तत्कालीन दो कार्यपालक अभियंता,तीन सहायक अभियंता और आठ कनीय अभियंता को दोषी बताया गया है.
इस परियोजना का लाभ 12 गांव को मिलता
वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि इस परियोजना के पूरा होने से लगभग 12 गांव के लोग या यह कहें कि 21 मौजा के लोग इससे लाभान्वित होते,लेकिन आज तक इस योजना के पुरा होने के इंतजार में लोगों में उदासी छाई हुई है.वहीं कुछ लोगों ने बताया कि समय पर योजना पूरा हो जाता तो हम लोग सिंचाई के अलावा मछली पालन कर भी अपनी जीविका का साधन बना पाते.जिन लोगों को सिंचाई योजना से लाभ की उम्मीदें थी,वह अभी इस योजना के पूरा होने की बाट जो रहे हैं. अब देखना दिलचस्प होगा कि कब तक यह योजना पूरा हो पाता है या खटाई में पड़ जाता है.
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