Lagatar Desk: पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने आखिरी संस्मरण में लिखा है कि पीएम नरेंद्र मोदी का पहला कार्यकाल निरंकुश था. उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद उन्हें इसकी जानकारी दी गयी थी. पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी किताब में मोदी सरकार और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में बहुत कुछ लिखा है. उन्होंने सरकार के कई फैसलों को काफी बारीकी से देखा और उसकी आलोचना भी की. प्रणब दा ने अपनी किताब में यह भी लिखा कि पहले कार्यकाल में मोदी सरकार अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी भी ठीक से नहीं निभा पाई और संसद के सत्र ठीक से नहीं चले. उन्होंने कहा कि मोदी की कार्यशैली अपने पहले कार्यकाल के दौरान ‘तानाशाही’ जैसी थी. उन्होंने मोदी की अचानक पाक यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि बिना बुलाये अनावश्यक रूप से नवाज शरीफ से मिलने जाना दोनों देशों के संबंधों के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता.
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योजना आयोग को भंग करना बड़ी गलती
रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित अपने अंतिम संस्करण ‘द प्रेजिडेंशल ईयर’ में उन्होंने अरुणाचल प्रदेश सरकार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बहुत कुछ लिखा है. उन्होंने यह भी लिखा है कि कि नोटबंदी लागू करने से पहले उनसे कोई सलाह नहीं ली गयी थी और कदम उठाने के बाद उनसे समर्थन मांगा गया. मुखर्जी ने यह भी कहा कि नोटबंदी के कई उद्देश्य पूरे नहीं हो सके. नोटबंदी की योजना के बारे में उन्हें भी जानकारी नहीं थी. योजना आयोग को खत्म करने के बारे में भी उन्होंने कहा कि इस कदम का विरोध करके वह कोई विवाद नहीं खड़ा करना चाहते थे. उन्होंने कहा कि यह सरकार की एक बहुत बड़ी गलती थी.
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सामान्य मिलिटरी ऑपरेशन थी सर्जिकल स्ट्राइक
प्रणब मुखर्जी अपने स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं करते थे. रिपब्लिक डे पर चीफ गेस्ट के रूप में जब बराक ओबामा भारत आये, तो उन्होंने साफ कह दिया था कि उन्हें भारत के राष्ट्रपति के साथ ही समारोह में जाना होगा और उन्हें यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर विश्वास करना चाहिए. प्रणब मुखर्जी में संस्मरण में लिखा, ‘यह कहना कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जापान के साथ संबंध अच्छे हुए हैं, गलत है. जापान के साथ 2014 से पहले भी बहुत अच्छे संबंध थे. मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले भी शिंजो आबे भारत आ चुके थे.’ पूर्व राष्ट्रपति ने सर्जिकल स्ट्राइक को भी सामान्य मिलिटरी ऑपरेशन बताया जो कि पाकिस्तान की हरकत के विरोध में की गई थी. उन्होंने कहा, ‘सेना की इस कवायद का इस तरह प्रचार करना उचित नहीं था. इस ऑपरेशन से हमें कुछ हासिल नहीं हुआ.
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