काम शुरू होते ही स्थानीय लोग करते हैं विरोध, बंद करना पड़ता है काम
बस्तियों का अस्तित्व खत्म होने की आशंका से डरे लोग कर रहे विरोध
Ranchi: राजधानी में बनने वाले लाइट हाउस प्रोजेक्ट का काम 4 महीने में शुरू नहीं हो पाया है. जबकि दिसंबर 2021 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने की डेडलाइन है. धुर्वा के पंचमुखी मंदिर के पास बरकोचा मित्रमंडल मैदान में लाइट हाउस परियोजना का निर्माण होना है. नगर विकास विभाग जल्द से जल्द इस महत्वाकांक्षी परियोजना को शुरू करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद हर बार काम बंद हो जा रहा है. 1 जनवरी 2021 को पीएम मोदी ने इस महात्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत की थी. इस प्रोजेक्ट के तहत विशेष तकनीक के रांची में 1040 भूकंप रोधी मकान बनाकर गरीबों को देने की योजना है, लेकिन स्थानीय लोग किसी भी हालत में यहां लाइट हाउस नहीं बनने देना चाहते. मिट्टी की जांच के लिए बीते सोमवार और मंगलवार को अधिकारी और ठेकेदार पहुंचे थे. भारी संख्या में पुलिस बल की भी तैनाती की गई, लेकिन स्थानीय लोग कुछ भी मानने को तैयार नहीं हुए. एक बार फिर काम रुक गया. अब नगरीय प्रशासन निदेशालय विरोध कर रहे लोगों के प्रतिनिधिमंडल से बात कर मामले को सुलझाने के बाद तेज गति से काम शुरू करेगा.
स्थानीय लोगों को एक इंच भी जमीन नहीं जा रही
लाइट हाउस प्रोजेक्ट में स्थानीय लोगों की एक इंच भी जमीन नहीं जा रही है. कोई बेघर नहीं हो रहा है, लेकिन फिर भी विरोध हो रहा है. लोगों का कहना है कि यह खेल का मैदान है. उनके बच्चे यहीं खेलते हैं. इलाके में एक ही खेल का मैदान है जिसे वे कंक्रीट के मैदान में तब्दीन होने नहीं देंगे. यहां किसी भी सूरत में लाइट हाउस बनने नहीं देंगे. लोगों को यह भी डर है कि लाइट हाउस बनने से उनकी बस्तियों के उजड़ने का संकट पैदा हो सकता है. एचईसी से विस्थापित हुए लोगों की हालत देखकर यहां के लोग डरे हुए हैं. उन्हें लग रहा है कि यह प्रोजेक्ट धीरे-धीरे उनकी जमीन को भी निगल लेगा.
लोगों को नुकसान नहीं फिर भी कर रहे विरोध
नागरीय प्रशासन निदेशक विजया जाधव ने कहा कि यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है. इससे स्थानीय लोगों को कुछ भी नुकसान नहीं है. इसके बावजूद लोग विरोध कर रहे हैं. निदेशक ने कहा कि जिस जगह पर लाइट हाउस का निर्माण होना है वहां एक मैदान है. इस उबड़-खाबड़ मैदान में लाइट हाउस बनाये जायेंगे. सरकार ने स्थानीय गरीब लोगों के लिए जमीन का अधिग्रहण किया है. लोग समझ नहीं पा रहे हैं यह प्रोजेक्ट क्या है, या फिर कुछ लोग भोले-भाले लोगों को बरगलाने की कोशिश कर इस प्रोजेक्ट को रोकने की कोशिश कर रहे हैं. फिलहाल 18 जगहों पर मार्किंग कर फीलिंग का काम शुरू कर दिया गया है. स्थानीय लोगों के लीडर्स को बातचीत के लिए बुलाया गया है.
क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट
लाइट हाउस प्रोजेक्ट केंद्रीय शहरी मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत लोगों को स्थानीय जलवायु और इकोलॉजी का ध्यान रखते हुए टिकाऊ आवास प्रदान किए जाते हैं. लाइट हाउस प्रोजेक्ट के लिए जिन राज्यों को चुना गया है उनमें झारखंड के साथ-साथ त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु शामिल हैं. इस प्रोजेक्ट में फैक्टरी से ही बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर घर बनाने के स्थान पर लाया जाता है, इसका फायदा ये होता है कि निर्माण की अवधि और लागत कम हो जाती है. इसलिए प्रोजेक्ट में खर्च कम आएगा और मकान पूरी तरह से भूकंपरोधी होंगे.
34.50 वर्ग मीटर होगा कारपेट एरिया
इस प्रोजेक्ट के तहत पूरा कारपेट एरिया 34.50 वर्ग मीटर में होगा. इसके तहत 14 मंजिला टावर बनाए जाएंगे. कुल 1,040 फ्लैट तैयार होंगे, हर फ्लैट 415 वर्ग फुट का होगा. इसमें केंद्र सरकार की ओर से 5.5 लाख रुपये अंशदान दिये जाएंगे, जबकि राज्य सरकार 1 लाख रुपये अंशदान देगी और लाभुकों को करीब 6.79 हजार रुपये देने होंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर लाइट हाउस बनता है तो इस कोरोना काल में गरीब लोग 7 लाख रुपये सरकार को कहां से देकर मकान खरीदेंगे.