Manoharpur (Ajay singh) : मनोहरपुर आयरन ओर माइंस चिरिया ( सेल) प्रबंधन सिर्फ़ असुरक्षित सड़क के आड़ में 452 ठेका कर्मीयों को काम से हटा दिया है. झारखंड मज़दूर संघर्ष संघ के अध्यक्ष रामा पांडे ने लगातार न्यूज़ को बताया कि ठेका कंपनी(NSPL)जो कहती है वही सेल प्रबंधन करती है. सेल प्रबंधन एनएसपीएल ठेका कंपनी की हाथों कि सिर्फ़ कठपुतली बनकर रह गई है. 452 ठेका श्रमिकों को असुरक्षित सड़क के आड़ में हटाने का काम सेल प्रबंधन ने ठेका कंपनी(NSPL) के इशारे में किया है. यह बात किसी से छिपी नहीं है. वर्षों से उसी सड़क पर लौह अयस्क की ढुलाई होती रही. तब सड़क असुरक्षित नहीं था. जबकि उसी सड़क से भारी वाहनों से लगातार लौह अयस्क कि ढुलाई होती रही है. जब ग्रामीणों ने मायंस जाने वाले इस मार्ग की दुर्दशा पर सवाल उठाया तों सेल व ठेका प्रबंधन इसकी अनदेखी की.
इसे भी पढ़ें :आदित्यपुर : रेलवे यार्ड में मालगाड़ी पर चोरी करने चढ़ा युवक ओवरडेह तार से झुलसा
सेल व ठेका प्रबंधन ने ग्रामीणों को अपना हमदर्द नहीं समझा : रामा पांडे
आख़िरकार ग्रामीणों के अनुरोध पर स्थानीय विधायक सह मंत्री जोबा मांझी की पहल पर करोड़ों की लागत से बन रहे मनोहरपर मीनाबाज़ार भाया गेंडूम कोलभंगा-पोंडग जंक्शन से करीब 20 किमी. सड़क निर्माण कार्य प्रगति में है. इसलिए उस सड़क से फ़िलहाल ढुलाई बंद है. जब उक्त सड़क जर्जर व ख़स्ता हाल में था तो इस रास्ते से हीं आना जाना करते थे. जबकी ग्रामीणों ने सड़क की दुर्दशा के संबंध में सेल व ठेका प्रबंधन से कई बार वार्ता किया था. लेकिन कभी भी सेल एवं ठेका प्रबंधन ने ग्रामीणों को अपना हमदर्द नहीं समझा. ग्रामीणों ने कई बार रोड जामकर ट्रांसपोर्टिंग ठप्प किया,बावजूद परिणाम सिफ़र रहा.
इसे भी पढ़ें :किरीबुरु : सीआरपीएफ जवानों ने 197 बटालियन का मनाया 15वां स्थापना दिवस
ग्रामीण गोलबंद है इस सड़क से ढुलाई नहीं करने देंगे
जबकी चिरिया माइंस से लौह अयस्क की ढुलाई के लिए पाथरबासा मनोहरपुर साईडींग के लिए पुराना रास्ता है. लेकिन उस सड़क से ढुलाई नहीं करना चाहती है. ठेका कंपनी खर्च कर सड़क को बनाना भी नहीं चाहती है.अब नयी सड़क बन रही है तो इसी सड़क से पुनः ठेका कंपनी ढुलाई करना चाहती है. तों अब ग्रामीण गोलबंद है इस सड़क से ढुलाई नहीं करने देने के लिए. अब सेल प्रबंधन असुरक्षित सड़क के नाम पर ठेका मज़दूरों को हटाने की साज़िश ठेका कंपनी के इशारे पर कर रहीं है. सेल प्रबंधन के अधिकारी भी ठेका कंपनी के हाथों बिक चुके है. यह मामला 452 ठेका श्रमिकों का जीवन मरण का है. हर हाल में ठेका श्रमिकों की छंटनी वापस लेना होगा और प्रबंधन के पास अब कोई उपाय नहीं है. मज़दूर अब करो या मरो के आंदोलन के राह पर चल पड़े है.