Lagatar Desk : महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री व तीन बार के विधायक रहे बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद लॉरेंस बिश्नोई गैंग की चर्चा एक बार फिर से देशभर में हो रही है. लॉरेंस बिश्नोई गैंग सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. एनआईए की कार्रवाई से गैंग के खिलाफ लड़ाई तो तेज हुई है, लेकिन गैंग का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और उसकी शक्तिशाली संरचना को देखते हुए माना जा रहा है कि इसे खत्म करना आसान नहीं होगा. हाल के दिनों में देश के अपराध जगत में सबसे बड़ा नाम बन गया है. शनिवार को इस गैंग ने मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या कर देश को हिलाकर रख दिया है.
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दाऊद इब्राहिम गैंग की तरह कर रहा काम
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, लॉरेंस बिश्नोई गैंग अपनी कार्यप्रणाली और संगठन में दाऊद इब्राहिम के डी-कंपनी जितनी बड़ी और ताकतवर बन गई है. दोनों ही गैंग ने छोटे-मोटे अपराधों से शुरुआत की और धीरे-धीरे एक बड़ा आपराधिक सिंडिकेट बना लिया. बिश्नोई गैंग ने अब उत्तर भारत में अपना वर्चस्व कायम कर लिया है और उसकी पहुंच विदेशों तक भी फैल गई है. गैंग ने रंगदारी और हवाला के जरिए बड़ी मात्रा में पैसा कमाया है, जिसे विदेशों में निवेश किया गया है. बिश्नोई गैंग का साम्राज्य अब पंजाब तक ही सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, झारखंड और विदेशों जैसे रूस, अमेरिका, पुर्तगाल, यूएई और अजरबैजान में फैला हुआ है.
700 शूटर्स और सोशल मीडिया का इस्तेमाल
एनआईए के एक आरोप पत्र के मुताबिक, बिश्नोई गैंग में लगभग 700 शूटर्स हैं, जिनमें से 300 अकेले पंजाब से हैं. गैंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक का इस्तेमाल अपने गैंग का प्रचार करने और युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए किया है.
अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
गैंग के सदस्य अलग-अलग देशों में रहकर गैंग की गतिविधियों को संचालित करते हैं. गोल्डी बरार कनाडा, पंजाब और दिल्ली, रोहित गोदारा राजस्थान, मध्य प्रदेश और अमेरिका, अनमोल बिश्नोई पुर्तगाल, अमेरिका, दिल्ली-एनसीआर, महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल, और काला जठेड़ी हरियाणा और उत्तराखंड में गैंग की कमान संभालते हैं.
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