LagatarDesk : दो लाख से अधिक नकद लेनदेन की जानकारी संबंधित क्षेत्रीय आयकर विभाग को अनिवार्य रूप से दें. शीर्ष अदालत ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर आप दो लाख से ज्यादा नकद लेनदेन करते हैं तो आयकर विभाग आप पर कानूनी कार्रवाई कर सकता है और जरूरत पड़ने पर छापा भी मार सकता है.
शीर्ष अदालत ने देश के सभी न्यायालयों और सब-रजिस्ट्रारों को निर्देश दिया है कि इस तरह के मामले कोर्ट में आये तो आप अपने संबंधित क्षेत्रीय आयकर विभाग को इसकी जानकारी दें.
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी :
“अज्ञानता व्यक्तिगत तौर पर क्षम्य हो सकती है, लेकिन कानून के मामले में नहीं. जब कोई नियम बना है, तो उसके अनुसार ही हर नागरिक को चलना चाहिए”
दरअसल एक व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि उसने एक प्रॉपर्टी के लिए एडवांस के रूप में 75 लाख रुपये कैश में दिये थे. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसा लेन-देन आयकर अधिनियम 1961 की धारा 269ST का सीधा उल्लंघन है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कोई कानून बना है, तो उसका पालन भी होना चाहिए. वित्त अधिनियम 2017 के तहत 1 अप्रैल 2017 से दो लाख रुपये या उससे अधिक की नकद लेन-देन पर पाबंदी है.
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जब भी किसी कोर्ट में इस तरह का मामला आता है, जिसमें दो लाख या उससे अधिक की कैश डीलिंग का दावा हो, तो उसकी सूचना संबंधित आयकर प्राधिकरण को दी जानी चाहिए, ताकि वे कानून के अनुसार जांच और कार्रवाई कर सकें.
कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया कि जब भी किसी संपत्ति की रजिस्ट्री के दौरान ऐसे लेन-देन सामने आते हैं, तो सब-रजिस्ट्रार को इस बात की जानकारी आयकर विभाग को देनी चाहिए. आयकर विभाग फिर उचित प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करेगा.
कानून का मकसद क्या है?
आयकर अधिनियम 1961 की धारा 269ST कहती है कि कोई भी व्यक्ति 2 लाख या उससे ज़्यादा की रकम एक ही बार में नकद (कैश) में नहीं ले सकता. इसका मकसद नकद लेन-देन को कम करना और काले धन (ब्लैक मनी) पर रोक लगाना है.
अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है, तो धारा 271DA के तहत जितनी नकद राशि ली गयी है, उतना ही जुर्माना लगाया जा सकता है.