Rajan Boby
Ranchi: आषाढ शुक्ल द्वितीया रविवार को भगवान जगन्नाथ स्वामी भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा संग रथारूढ हो भक्तों पर जमकर आशीष बरसाया. मौसी घर आए. साथ ही ऐतिहासिक रथ यात्रा मेला प्रारंभ हो गया. पहले दिन सुबह से ही भक्ति और उत्साह की सतरंग छटा देर शाम तक छायी रही. भक्त थे, भक्ति थी और आराध्य के दर्शन. इसके अलावा कुछ नहीं था. हर कार्य जय जगन्नाथ के आसरे हो रहा था. खरीदारी करते, खाते-पीते और मेले का आनंद लेते श्रद्धालु जब जोश में आते, तो जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो जाता. कहीं चकरी काटता झूला, तो कहीं खेल-तमाशे वालों के भोपू की गूंज बरबस ही आकर्षित करती रही. जगह-जगह मांदर और ढोल-नगाड़े की थाप पर थिरकते लोग छोटानागपुर की माटी की खुशबू बिखेर रहे थे. मंदिर परिसर से लेकर शालीमार बाजार तक उमड़ा सैलाब आस्था के मेले को चार-चांद लगाता प्रतीत हो रहा था.
अहले सुबह से दर्शन को जुटे थे श्रद्धालु
जगन्नाथपुर मुख्य मंदिर में अहले सुबह से दर्शन-पूजन को दर्शनार्थियों की कतार लगी थी. सुबह पांच बजे दर्शन-पूजन के बाद आम भक्तों के लिए मंदिर का पट खोल दिया गया. दिन चढ़ते भक्तों की लंबी कतार लग गयी. दर्शन-पूजन का सिलसिला दिन के दो बजे तक चला. इसके बाद एक-एक कर सभी विग्रहों को रथारूढ़ कर शृंगार-पूजन किया गया.
टाना भगतों ने भी की विशेष पूजा
भगवान जगन्नाथ के रथारूढ़ होने से पहले टाना भगतों ने पारंपरिक मिलन पूजा की. मंदिर में देवी-देवताओं की पूजा के बाद सभी सिंह द्वार के पास एकत्रित हए. नेम-निष्ठा से पूजा कर श्रद्धा का पुष्प चढ़ाया. टाना भगत रथ यात्रा मेला के दौरान वर्षो से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं.
लक्षर्चना कर भक्तों ने अर्पित की श्रद्धा
मारवाड़ी सहायक समिति की ओर से इस बार भी दिन के तीन बजे श्रीविष्णु लक्षर्चना किया गया. रथ पर विराजमान जगन्नाथ स्वामी के समक्ष भक्तो ने लक्षर्चना कर श्रद्धा के पुष्प चढ़ाये. साड़ी में लिपटी महिलाएं और पीतांबर धाेती-गमछी में पुरुष् अलग-अलग कराता में बैठ कर शाम साढ़े चार बजे तक पूजा-अर्चना करते रहे. बाद में अर्चित पुष्प को भगवान के श्रीचरणों में चढ़ाया गया. फिर श्रद्धालुओं ने मंदिर के पुजारी रामेश्वर पाढ़ी, कौस्तुभधर मिश्र, श्रीराम महंती आदि संग जगन्नाथाष्टकम का पाठ और स्तुति गान किया. विग्रहों की आरती उतारी गयी.
रथ खींचने और ढकेलने को उमड़ा सैलाब
रथ का रस्सी बंधन होने के साथ शाम पांच बजे जैसे ही हटिया डीएसपी प्रमोद कुमार मिश्रा के संचालन में भगवान का रथ बढ़ा तो भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. किसी ने रस्सा खींच कर स्वयं को धन्य किया तो किसी ने रथ को घकेल कर प्रभु से स्वयं के जीवन रूपी रथ को सुख-समृद्धि और शांति के साथ गंतव्य तक पहुंचाने कि कामना की. मौसी बाड़ी तक यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने और रथ की रस्सी को स्पर्श मात्र करने के लिए श्रद्धालुओं के बीच होड़ सी मची रही. शाम साढ़े छह बजे रथ मौसी बड़ी पहुंचा. यहां रथ पर ही महिलाओं ने दर्शन-पूजन किया. बाद में सभी विग्रहों को मौसी बाड़ी में विराजमान किया गया. रात आठ बजे 108 दीपमालाओं से आरती उतारी गयी. फिर रात्रि विश्राम के लिए पट बंद हो गया.
आज से भक्तों के कदम मौसी बाड़ी की ओर
ऐतिहासिक रथ यात्रा के दूसरे दिन सोमवार से 17 जुलाई तक भक्तो के कदम मौसी बाड़ी ओर ही बढ़ेंगे. क्योंकि साल में एक बार आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से देवशयनी एकादशी तक जगन्नाथ स्वामी भाई और बहन संग मौसी बाड़ी में ही विराजते हैं. यहां दर्शन-पूजन को भक्तो का सुबह से देर शाम तक तांता सा लगा रहता है. इस दौरान भगवान को नित्य तरह-तरह के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है. घुरती रथ मेला के साथ भगवान वापस अपने घर लौट आते हैं.
देर शाम तक गुलजार रहा मेला स्थल
तेज धूप और गर्मी के बाद भी मेला स्थल गुलजार रहा. उल्लास, उमंग और मस्ती का आलम के क्या कहने. मौसम की परवाह किये बैगर एक ओर श्रद्धालु प्रभु के दर्शन को ललायित थे तो दूसरी तरफ भीड़ ने मेले का भरपुर मजा लिया. कई तरह के झूले, खेल-तमाशे वाले और जरूरत के सामानों की सजी सैकड़ों दुकानें बरबस ही आकर्षित करती रहीं. देर शाम तक उत्साह परवान चढ़ता रहा. वंशी, झाल, तलवार भाला, पाइका नृत्य के मुखौटे, मांदर नगाड़े भी खूब बिके. महिलाओं की भीड़ सौंदर्य प्रशाधनों की दुकानों पर थी. मांदर समेत अन्य पारंपरिक वाद्यंत्रों की थाप दिनभर गूंजती रही. बांस की छतरी की भी मांग खूब थी. मछली पकड़ने वाली जाल की भी मांग रही. बच्चों के बीच वांसुरी, भोंपू आदि खिलौने खरीदने की होड़ मची रही.
सेवा और सत्कार को उठे हजारों हाथ
भगवान जगन्नाथ के दर्शन और मेला घुमने आये लोगों के सेवा और सत्कार को हजारो हाथ उठे. शहर के विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और व्यवसायी संगठनों ने मेला स्थल में सेवा शिविर लगा दर्शनार्थियों को हर संभव सहयोग दिया. कहीं लोगों के बीच पेय जल आदि बांटे गये तो कहीं चिकित्सा सेवा दी गयी. कई शिविरों में बिछड़े को मिलाया भी गया. बड़ी संख्या में पुलिस के जवान के साथ रथ मेला सुरक्षा समिति के सदस्य पूरे इलाके में मुस्तैद रहे. विहिप के सेवा शिविर में पेय जल के साथ चिकित्सा सुविधा भी दी गयी. अग्रवाल सभा की ओर से दस रुपए में पूरी-सब्जी खिलाई गई. इसके अलावा आनंदमार्ग, मारवाड़ी सहायक समिति, सरना समिति सहित दर्जनों संगठनों द्वारा सेवा शिविर लगाया गया.
एक बूंद भी नहीं बरसी बरखा रानी
रथ मेले के दौरान बारिश की संभावना बनी रहती है. लेकिन इस बार एक बूंद भी बरखा रानी नहीं बरसी. संभावना जताई जाती है कि रथ मेला में वर्षा थोड़ा-ज्यादा जरूर होती है, एकदम अकाल पड़ने पर भी बूंदा-बांदी होती है, पर इस बार ऐसा नहीं हुआ.
झलकियां
-एचइसी सेक्टर दो से मुख्य मंदिर तक लगी थी भक्तों की कतार
-मेला परिसर से बिरसा चौक तक रुक-रुक कर लगा रहा जाम
-पुलिस और प्रशासन के उपस्थित थे दर्जनों पदाधिकारी
-चप्पे-चप्पे पर लगा था कड़ा पहरा, पीटे गये मनचले
-रथ मेला सुरक्षा समिति ने भी संभाली विधि व्यवस्था
-बिछड़ों को मिलाने में जुटे रहे स्वयंसेवक और कार्यकर्ता
-सेवा शिविर लगा दी दर्शनार्थियों को हरसंभव सहयोग
-मांदर की थाप पर जगह-जगह थिरक रहे थे लोग
-शाम ढलते ही रंग-बिरंगी लाइटों से जगमगाया मेला स्थल
-रोक के बाद भी प्रतिबंधित पक्षियों कि हुई जम कर बिक्री
-कई तरह के झूले और खेल-तमाशे वालों का रहा आकर्षण
-शराब और नशापान पर रोक के बावजूद बिक रहा थी हड़िया
-माली को मऊर दान कर की गयी नवदंपति के लिए मंगल कामना
-नगाड़े, मांदर,मछली का जाल, पांरपरिक हथियार आदि खूब बिके
-कई जगहों पर बैरिकेडिंग कर बड़े-छोटे वाहने के प्रवेश पर लगाई गई रोक
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